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आखिर क्यों सौ की उम्र में पूर्व डकैत को लड़ना पड़ रही हक की लड़ाई, जानें पंचम सिंह की बगावत की वजह - Pancham Singh ashram

चम्बल का वह खूंखार डकैत जिसने अपराध की राह छोड़ कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला लिया. सौ वर्षीय पंचम सिंह आज अपने जीवन के अंतिम पड़ाव को जी रहे हैं, लेकिन इस उम्र में भी अब उन्हें प्रशासन के खिलाफ बगावत करनी पद रही है. क्यूंकि विकास के नाम पर स्थानीय प्रशासन उनके आश्रम को उजाड़ने पर आमादा है. जानिए क्या है पूरा मामला....

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Published : Feb 28, 2023, 11:06 PM IST

भिंड बगावती डकैत पंचम सिंह

भिंड। जिस चम्बल की पहचान कभी डाकुओं से थी, लोगों में इस क्षेत्र से गुजरने में पसीने आ जाते थे. वही चम्बल दो दशक पहले दस्यु मुक्त हुआ. क्योंकि अपराध की राह छोड़कर कई बागी-डकैतों ने तत्कालीन सरकारों के आह्वाहन पर आत्मसमर्पण कर विकास की मुख्य धारा से जुड़ने का फैसला लिया. ऐसे ही एक पूर्व दस्यु रहे पंचम सिंह चौहान. 1960 के दशक में इन पर कई डकैती अपहरण और 125 हत्याओं का आरोप था. 500 सदस्यों की गैंग की सरकार डाकू पंचम सिंह पर 2 करोड़ का इनाम था लेकिन फांसी की सजा ना होने की शर्त पर पंचम सिंह ने 1972 में सरेंडर कर दिया और जेल चले गए.

प्रशासन के खिलाफ आवाज: जेल से सजा करने के बाद पंचम सिंह रिहा हुए तो भिंड जिले की लहर तहसील में जा कर बस गए. यहीं उन्होंने लहार के बाजार में स्थित भूमि पर ब्रह्मकुमारी आश्रम की शुरुआत की. लेकिन एक बार फिर पंचम सिंह को स्थानीय प्रशासन और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पड़ रही है. पूर्व दस्यु पंचम सिंह के आश्रम को स्थानीय प्रशासन सौंदर्यीकरण और विकास के नाम पर तोड़ने जा रहा है जिसके लिए पंचम सिंह को नगर पालिका लहार की तरफ से नोटिस भी जारी किया गया है.

आश्रम के लिए जान देने को तैयार: पूर्व दस्यु पंचम सिंह आज सौ वर्ष के हो चुके है. इस उम्र में उन्हें इस तरह की लड़ाई लड़ना पड़ेगी उन्होंने सोचा भी नहीं था. वे कहते हैं कि वे अपने जीते जी इस आश्रम को टूटने नहीं देंगे चाहे इसके लिए उन्हें अपने प्राण ही क्यों ना त्यागने पड़ें. वे अनशन करेंगे. धरना करेंगे जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट भी जाएंगे. लेकिन हार नहीं मानेंगे.

बेटे ने बताया बिल्डिंग का महत्व: पूर्व दस्यु पंचम सिंह के बेटे संतोष ने बताया कि जब उनके पिता जेल से लौटे तो उस वक़्त उन्होंने लहार में बाजार पर प्रो जमीन पर इस आश्रम की शुरुआत की थी. इस भवन को गीता भवन नाम दिया गया था. नीचे एक दुकान बनाई थी और ऊपर की मंजिल में आश्रम जहां हमेशा धार्मिक सत्संग होते रहते हैं, लेकिन हाल ही नगर पालिका द्वारा उनके पिता के नाम नोटिस जारी कर दुकान को नगर के सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट के तहत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है. जिसके लिए उनकी दुकान तोड़ी जाएगी जिसे खाली कराया जाए. संतोष ने बताया कि, अगर दुकान तोड़ी गई तो पूरी बिल्डिंग ही टूट जाएगी. इसके लिए प्रशासन किसी दूसरी जगह आश्रम को विस्थापित कराए. क्योंकि इस आश्रम से उनके पिता की भावनायें भी जुड़ी हुई हैं.

सरकार के नियम गिना रहे नपा अधिकारी: इस मामले में नगर पालिका के अधिकारियों ने बताया की पंचम सिंह पिछले कई वर्षों से एक रुपये किराए पर किराएदार हैं. अब नगर सौंदर्यीकरण के तहत शॉपिंग काम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा है इसलिए सरकार के नियम और मंशा के अनुसार उनसे दुकान खाली कराई जा रही है. बाद में उन्हें उस काम्प्लेक्स में दुकान आवंटित भी की जाएगी. जिसके लिए शासन से तय किराया उन्हें देना होगा इसीलिए नोटिस भेजा गया है. पंचम सिंह नोटिस के बाद और तो थे, लेकिन कोई विरोध नहीं जताया गया है.

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बगावत की हार: वर्षों तक डाकू रहने के बाद जेल करने के बाद पंचम सिंह इस समाज की मुख्यधारा से जुड़े लेकिन सौ की उम्र में उन्हें एक बार फिर सरकार और प्रशासन के खिलाफ अपने हक के लिए हाथ उठाने पड़ रहे हैं. जिस उम्र में बुजुर्ग आराम करते हैं उम्र के उस पड़ाव में पंचम फिर बगावत की हार पर चलते नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बार उनकी लड़ाई किसी मुकाम पर पहुंचेगी या नहीं ये फिलहाल कहना मुमकिन नहीं है.

भिंड बगावती डकैत पंचम सिंह

भिंड। जिस चम्बल की पहचान कभी डाकुओं से थी, लोगों में इस क्षेत्र से गुजरने में पसीने आ जाते थे. वही चम्बल दो दशक पहले दस्यु मुक्त हुआ. क्योंकि अपराध की राह छोड़कर कई बागी-डकैतों ने तत्कालीन सरकारों के आह्वाहन पर आत्मसमर्पण कर विकास की मुख्य धारा से जुड़ने का फैसला लिया. ऐसे ही एक पूर्व दस्यु रहे पंचम सिंह चौहान. 1960 के दशक में इन पर कई डकैती अपहरण और 125 हत्याओं का आरोप था. 500 सदस्यों की गैंग की सरकार डाकू पंचम सिंह पर 2 करोड़ का इनाम था लेकिन फांसी की सजा ना होने की शर्त पर पंचम सिंह ने 1972 में सरेंडर कर दिया और जेल चले गए.

प्रशासन के खिलाफ आवाज: जेल से सजा करने के बाद पंचम सिंह रिहा हुए तो भिंड जिले की लहर तहसील में जा कर बस गए. यहीं उन्होंने लहार के बाजार में स्थित भूमि पर ब्रह्मकुमारी आश्रम की शुरुआत की. लेकिन एक बार फिर पंचम सिंह को स्थानीय प्रशासन और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पड़ रही है. पूर्व दस्यु पंचम सिंह के आश्रम को स्थानीय प्रशासन सौंदर्यीकरण और विकास के नाम पर तोड़ने जा रहा है जिसके लिए पंचम सिंह को नगर पालिका लहार की तरफ से नोटिस भी जारी किया गया है.

आश्रम के लिए जान देने को तैयार: पूर्व दस्यु पंचम सिंह आज सौ वर्ष के हो चुके है. इस उम्र में उन्हें इस तरह की लड़ाई लड़ना पड़ेगी उन्होंने सोचा भी नहीं था. वे कहते हैं कि वे अपने जीते जी इस आश्रम को टूटने नहीं देंगे चाहे इसके लिए उन्हें अपने प्राण ही क्यों ना त्यागने पड़ें. वे अनशन करेंगे. धरना करेंगे जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट भी जाएंगे. लेकिन हार नहीं मानेंगे.

बेटे ने बताया बिल्डिंग का महत्व: पूर्व दस्यु पंचम सिंह के बेटे संतोष ने बताया कि जब उनके पिता जेल से लौटे तो उस वक़्त उन्होंने लहार में बाजार पर प्रो जमीन पर इस आश्रम की शुरुआत की थी. इस भवन को गीता भवन नाम दिया गया था. नीचे एक दुकान बनाई थी और ऊपर की मंजिल में आश्रम जहां हमेशा धार्मिक सत्संग होते रहते हैं, लेकिन हाल ही नगर पालिका द्वारा उनके पिता के नाम नोटिस जारी कर दुकान को नगर के सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट के तहत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है. जिसके लिए उनकी दुकान तोड़ी जाएगी जिसे खाली कराया जाए. संतोष ने बताया कि, अगर दुकान तोड़ी गई तो पूरी बिल्डिंग ही टूट जाएगी. इसके लिए प्रशासन किसी दूसरी जगह आश्रम को विस्थापित कराए. क्योंकि इस आश्रम से उनके पिता की भावनायें भी जुड़ी हुई हैं.

सरकार के नियम गिना रहे नपा अधिकारी: इस मामले में नगर पालिका के अधिकारियों ने बताया की पंचम सिंह पिछले कई वर्षों से एक रुपये किराए पर किराएदार हैं. अब नगर सौंदर्यीकरण के तहत शॉपिंग काम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा है इसलिए सरकार के नियम और मंशा के अनुसार उनसे दुकान खाली कराई जा रही है. बाद में उन्हें उस काम्प्लेक्स में दुकान आवंटित भी की जाएगी. जिसके लिए शासन से तय किराया उन्हें देना होगा इसीलिए नोटिस भेजा गया है. पंचम सिंह नोटिस के बाद और तो थे, लेकिन कोई विरोध नहीं जताया गया है.

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बगावत की हार: वर्षों तक डाकू रहने के बाद जेल करने के बाद पंचम सिंह इस समाज की मुख्यधारा से जुड़े लेकिन सौ की उम्र में उन्हें एक बार फिर सरकार और प्रशासन के खिलाफ अपने हक के लिए हाथ उठाने पड़ रहे हैं. जिस उम्र में बुजुर्ग आराम करते हैं उम्र के उस पड़ाव में पंचम फिर बगावत की हार पर चलते नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बार उनकी लड़ाई किसी मुकाम पर पहुंचेगी या नहीं ये फिलहाल कहना मुमकिन नहीं है.

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