भिंड। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, शीतल पेय की तलब बढ़ती जाती है और ठंडे पानी की मांग भी बढ़ती जाती है, लेकिन कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए किए गए लॉकडाउन में चिलर प्लांट का भी कामकाज ठप कर दिया है. जिससे प्लांट संचालकों को 20 से 30 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है, जबकि चिलर प्लांट बंद होने से युवाओं की नौकरी भी छिन गई है. ऐसे में अब उनके सामने भी परिवार चलाने का संकट आ गया है.
गर्मियों के सीजन में चिलर प्लांट में एक दिन में 500 से ज्यादा केन पानी की मांग भिंड शहर में रहती है, लेकिन लॉकडाउन ने चिलर प्लांट को भी पानी की तरह ठंडा कर दिया है. चिलर प्लांट संचालक का कहना है कि मार्च से जुलाई तक 4 महीने आरओ प्लांट यानी चिलर प्लांट का सीजन होता है. इन्हीं दिनों में शादियां होती हैं, गर्मी की वजह से दुकानों और रेस्टोरेंट से लेकर हर व्यावसायिक परिसर में शीतल जल की मांग रहती है, लॉकडाउन के कारण न तो डिमांड है न सप्लाई.
लॉकडाउन में हो रहा लाखों का नुकसान
चिलर प्लांट संचालक रोहित अवस्थी ने बताया कि भिंड शहर में करीब 10 से 12 प्लांट हैं, लेकिन तीन से चार प्लांट ही ऐसे हैं. जिनकी स्थिति ठीक है, जो मांग के हिसाब से सप्लाई दे रहे हैं. कोरोना की वजह से लोग बाहर से पानी लेना बंद कर दिए हैं. संचालक ने बताया कि इस सीजन में 20 से 30 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है. ठंडे पानी की डिमांड पर अब एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जा रही है.
युवाओं का छीना रोजगार
वहीं मांग खत्म होने से सप्लाई प्रभावित हुई तो लोगों को नौकरियां छोड़नी पड़ी. संचालक ने बताया कि उनके प्लांट पर लॉकडाउन से पहले 9 लोग काम करते थे, लेकिन अब सिर्फ दो लोग ही काम संभाल रहे हैं. 7 लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. कुछ लोग कोरोना के डर से काम पर नहीं लौटे तो कुछ लोगों को घाटे की वजह से बेरोजगार होना पड़ा.