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MP में तीसरा बच्चा पैदा होने की सजा: नियुक्ति के चार महीने बाद ही शिक्षक बर्खास्त, बोला- गोद दे चुके हैं एक बच्चा

मध्य प्रदेश के भिंड में तीसरा बच्चा पैदा होने की सजा कुछ इस प्रकार मिली कि नियुक्ति के चार महीने बाद ही शिक्षक को बर्खास्त कर दिया गया. फिलहाल शिक्षक कोर्ट की शरण में पहुंचा है, उसका कहना है कि मेरे एक बच्चे को रिश्तेदार ने कानूनी रूप से गोद ले लिया है.

violating two child norm in MP
तीसरा बच्चा पैदा होने की सजा
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Published : Aug 8, 2023, 1:04 PM IST

Updated : Aug 8, 2023, 4:16 PM IST

भिंड। जिले के अमायन सीएम राइज स्कूल में पदस्थ एक शिक्षक को तीसरी संतान पैदा होने पर सरकारी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, ये कार्रवाई शिक्षक गणेश शर्मा द्वारा नियुक्ति के बाद तीसरी संतान होने की जानकारी छिपाने और गलत दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति लेने को लेकर की गई है. शिक्षक की नियुक्ति चार महीने पहले ही 30 मार्च को हुई थी. अंग्रेजी के शिक्षक की तीसरी संतान को लेकर नियुक्ति खारिज करने के आदेश जारी हो चुके हैं. वहीं पीड़ित शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा ने अब ETV भारत से बातचीत कर पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है.

शिक्षक का आरोप: इस मामले में जब ETV Bharat ने पीड़ित शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा से फ़ोन पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि "यह पूरी कार्रवाई द्वेष भावना के तहत कराई गई है. जिसमें अधिकारी भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी में जिले में 140 शिक्षक ऐसे हैं, जिनके तीन बच्चे हैं. तो अंदाजा लगाइए कि जिले में कितने सरकारी कर्मचारी ऐसे होंगे. लेकिन मेरे मामले में टारगेट कर तथ्यों को छिपाकर कार्रवाई की गई है.

चार महीने पहले ही मिली थी नियुक्ति: भिंड के अमायन में पदस्थ शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा शिक्षक पात्रता परीक्षा में 2834 रैंक हांसिल की थी और उनकी नियुक्ति अंग्रेजी विषय में माध्यमिक शिक्षक के पद पर भिंड जिले के अमायन शासकीय सीएम राइज स्कूल में 30 मार्च 2023 को की गई थी.

नियुक्ति के चार महीने बाद ही शिक्षक बर्खास्त
नियुक्ति के चार महीने बाद ही शिक्षक बर्खास्त

तीसरी संतान की सम्बंध में जानकारी छिपाने की थी शिकायत: मामले में मोड़ तब आया जब भिंड जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा ग्वालियर संभाग के लोक शिक्षण विभाग के संयुक्त संचालक के पास शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा के खिलाफ नियुक्ति के बाद तीसरी संतान पैदा होने के संबंध में कार्रवाई के लिए पत्राचार किया गया. चूंकि 2001 से ही मध्यप्रदेश में शासकीय सेवकों के लिए नियुक्ति के बाद दो से अधिक संतान पर रोक का प्रावधान है, ऐसे में शिक्षक गणेश शर्मा की नियुक्ति को निष्क्रिय किए जाने के संबंध में जांच प्रतिवेदन दिया गया था.

क्या बोले मेहगांव ब्लॉक शिक्षा अधिकारी: इस मामले की जांच लोक शिक्षण ग्वालियर संभाग के सहायक संचालक दीपक कुमार पांडेय द्वारा करायी गई, जिसमें इस प्रकरण के संबंध में उपलब्ध कराए गए. साक्ष्य में तीसरे बच्चे के पैदा होने की बात सत्य पायी गई, जिसे खुद गणेश शर्मा ने भी स्वीकार किया. इसके बाद उनकी नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाने के आदेश जारी किए जा चुके हैं, साथ ही इस मामले में शिक्षक के ऊपर FIR कराने के संबंध में पुलिस अधीक्षक से पत्राचार किया गया है. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत से बातचीत में मेहगांव ब्लॉक शिक्षा अधिकारी आरडी मित्तल ने भी की है.

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कोर्ट की शरण में पहुंचा शिक्षक: वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार "शिक्षक गणेश प्रसाद इस मामले में हुए आदेश के खिलाफ कोर्ट की शरण में चले गये हैं, उनका पक्ष है कि तीसरी संतान पैदा होने के साथ ही उनके एक रिश्तेदार ने बच्चा कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले लिया था. यह कार्रवाई तीसरे व्यक्ति द्वारा द्वेष भावना के चलते जबरन कराई गई है और इसमें गोद लिए जाने संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत ना कर जांच को भटकाया गया है. इसलिए वे इस मामले में अपने हक के लिए अब कानूनी रूप लड़ाई लड़ेंगे."

शिकायतकर्ता ने शिकायत वापस ली: गणेश शर्मा पर हुई कार्रवाई के संबंध में अपनी सफाई देते हुए कहा की "उनके घर के सामने रहने वाले महावीर उपाध्याय महावीर शर्मा ने द्वेष भावना के चलते एक तीसरे व्यक्ति द्वारा शिकायत कराई थी, लेकिन बाद में उस व्यक्ति ने अपनी शिकायत वापस भी ले ली थी, लेकिन मुझे टारगेट कर उसके बाद भी आनन फानन में कार्रवाई की गई. इस जांच के संबंध में मुझसे कोई दस्तावेज नहीं लिए गए. जब मैंने बच्चे का कानूनी गोदनामा प्रस्तुत किया तो उसे अमान्य करार कर दिया गया और बिना मेरी सहमति तीसरे बच्चे की स्वीकृति बता दिया गया. उन्होंने कहा कि 27 जुलाई को मुझे बयान के लिए बुलाया गया और 2 अगस्त को नियुक्ति बर्ख़ास्तगी के आदेश जारी हो गए. ऐसे में सरकारी प्रकरण में किसी भी जांच में इतनी जल्दी आदेश कभी नहीं आए हैं. जितनी जल्दी मुझ पर कार्रवाई हुई है. ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं की बिना शिकायत, बिना सहमति, बिना तीसरे बच्चे की स्वीकृति कार्रवाई किए जाने का क्या अर्थ है.

कानूनन सिर्फ दो ही बच्चों का पिता है पीड़ित शिक्षक: शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा ने बताया कि "उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 में दी थी, तब उनके दो बच्चे थे लेकिन नियुक्ति अभी मार्च 2023 में दी गई है. ये शासन की लेटलतीफी है. डेढ़ वर्ष पूर्व उन्हें तीसरा बच्चा हुआ, लेकिन उनकी पत्नी की बहन ने उस बच्चे को संतान ना होने के चलते कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले लिया था. कानूनी रूप से और सामाजिक रूप से उनके सिर्फ दो ही बच्चे हैं. अब वे इस संबंध में न्यायालय में आगे की लड़ाई लड़ेंगे. यहां जिम्मेदारों ने कार्रवाई के नाम पर नियमों का दुरुपयोग किया है. उन्होंने जल्द ही इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर और भी खुलासे करने की बात कही है.

भिंड। जिले के अमायन सीएम राइज स्कूल में पदस्थ एक शिक्षक को तीसरी संतान पैदा होने पर सरकारी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, ये कार्रवाई शिक्षक गणेश शर्मा द्वारा नियुक्ति के बाद तीसरी संतान होने की जानकारी छिपाने और गलत दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति लेने को लेकर की गई है. शिक्षक की नियुक्ति चार महीने पहले ही 30 मार्च को हुई थी. अंग्रेजी के शिक्षक की तीसरी संतान को लेकर नियुक्ति खारिज करने के आदेश जारी हो चुके हैं. वहीं पीड़ित शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा ने अब ETV भारत से बातचीत कर पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है.

शिक्षक का आरोप: इस मामले में जब ETV Bharat ने पीड़ित शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा से फ़ोन पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि "यह पूरी कार्रवाई द्वेष भावना के तहत कराई गई है. जिसमें अधिकारी भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी में जिले में 140 शिक्षक ऐसे हैं, जिनके तीन बच्चे हैं. तो अंदाजा लगाइए कि जिले में कितने सरकारी कर्मचारी ऐसे होंगे. लेकिन मेरे मामले में टारगेट कर तथ्यों को छिपाकर कार्रवाई की गई है.

चार महीने पहले ही मिली थी नियुक्ति: भिंड के अमायन में पदस्थ शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा शिक्षक पात्रता परीक्षा में 2834 रैंक हांसिल की थी और उनकी नियुक्ति अंग्रेजी विषय में माध्यमिक शिक्षक के पद पर भिंड जिले के अमायन शासकीय सीएम राइज स्कूल में 30 मार्च 2023 को की गई थी.

नियुक्ति के चार महीने बाद ही शिक्षक बर्खास्त
नियुक्ति के चार महीने बाद ही शिक्षक बर्खास्त

तीसरी संतान की सम्बंध में जानकारी छिपाने की थी शिकायत: मामले में मोड़ तब आया जब भिंड जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा ग्वालियर संभाग के लोक शिक्षण विभाग के संयुक्त संचालक के पास शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा के खिलाफ नियुक्ति के बाद तीसरी संतान पैदा होने के संबंध में कार्रवाई के लिए पत्राचार किया गया. चूंकि 2001 से ही मध्यप्रदेश में शासकीय सेवकों के लिए नियुक्ति के बाद दो से अधिक संतान पर रोक का प्रावधान है, ऐसे में शिक्षक गणेश शर्मा की नियुक्ति को निष्क्रिय किए जाने के संबंध में जांच प्रतिवेदन दिया गया था.

क्या बोले मेहगांव ब्लॉक शिक्षा अधिकारी: इस मामले की जांच लोक शिक्षण ग्वालियर संभाग के सहायक संचालक दीपक कुमार पांडेय द्वारा करायी गई, जिसमें इस प्रकरण के संबंध में उपलब्ध कराए गए. साक्ष्य में तीसरे बच्चे के पैदा होने की बात सत्य पायी गई, जिसे खुद गणेश शर्मा ने भी स्वीकार किया. इसके बाद उनकी नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाने के आदेश जारी किए जा चुके हैं, साथ ही इस मामले में शिक्षक के ऊपर FIR कराने के संबंध में पुलिस अधीक्षक से पत्राचार किया गया है. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत से बातचीत में मेहगांव ब्लॉक शिक्षा अधिकारी आरडी मित्तल ने भी की है.

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कोर्ट की शरण में पहुंचा शिक्षक: वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार "शिक्षक गणेश प्रसाद इस मामले में हुए आदेश के खिलाफ कोर्ट की शरण में चले गये हैं, उनका पक्ष है कि तीसरी संतान पैदा होने के साथ ही उनके एक रिश्तेदार ने बच्चा कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले लिया था. यह कार्रवाई तीसरे व्यक्ति द्वारा द्वेष भावना के चलते जबरन कराई गई है और इसमें गोद लिए जाने संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत ना कर जांच को भटकाया गया है. इसलिए वे इस मामले में अपने हक के लिए अब कानूनी रूप लड़ाई लड़ेंगे."

शिकायतकर्ता ने शिकायत वापस ली: गणेश शर्मा पर हुई कार्रवाई के संबंध में अपनी सफाई देते हुए कहा की "उनके घर के सामने रहने वाले महावीर उपाध्याय महावीर शर्मा ने द्वेष भावना के चलते एक तीसरे व्यक्ति द्वारा शिकायत कराई थी, लेकिन बाद में उस व्यक्ति ने अपनी शिकायत वापस भी ले ली थी, लेकिन मुझे टारगेट कर उसके बाद भी आनन फानन में कार्रवाई की गई. इस जांच के संबंध में मुझसे कोई दस्तावेज नहीं लिए गए. जब मैंने बच्चे का कानूनी गोदनामा प्रस्तुत किया तो उसे अमान्य करार कर दिया गया और बिना मेरी सहमति तीसरे बच्चे की स्वीकृति बता दिया गया. उन्होंने कहा कि 27 जुलाई को मुझे बयान के लिए बुलाया गया और 2 अगस्त को नियुक्ति बर्ख़ास्तगी के आदेश जारी हो गए. ऐसे में सरकारी प्रकरण में किसी भी जांच में इतनी जल्दी आदेश कभी नहीं आए हैं. जितनी जल्दी मुझ पर कार्रवाई हुई है. ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं की बिना शिकायत, बिना सहमति, बिना तीसरे बच्चे की स्वीकृति कार्रवाई किए जाने का क्या अर्थ है.

कानूनन सिर्फ दो ही बच्चों का पिता है पीड़ित शिक्षक: शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा ने बताया कि "उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 में दी थी, तब उनके दो बच्चे थे लेकिन नियुक्ति अभी मार्च 2023 में दी गई है. ये शासन की लेटलतीफी है. डेढ़ वर्ष पूर्व उन्हें तीसरा बच्चा हुआ, लेकिन उनकी पत्नी की बहन ने उस बच्चे को संतान ना होने के चलते कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले लिया था. कानूनी रूप से और सामाजिक रूप से उनके सिर्फ दो ही बच्चे हैं. अब वे इस संबंध में न्यायालय में आगे की लड़ाई लड़ेंगे. यहां जिम्मेदारों ने कार्रवाई के नाम पर नियमों का दुरुपयोग किया है. उन्होंने जल्द ही इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर और भी खुलासे करने की बात कही है.

Last Updated : Aug 8, 2023, 4:16 PM IST
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