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उद्घाटन के डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हो सका व्यवसाय कॉम्प्लेक्स

भिंड जिले में 2018 में सरकारी व्यवसाय कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हुआ. 2019 में इसका भव्य उद्घाटन किया गया, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी न तो व्यापारियों को दुकान सुपुर्द की गई और न ही कॉम्प्लेक्स को शुरू किया गया. पढ़िए पूरी खबर..

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Published : Feb 15, 2021, 1:17 PM IST

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शुरू नहीं हो सका व्यवसाय कॉम्प्लेक्स

भिंड। साल 2015 में मध्य प्रदेश शासन की ओर से जिले को एक नई सौगात स्वीकृत की गई थी. यह सौगात जिला पंचायत की तरफ से जरूरतमंद व्यापारियों को सरकारी रेट पर दुकानें उपलब्ध कराना था. 2018 में यह कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हुआ और 2019 में इसका भव्य उद्घाटन कांग्रेस सरकार में तत्कालीन पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा किया गया, लेकिन पिछले डेढ़ साल से यह कॉम्प्लेक्स खाली पड़ा है. न तो अब तक व्यापारियों को दुकान सुपुर्द की गई है और न ही कॉम्प्लेक्स की शुरुआत हो सकी है. राजनीतिक दबाव के चलते जिम्मेदार अधिकारी भी अब उल जलूल बातें कर रहे हैं.

किसी भी क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यवसायियों के लिए सरकार और प्रशासन व्यवस्थाएं प्रदान करता है. इसी के चलते जिला पंचायत परिसर में वर्षों से खाली पड़ी जमीन पर एक व्यवसाय कॉम्प्लेक्स बनाने का निर्णय लिया गया. यह कॉम्प्लेक्स बड़े शहरों में बनने वाले शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल की तर्ज पर बनाया जाना था, जिसके बाद साल 2015 में तत्कालीन विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह की पहल से इस व्यवसायिक भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ. साल 2018 में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य बिल्डिंग बनकर तैयार हुई, लेकिन जिला पंचायत परिसर में बनकर तैयार हुए इस व्यवसाय शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की भव्यता और सुंदरता के आड़े 29 दुकानें आ रही थी, जो कॉम्प्लेक्स के सामने मेन रोड पर बनी हुई थी. यह सभी नगर पालिका द्वारा लीज पर दी गई दुकानें थी, जिनमें व्यवसायियों ने अपना व्यापार करीब 30 साल पहले शुरू किया था.

शुरू नहीं हो सका व्यवसाय कॉम्प्लेक्स

जिला प्रशासन और जिला पंचायत की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि नवीन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उन्हें दुकानें आवंटित की जाएंगी. इसके बदले उन्हें दुकान खाली करना होगा, जिससे आगे सीसी रोड निर्माण कराकर एक बेहतर पार्किंग व्यवस्था बनाई जा सके, लेकिन डेढ़ साल बाद भी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स शुरू नहीं हो सका. बता दें कि, साल 2019 के नवंबर माह में तत्कालीन पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा इसका उद्घाटन भी किया जा चुका है.

दुकानें आवंटित न होने से परेशान व्यापारी
लीज पर व्यापार कर रहे दुकानदारों का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. अब तक दुकानें आवंटित नहीं की गई हैं. उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि दुकान को खाली कर दें, लेकिन अगर दुकानें खाली कर देंगे, तो वह अपना व्यापार कहां लेकर जाएंगे. वहीं मेडिकल स्टोर संचालक का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया था कि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उन्हें दुकान आवंटित की जाएगी, लेकिन अब फ्रंट पर बैठे होने के बाद भी उन्हें पीछे की दुकानें दी जा रही हैं.

राजनीतिक दखलअंदाजी भी बड़ी वजह
कुछ व्यापारियों का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से उन्हें दुकान आवंटन का इंतजार है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई भी पहल नहीं की गई है. उनका कहना है कि कहीं न कहीं इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के लिए राजनीतिक दखल भी एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से दुकानों का आवंटन नहीं हो पा रहा है.

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना बंद व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बंद रहने से यहां कई तरह की अनियमितताएं भी देखने को मिल रही हैं. कॉम्प्लेक्स के बाहर काफी गंदगी जमा हो गई है. यहां तक कि बंद शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के अंदर कई तरह की शराब की खाली बोतल पड़ी मिली है, जो कहीं ना कहीं इस बात का प्रमाण है कि अब कॉम्प्लेक्स असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है. इसकी देखरेख के लिए जिला पंचायत की ओर से सुरक्षा गार्ड तक नहीं रखा गया है.

अध्यक्ष बोले, जल्द पूरी होगी प्रक्रिया
जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि ये विभागीय प्रक्रिया में अटका हुआ मामला है. फिलहाल जिला पंचायत के सभी सदस्यों द्वारा लगातार बैठक की जा रही है. आवंटन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है. हालांकि, एक बड़ी समस्या ये है कि फ्रंट पर बैठे 29 दुकानदारों को दुकानें उपलब्ध करानी है, लेकिन अन्य दुकानदार भी चाहते हैं कि उन्हें उनके हिसाब से दुकान मिल जाए, जो संभव नहीं है. इस वजह से दुकान आवंटन के कार्य में देरी हो रही है.

फिलहाल उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द से जल्द जिला पंचायत सीईओ से बात कर समस्या को दूर किया जायेगा. दुकानदारों को प्राथमिकता से दुकानें आवंटित करा दी जाएंगी. वहीं उन्होंने कहा कि उनके पास अब तक किसी भी राजनेता या जनप्रतिनिधि का कोई संपर्क नहीं है.

बदतमीजी पर उतरे जिला पंचायत सीईओ
जिला पंचायत सीईओ आईएस ठाकुर ने जवाब देने के बजाय कहा कि यह हमारी संपत्ति है, हम इसे बेचे या फिर खा जाएं, आपको क्या करना ?

कलेक्टर ने कही, जांच की बात
कलेक्टर ने कहा कि वह पूरे मामले की जांच करायेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही जिला पंचायत सीईओ और सदस्यों से बात कर इस समस्या को हल कराने का प्रयास किया जायेगा.

साल 2015 में प्रस्ताव पास किया गया था, जिसकी लागत 30 करोड़ रुपये थी. बाद में एस्टीमेट बदला, तो 15 करोड़ लागत तय हुई, जिसमें 5 करोड़ रुपये का मैटेरियल कॉस्ट और 10 करोड़ रुपये की जमीन की कीमत लगाई गई. 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ. 2018 में तीन मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हुआ. प्रत्येक मंजिल पर 32 दुकाने हैं. इस तरह कुल 96 दुकान शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बनाई गई. 17 नवंबर 2019 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार में पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया. उद्घाटन समारोह के दौरान टॉप फ्लोर पर एक पत्रकार भवन बनाने की घोषणा की गई थी, जिसके लिए पंचायत विभाग के साथ ही तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, तत्कालीन गोहद विधायक रणवीर जाटव समेत अन्य राजनेताओं ने भी राशि सहयोग की घोषणा की थी, लेकिन आज तक इस भवन के निर्माण संबंधी किसी बात की कोई जानकारी नहीं है.

भिंड। साल 2015 में मध्य प्रदेश शासन की ओर से जिले को एक नई सौगात स्वीकृत की गई थी. यह सौगात जिला पंचायत की तरफ से जरूरतमंद व्यापारियों को सरकारी रेट पर दुकानें उपलब्ध कराना था. 2018 में यह कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हुआ और 2019 में इसका भव्य उद्घाटन कांग्रेस सरकार में तत्कालीन पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा किया गया, लेकिन पिछले डेढ़ साल से यह कॉम्प्लेक्स खाली पड़ा है. न तो अब तक व्यापारियों को दुकान सुपुर्द की गई है और न ही कॉम्प्लेक्स की शुरुआत हो सकी है. राजनीतिक दबाव के चलते जिम्मेदार अधिकारी भी अब उल जलूल बातें कर रहे हैं.

किसी भी क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यवसायियों के लिए सरकार और प्रशासन व्यवस्थाएं प्रदान करता है. इसी के चलते जिला पंचायत परिसर में वर्षों से खाली पड़ी जमीन पर एक व्यवसाय कॉम्प्लेक्स बनाने का निर्णय लिया गया. यह कॉम्प्लेक्स बड़े शहरों में बनने वाले शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल की तर्ज पर बनाया जाना था, जिसके बाद साल 2015 में तत्कालीन विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह की पहल से इस व्यवसायिक भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ. साल 2018 में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य बिल्डिंग बनकर तैयार हुई, लेकिन जिला पंचायत परिसर में बनकर तैयार हुए इस व्यवसाय शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की भव्यता और सुंदरता के आड़े 29 दुकानें आ रही थी, जो कॉम्प्लेक्स के सामने मेन रोड पर बनी हुई थी. यह सभी नगर पालिका द्वारा लीज पर दी गई दुकानें थी, जिनमें व्यवसायियों ने अपना व्यापार करीब 30 साल पहले शुरू किया था.

शुरू नहीं हो सका व्यवसाय कॉम्प्लेक्स

जिला प्रशासन और जिला पंचायत की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि नवीन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उन्हें दुकानें आवंटित की जाएंगी. इसके बदले उन्हें दुकान खाली करना होगा, जिससे आगे सीसी रोड निर्माण कराकर एक बेहतर पार्किंग व्यवस्था बनाई जा सके, लेकिन डेढ़ साल बाद भी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स शुरू नहीं हो सका. बता दें कि, साल 2019 के नवंबर माह में तत्कालीन पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा इसका उद्घाटन भी किया जा चुका है.

दुकानें आवंटित न होने से परेशान व्यापारी
लीज पर व्यापार कर रहे दुकानदारों का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. अब तक दुकानें आवंटित नहीं की गई हैं. उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि दुकान को खाली कर दें, लेकिन अगर दुकानें खाली कर देंगे, तो वह अपना व्यापार कहां लेकर जाएंगे. वहीं मेडिकल स्टोर संचालक का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया था कि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उन्हें दुकान आवंटित की जाएगी, लेकिन अब फ्रंट पर बैठे होने के बाद भी उन्हें पीछे की दुकानें दी जा रही हैं.

राजनीतिक दखलअंदाजी भी बड़ी वजह
कुछ व्यापारियों का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से उन्हें दुकान आवंटन का इंतजार है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई भी पहल नहीं की गई है. उनका कहना है कि कहीं न कहीं इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के लिए राजनीतिक दखल भी एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से दुकानों का आवंटन नहीं हो पा रहा है.

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना बंद व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बंद रहने से यहां कई तरह की अनियमितताएं भी देखने को मिल रही हैं. कॉम्प्लेक्स के बाहर काफी गंदगी जमा हो गई है. यहां तक कि बंद शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के अंदर कई तरह की शराब की खाली बोतल पड़ी मिली है, जो कहीं ना कहीं इस बात का प्रमाण है कि अब कॉम्प्लेक्स असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है. इसकी देखरेख के लिए जिला पंचायत की ओर से सुरक्षा गार्ड तक नहीं रखा गया है.

अध्यक्ष बोले, जल्द पूरी होगी प्रक्रिया
जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि ये विभागीय प्रक्रिया में अटका हुआ मामला है. फिलहाल जिला पंचायत के सभी सदस्यों द्वारा लगातार बैठक की जा रही है. आवंटन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है. हालांकि, एक बड़ी समस्या ये है कि फ्रंट पर बैठे 29 दुकानदारों को दुकानें उपलब्ध करानी है, लेकिन अन्य दुकानदार भी चाहते हैं कि उन्हें उनके हिसाब से दुकान मिल जाए, जो संभव नहीं है. इस वजह से दुकान आवंटन के कार्य में देरी हो रही है.

फिलहाल उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द से जल्द जिला पंचायत सीईओ से बात कर समस्या को दूर किया जायेगा. दुकानदारों को प्राथमिकता से दुकानें आवंटित करा दी जाएंगी. वहीं उन्होंने कहा कि उनके पास अब तक किसी भी राजनेता या जनप्रतिनिधि का कोई संपर्क नहीं है.

बदतमीजी पर उतरे जिला पंचायत सीईओ
जिला पंचायत सीईओ आईएस ठाकुर ने जवाब देने के बजाय कहा कि यह हमारी संपत्ति है, हम इसे बेचे या फिर खा जाएं, आपको क्या करना ?

कलेक्टर ने कही, जांच की बात
कलेक्टर ने कहा कि वह पूरे मामले की जांच करायेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही जिला पंचायत सीईओ और सदस्यों से बात कर इस समस्या को हल कराने का प्रयास किया जायेगा.

साल 2015 में प्रस्ताव पास किया गया था, जिसकी लागत 30 करोड़ रुपये थी. बाद में एस्टीमेट बदला, तो 15 करोड़ लागत तय हुई, जिसमें 5 करोड़ रुपये का मैटेरियल कॉस्ट और 10 करोड़ रुपये की जमीन की कीमत लगाई गई. 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ. 2018 में तीन मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हुआ. प्रत्येक मंजिल पर 32 दुकाने हैं. इस तरह कुल 96 दुकान शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बनाई गई. 17 नवंबर 2019 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार में पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया. उद्घाटन समारोह के दौरान टॉप फ्लोर पर एक पत्रकार भवन बनाने की घोषणा की गई थी, जिसके लिए पंचायत विभाग के साथ ही तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, तत्कालीन गोहद विधायक रणवीर जाटव समेत अन्य राजनेताओं ने भी राशि सहयोग की घोषणा की थी, लेकिन आज तक इस भवन के निर्माण संबंधी किसी बात की कोई जानकारी नहीं है.

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