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चंबल नदी पर बने इस पुल को आखिर क्यों लोग कहने लगे हैं मौत का पुल ? - भिंड

चंबल नदी पर बना ब्रिज मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाला पुल है. आज कल इस पुल के कई बार क्षतिग्रस्त होने और पुल से खुदकुशी कर मौत होने का कारण इसे मौत का पुल कहा जाने लगा है.

चंबल नदी पर बना पुल
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Published : May 29, 2019, 10:47 PM IST

भिंड। चंबल नदी पर बना ब्रिज मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाला पुल है, जहां से मध्यप्रदेश के भिंड जिले को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले को जोड़ता है. यह चंबल पुल दोनों ही प्रदेशों की सीमा है, लेकिन आज कल इसे मौत का पुल कहा जाने लगा है. इसकी वजह है यह पुल न सिर्फ कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है बल्कि इस पुल से खुदकुशी कर मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है.

मध्यप्रदेश से उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाला यह चंबल पुल अब मौत का पुल कहलाने लगा है क्योंकि आए दिन यहां कोई ना कोई हादसे होते रहते हैं. जिसमें अक्सर लोगों की जाने जाती हैं. इतना ही नहीं कई बार खुदकुशी जैसे संगीन मामले भी यहां सामने आए हैं. पुल के आसपास रहने वाले लोगों ने भी बताया है कि हर महीने यहां दो-तीन खुदकुशी के मामले सामने आते रहते हैं. हाल ही में 15-20 दिन पहले एक युवक ने चंबल नदी के पुल से कूदकर खुदकुशी कर ली थी. इसके बावजूद इस पुल पर किसी तरह की कोई सुरक्षा या निगरानी की व्यवस्था नहीं है.

चंबल नदी पर बना पुल

वहीं इस पुल की स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं है यह पुल लगातार जर्जर होता जा रहा है जो कभी भी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है. साथ ही आए दिन वाहनों की दुर्घटनाओं से क्षतिग्रस्त होता रहता है लेकिन प्रशासन इस पर सिर्फ पैचवर्क करा कर काम चला रहा है. चंबल पुल पर समय-समय पर पेट्रोलिंग की जाने की व्यवस्था और सुरक्षा गार्ड भी तैनात नहीं है. चंबल नदी से सटे गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि जब तक इस पुल पर कोई बड़ा हादसा या गंभीर जनहानि के मामले सामने नहीं आएंगे तब तक शायद प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं लेगी.

भिंड। चंबल नदी पर बना ब्रिज मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाला पुल है, जहां से मध्यप्रदेश के भिंड जिले को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले को जोड़ता है. यह चंबल पुल दोनों ही प्रदेशों की सीमा है, लेकिन आज कल इसे मौत का पुल कहा जाने लगा है. इसकी वजह है यह पुल न सिर्फ कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है बल्कि इस पुल से खुदकुशी कर मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है.

मध्यप्रदेश से उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाला यह चंबल पुल अब मौत का पुल कहलाने लगा है क्योंकि आए दिन यहां कोई ना कोई हादसे होते रहते हैं. जिसमें अक्सर लोगों की जाने जाती हैं. इतना ही नहीं कई बार खुदकुशी जैसे संगीन मामले भी यहां सामने आए हैं. पुल के आसपास रहने वाले लोगों ने भी बताया है कि हर महीने यहां दो-तीन खुदकुशी के मामले सामने आते रहते हैं. हाल ही में 15-20 दिन पहले एक युवक ने चंबल नदी के पुल से कूदकर खुदकुशी कर ली थी. इसके बावजूद इस पुल पर किसी तरह की कोई सुरक्षा या निगरानी की व्यवस्था नहीं है.

चंबल नदी पर बना पुल

वहीं इस पुल की स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं है यह पुल लगातार जर्जर होता जा रहा है जो कभी भी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है. साथ ही आए दिन वाहनों की दुर्घटनाओं से क्षतिग्रस्त होता रहता है लेकिन प्रशासन इस पर सिर्फ पैचवर्क करा कर काम चला रहा है. चंबल पुल पर समय-समय पर पेट्रोलिंग की जाने की व्यवस्था और सुरक्षा गार्ड भी तैनात नहीं है. चंबल नदी से सटे गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि जब तक इस पुल पर कोई बड़ा हादसा या गंभीर जनहानि के मामले सामने नहीं आएंगे तब तक शायद प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं लेगी.

Intro:वैसे तो चंबल नदी पर बना पुल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला पुल है जहां से मध्य प्रदेश के भिंड जिले के उत्तर प्रदेश इटावा जिला जुड़ता है यह चंबल पुल दोनों ही प्रदेशों की सीमा है लेकिन आजकल इसे मौत का पुल भी कहा जाने लगा है क्योंकि ना सिर्फ यह कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है बल्कि इस पुल से खुदकुशी कर मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है


Body:मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला यह चंबल पुल अब मौत का पुल कहलाने लगा है क्योंकि आए दिन यहां कोई ना कोई हादसे होते रहते हैं जिसमें अक्सर लोगों की जाने जाती हैं इतना ही नहीं कई बार खुदकुशी जैसे संगीन मामले भी यहां सामने आए हैं फुल के आसपास रहने वाले लोगों ने भी बताया है कि हर महीने यहां दो-तीन खुदकुशी के मामले सामने आते रहते हैं लेकिन लगातार इस तरह के मामले सामने आने पर भी पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी है हाल ही में 15 20 दिन पहले एक युवक ने चंबल नदी के पुल से कूदकर खुदकुशी कर ली थी वहीं कुछ दिन पहले एक युवती ने भी यहां से कूदकर अपनी जान दे दी थी इससे पहले भी कई मामले सामने आए है बावजूद इसके यहां किसी तरह की कोई सुरक्षा या निगरानी की व्यवस्था नहीं है

बाइट- अशोक कुमार जैन, स्थानीय रहवासी

बात अगर पुल की स्थिति की की जाए तो पुल की स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं है यह पुल लगातार जर्जर होता जा रहा है जो कभी भी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है साथ ही आए दिन वाहनों की दुर्घटनाओं से क्षतिग्रस्त होता रहता है लेकिन प्रशासन इस पर सिर्फ पैच वर्क करा कर काम चला रहा है चंबल नदी से सटे गांव फूप में रहने वाले लोगों का कहना है कि जब तक इस पुल पर कोई बड़ा हादसा या गंभीर जनहानि के मामले सामने नहीं आएंगे तब तक शायद प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे बैठा रहेगा।

बाइट- मनीष दैपुरिया, पार्षद
बाइट- राजा सिंह भदोरिया, स्थानीय रहवासी


Conclusion:चंबल पुल पर पेट्रोलिंग की स्थिति कुछ ऐसी है की आंखों पर पट्टी बांध के सोच लिया जाए कि हमें कोई देख ही नहीं रहा ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यदि समय-समय पर यहां पेट्रोलिंग होती रहे या कोई सुरक्षा गार्ड तैनात रहे तो शायद इस तरह की घटनाओं पर लगाम कसी जा सकती है इस संबंध में जब हमने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो वे इस पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।
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