भिंड। लॉकडाउन का असर अब दिखाई दे रहा है. अस्पताल के ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी भी होती जा रही है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन नहीं किया जा रहा. ऐसे में एक तरह से रक्तदान रुक सा गया है. भिंड ब्लड बैंक में तो आम दिनों के मुकाबले 10 फ़ीसदी से भी कम ब्लड रिजर्व बचा है.
भिंड में ब्लड डोनेशन की बात की जाए तो कोरोना से पहले आए दिन रक्तदान शिविरों का आयोजन होता था. जिससे मरीजों को ब्लड की परेशानी नहीं होती थी. समाजसेवी संगठन भी समय-समय पर शिविरों का आयोजन करते थे. जिसके चलते जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में हमेशा पर्याप्त स्टॉक मेंटेन करता रहता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं अमूमन मरीज को ब्लड की जरूरत सर्जरी या हीमोग्लोबिन की कमी की हालत में ही पड़ती है. ऐसे में काफी हाथ पैर मारने पड़ते हैं क्योंकि लॉकडाउन में बाहर निकलने की आजादी नहीं है.
लॉकडाउन का कितना असर
जिला अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक के प्रभारी डॉक्टर देवेश शर्मा बताते हैं कि पहले आम दिनों में ब्लड बैंक में 100 से 125 ब्लड यूनिट हमेशा रिजर्व रहता था. लेकिन अब रक्तदान शिविरों का आयोजन न होने की वजह से ब्लड जमा नहीं हो पा रहा है. डोनेशन न हो पाने की दशा में रिजर्व ब्लड यूनिट तेजी से कम हो रही है वर्तमान में ब्लड बैंक में सिर्फ 8 यूनिट ब्लड ही बचा रह गया है जो वाकई चिंता का विषय है
सामाजिक सरोकार के काम होते रहना चाहिएः विधायक
भिंड विधायक संजीव कुशवाहा कहते है कि लॉकडाउन में भी जरुरतमंदों को ब्लड उपलब्ध कराए. उनका कहना था कि इस समय एक दूसरे का मुश्किलों में साथ देने का है. हमें सामाजिक सरोकार के काम में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए हम लॉक डाउन के दौरान ही सावधानी बरतते हुए रक्तदान करने आ सकते हैं.
सामाजिक संगठनों द्वारा मुहैया कराई जा रही मदद
किसी भी जरूरतमंद के पास जिले के समाजसेवी तुरंत मदद करने पहुंच रहे हैं यह बहुत अच्छी बात है किसी भी जरूरतमंद को यहां पर कोई कमी नहीं होने दी जा रही है . जरुरत पड़ने पर ब्लड की व्यवस्था कराई जा रही है, ताकि लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े. भिंड जिले में इस समय संजीवनी रक्तदान समूह एवं नवजीवन सहायतार्थ संगठन नाम से दो बड़े रक्तदान संगठन कार्य कर रहे हैं. जो किसी भी मरीज को रक्त की आवश्यकता होने पर तुरंत एक्टिव हो जाते हैं.