भिंड। इन दिनों भिंड में बेटियों का जन्म होने पर उसकी हत्या नहीं बल्कि जलसा होता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बेटी का जन्म किसी गरीब परिवार में हुआ है या किसी अमीर घराने में या वह किस जाति और समुदाय में ही क्यों न जन्मी हो. इस दुनिया में आने के बाद वह अस्पताल से अपने घर तक का सफ़र एक शानदार कार में करती है. जहां उसका स्वागत घर की लक्ष्मी की तरह किया जाता है. लक्ष्मी के पहली बार घर आने का हर पल यादगार लम्हों में तब्दील हो इसके लिए ब्रांड के युवाओं की एक टोली पूरी लगन से काम कर रही है. लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए, बेटा और बेटी का फर्क दूर करने के लिए KAMP (कीरतपुरा एसोसिएशन मैनेजमेंट पोवर्टी) से जुड़े तिलक सिंह भदौरिया और उनकी टीम घर-घर में खुशियों का माहौल बना रहे हैं.
- शानदार सजावट और ढोल नगाड़े से होता है लक्ष्मी का स्वागत
यह काम किसी लाभ या निजी हित के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए किया जा रहा है. तिलक सिंह और उनकी टीम को जब भी किसी बच्ची के जन्म की सूचना मिलती है, तो वह अपनी टीम के साथ नवजात के घर पहुंचते हैं और फिर पूरा घर सजा देते हैं. अलग-अलग तरह से डेकोरेशन किया जाता है. इसके बाद जश्न शुरू होता है और अस्पताल से एक शानदार कार में नवजात बच्ची और उसकी मां को ढोल नगाड़ों के साथ घर तक लाया जाता है. घर पहुंचते ही फूलों की बरसात होती है और फूलों से सजावट किया हुआ एक रास्ता घर के द्वार तक जाता है.
- पैरों के छाप के साथ गृह लक्ष्मी का गृह प्रवेश
इस बीच यादगार पलों को याद करने के लिए बच्ची के पैरों के छाप लिए जाते हैं. फूलों के रास्ते पर आगे बढ़ते कदम उस तराजू तक पहुंचते हैं. जिसमें मिठाई से बच्ची का तुलादान होता है. तिलक लगाकर माला पहनाकर उसका स्वागत किया जाता है. घर के दरवाजे पर गृह लक्ष्मी की तरह गृह प्रवेश भी कराया जाता है. इसकी पूरी तैयारी भी तिलक और उनकी टीम ही करती है.
- बच्चियों के प्रति सोच के बदलाव की पहल
युवाओं की इस पहल की शुरुआत कीरतपुरा एसोसिएशन मैनेजमेंट पोवर्टी (KAMP) से जुड़े तिलक सिंह भदौरिया ने की थी. तिलक सिंह से बात करने पर उन्होंने बताया की मैं हमेशा बच्चियों के उत्थान के लिए काम करना चाहता था. कई जगह जब उन्होंने बेटा और बेटियों में हो रहे फर्क को देखा तो इस सोच में बदलाव लाने का फैसला किया और अपने दोस्तों के साथ मिलकर कुछ अलग करने और जागरूकता संदेश देने वाले काम पर विचार किया. जिस पर बच्चियों के स्वागत का विचार सबसे बढ़िया लगा. अब तक इसी तरह 33 कन्याओं का स्वागत कर चुके हैं.
सीमा की सुरक्षा में मुस्तैद ये बहादुर बेटियां...देश की हिफाजत का लाजवाब जज्बा
- लम्हों को यादगार बनाने का संपर्क
हाल ही में भिंड के सीता नगर में रहने वाले उम्मेद सिंह के घर बच्ची ने जन्म लिया. उन्हें तिलक सिंह और उनकी टीम के बारे में पता चला तो बच्ची का स्वागत करने और उन पलों को यादगार बनाने के लिए संपर्क किया उम्मेद ने बताया कि उन्होंने कैंप के बारे में कई बार सुना था, इसलिए कुछ अलग करने के लिए उन्होंने भी अपनी बच्ची का स्वागत कराया है. इतने भव्य आयोजन और बच्ची के घर में आने से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.
- अब तक कर चुके हैं 33 कन्याओं का स्वागत
उम्मेद की तरह ही कीरतपुरा की रहने वाली पूजा भदौरिया ने दो साल पहले बच्ची को जन्म दिया था. उस दौरान भी तिलक सिंह ने अपनी टीम के साथ जाकर बच्ची का स्वागत कराया था. दो साल बाद जब एक बार फिर पूजा मां बनी और बच्ची को जन्म दिया, तो दोबारा तिलक उनके घर पहुंचे और दूसरी बच्ची का भी स्वागत बड़े ही जोरदार तरीके से किया. जिसका पूरा खर्च तिलक और उनके सहयोगी साथियों ने उठाया. वहीं वार्ड क्रमांक 9 में रहने वाले हरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि उन्होंने भी सोशल मीडिया पर इन समाजसेवी युवाओं के द्वारा किए जा रहे बच्चियों के स्वागत की कई तस्वीरें देखी थी. इसलिए पहली संतान लक्ष्मी होने से उन्होंने भी रुचि दिखाई और तिलक सिंह से संपर्क कर बच्ची का स्वागत कराया.
- दूसरे राज्यों से भी आते है फोन
तिलक सिंह कहते है कि उनकी इस पहल का असर अब धीरे-धीरे दिखाई देने लगा है. अब लोगों की सोच में वाकई बदलाव आ रहा है. बेटों की तरह अब लोग बेटियों को भी महत्व देते हैं. आज उनके काम का यह दायरा स्तर पर भिंड जिले तक सीमित नहीं है. वे ग्वालियर और मुरैना जिले में भी कई बच्चियों का स्वागत करके आए है. तिलक सिंह ने बताया कि उन्हें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे प्रदेशों से भी कई लोग स्वागत के लिए संपर्क करते हैं. हालांकि इतनी दूर जाना कई बार संभव नहीं होता. इसलिए वह उन लोगों को अपने स्तर पर बच्चियों का स्वागत करने का कहते है.