भिंड। कोरोना आपदा के बीच भिंड से फिर मानवता को शर्मसार करने वाली एक तस्वीर सामने आई है. भिंड में कोरोना पीड़ित गर्भवती महिला का शव श्मशान में पांच घंटे तक पड़ा रहा, लेकिन न तो परिजन आगे आए और न ही प्रशासन ने कोई प्रयास किया. आखिर में महिला के जेठ ने अंतिम संस्कार किया लेकिन वो भी बिना पीपीई किट पहने. इस मामले में अब स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग और अन्य विभाग एक-दूसरे की गलती बता रहे हैं.
7 महीने की गर्भवती थी महिला
बताया जा रहा है कि शहर की एक महिला को बुखार आने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. महिला 7 माह की गर्भवती थी. जिला अस्पताल में रैपिड एंटीजन टेस्ट में महिला पॉजिटिव पाई गई थी. महिला का कोविड वार्ड में इलाज चल रहा था लेकिन आधे घंटे में ही उसने दम तोड़ दिया. अस्पताल से शव को पीपीई किट में लपेटकर श्मशान घाट पहुंचा दिया गया. शव को श्मशान लेकर पहुंचे कर्मचारी शव को खुले में जमीन पर डालकर वहां से चले गए. नियमों के मुताबिक महिला का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत होना था, लेकिन अस्पताल से शव लेकर श्मशान आए कर्मचारियों ने लापरवाही की और शव को जमीन पर छोड़कर चले गए. करीब पांच घंटे तक महिला का जेठ मौके पर परिवार के लोगों का इंतजार करता रहा लेकिन कोई नहीं आया. आखिरकार महिला के जेठ ने बिना पीपीई किट पहने ही अंतिम संस्कार कर दिया.
MP में 7 मई तक बढ़ा कोरोना कर्फ्यू : शिवराज बोले, कड़ाई से कराएं पालन
लापरवाही का जिम्मेदार कौन ?
इस मामले में जब जिला कलेक्टर सतीश कुमार एस से बात की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी से इनकार किया साथ ही मीडिया को नसीहत दे डाली. कलेक्टर ने कहा कि मीडिया कोविड पॉजिटिव के अंतिम संस्कार के लिए जागरुकता फैलाए. इस मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन ने जरूर माना कि जो हुआ वो गलत हुआ. अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गोयल ने बताया कि जिला अस्पताल की तरफ से बॉडी को पीपीई किट में पैक करके परिजनों को भी पीपीई किट दी जाती है. इसके बाद पुलिस और प्रशासन को मौके पर पहुंचकर देखना होता है कि प्रक्रिया का पालन हो रहा है या नहीं. इस मामले में जब कमिश्नर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रशासन की देखरेख में मुक्तिधाम ले जाकर शव का अंतिम संस्कार किया जाता है.