भिंड। मध्य प्रदेश में आंनगबाड़ियां किस तरह से संचालित हो रही हैं, इसकी एक बानगी भिंड जिले में देखने को मिली. जहां आंगनबाड़ी में बांटे जाने वाले पोषण आहार में कीड़े मिले. यानि जच्चा और बच्चा दोनों की जान से सिस्टम खिलवाड़ कर रहा है. लिहाजा ईटीवी भारत ने भिंड जिले में आंगनबाड़ियों की स्थिति का जायजा लिया, तो पता चला कि, 2451 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन इन आंनगबाड़ियों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
लॉकडाउन के बाद आंगनबाड़ियों का संचालन एक बड़ी समस्या है. भिंड जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में तैनात कार्यकर्ता और सहायिकाएं तो अपनी जिम्मेदारी निभाने की पूरी कोशिश कर रही हैं. कोरोना के बाद भी आंगनबाड़ियों में टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं को दवाइयां, बच्चों को अनुपूरक पोषण और 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की देखभाल कर रही हैं, लेकिन महिला बाल विकास विभाग के बड़े अधिकारियों का आलम ये है कि, जिम्मेदार सिर्फ कागजी काम पूरा कर सरकारी मंशा की इतिश्री कर रहे हैं.
पोषण आहार में मिले कीड़े
भिंड जिले के वार्ड क्रमांक 11/2 आंगनबाड़ी केंद्र में बांटे जाने वाले पोषण आहार और सत्तू में कीड़े मिले. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि, जब यह खाना बच्चे और गर्भवती महिलाएं खाएंगी, तो उनका बीमार होना निश्चित है. यह घटना भिंड जिला मुख्यालय के आंगनबाड़ी केंद्र की है. तो फिर ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्र किस हाल में संचालित हो रहे हैं. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
किराए के भवन में संचालित होती हैं आंगनबाड़ी
भिंड जिले में 2 हजार 451 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं. लेकिन 80 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं. कई आंगनबाड़ी केंद्र तो महज एक कमरे में संचालित हो रहे हैं. जबकि शासन के नियमानुसार आंगनबाड़ी केंद्र के लिए कम से कम 650 वर्ग फुट क्षेत्र होना आवश्यक है. जिनमें कमरे भी कम से कम 3×3 वर्ग मीटर होना अनिवार्य है. भवन में एक बरामदा होना भी जरुरी है. तो वहीं साफ और स्वच्छ रसोईघर और स्टोर जो लगभग 18 फीट चौड़ा और करीब 10 फीट लंबा होना चाहिए. लेकिन भिंड जिले के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों में यह कई सुविधाएं मौजूद नहीं हैं.
कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नहीं मिल रहा समय से वेतन
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने विभाग के रवैया से ही काफी दुखी हैं. अक्सर विभाग के खिलाफ कुछ भी कहना छोटे कर्मचारी के लिए काफी भारी साबित होता है. आलम ये है कि, कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पर्याप्त वेतन तक नहीं मिलता. ईटीवी भारत से बात करते हुए कार्यकर्ता मंजू लता ने बताया कि, उन्हें पिछले चार महीनों से मानदेय नहीं मिल रहा है. एक तरफ कोरोना जैसी भयावह बीमारी फैली हुई है, दूसरी तरफ आय का कोई साधन नहीं है. विभाग की तरफ से मई 2020 के बाद से अब तक मानदेय नहीं मिला है. मई में मिला वेतन भी 8 हजार रुपए था. ऐसे में घर का खर्चा चलाना मुश्किल है. जब पोषण आहार में कीड़े मिलने की बात महिला बाल विकास विभाग के डीपीओ अब्दुल गफ्फार खान से की गई, तो उन्होंने रटा-रटाया जबाव दिया. इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.
भिंड जिले के 2 हजार 451 आंगनबाड़ी केंद्रों में आधे से ज्यादा किराए के केंद्रों में संचालित हो रहे हैं. तो संक्रमण फैलाव के डर से बच्चे रेडी टू ईट पोषण आहार के पैकेट आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर बांटे जा रहे हैं, लेकिन जब पोषण आहार में ही कीड़े मिल रहे हैं, तो स्थिति को समझा जा सकता है. भिंड जिले में फिलहाल 869 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में हैं, तो लगभग 13000 बच्चे मध्यम कम वजन की श्रेणी में आ रहे हैं. इन स्थितियों को सुधारने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं तो अपना फर्ज निभा रही हैं. विभाग के बड़े अधिकारी योजनाएं चलाने की बात तो करते हैं. लेकिन यह योजनाएं धरातल पर कितना काम करती हैं, ये किसी को नहीं पता.