भिंड। साइबर वर्ल्ड कहें या साइबर स्पेस आज ये एक अलग दुनिया है. लगभग हर व्यक्ति आज साइबर वर्ल्ड का हिस्सा है, जितना तेजी से लोग ऑनलाइन दुनिया से जुड़ रहे हैं. सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग से जुड़ रहे हैं, उतना ही तेजी से लोग साइबर अपराधों का भी शिकार हो जाते हैं. इसलिए जानकारी और जागरूकता बहुत जरूरी है. यह बातें साइबर सिक्योरिटी में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाले एशिया के पहले पुलिस अधिकारी और एडीजी डॉ. वरुण कपूर (adg varun kapoor exclusive interview) ने कही. भिंड दौरे पर पहुंचे एडीजी कपूर ने ETV भारत से खास बातचीत की.
साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस सेमिनार लेने पहुंचे थे एडीजी
एमपी पुलिस के एडीजी डॉ. वरुण कपूर साइबर सिक्योरिटी को लेकर लगातार अवयरनेस प्रोग्राम (cyber security awareness program) चला रहे हैं. इसके तहत पूरे प्रदेश में अलग-अलग जिलों में खासकर छात्रों और युवाओं के बीच पहुंच कर देश दुनिया में हो रहे साइबर क्राइम और इंटरनेट के जरिए ठगी जैसे अपराधों के बारे में चर्चा कर रहे हैं. इसी के तहत शुक्रवार को एडीजी डॉ. वरुण कपूर भिंड पहुंचे. यहां आयोजित सेमिनार में उन्होंने साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुल्लिंग, डेबिट-क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फेक प्रोफाइलिंग समेत कई मुद्दों पर केस स्टडीज की जानकारी दी. इसके साथ ही इनसे सावधान रहने और पहचानने के तरीके भी बताए. उन्होंने इस दौरान बच्चों द्वारा ऑनलाइन गेम के नुकसान और उनसे शिकार होने वाले लोगों का भी उदाहरण दिया.
अब तक चार लाख लोगों को किया जागरूक
एडीजी ने कहा की साइबर वर्ल्ड में अपराधी आपको तब तक शिकार नहीं बना सकता. जब तक आप खुद अपनी जानकारी उसे नही दें. उनका कहना है कि हम सावधान तभी हो सकते हैं, जब हमें किसी विषय की जानकारी हो. इसीलिए इस तरह के अवेयरनेस प्रोग्राम चलकर जागरूक किया जा रहा है. उनका कहना था अब तक अकेले वे खुद चार लाख लोगों को सीधे इंटरेक्शन कर जागरूक कर चुके हैं.
साइबर वर्ल्ड में खुद को सुरक्षित रखने का बताया तरीका
लगातार साइबर वर्ल्ड में साइबर अपराधियों की बढ़ी सक्रियता के चलते आमजन से लेकर सेलेब्रिटी और वीआईपी तक प्रोफाइल फेकिंग (profile faking fraud in mp) का शिकार हो रहे हैं. डुप्लीकेट या फेक आईडी बनाकर उधार पैसा मांगते हैं. कई लोग इस फ्रॉड में फंस जाते हैं. इससे कैसे बचा जा सकता है. इस सवाल का जवाब देते हुए एडीजी ने बताया कि दो स्टेज का प्रोटोकोल फॉलो कर लोग इस तरह की धोखाधड़ी से बच सकते हैं. पहला नियम साइबर स्पेस में अनजान से कोई सम्पर्क नहीं रखना, फिर वह व्यक्ति कोई भी हो. दूसरा नियम है कि आपको यदि जाना पहचाना भी लग रहा है, तो उसे वेरिफाई जरूर करें. क्योंकि साइबर वर्ल्ड में आपको कुछ भी दिखाया जा सकता है, कुछ भी सुनाया जा सकता है. एडीजी कपूर से सवाल किया कि अब अपराधी ऑनलाइन दुनिया को भी अपना माध्यम बनाने लगे हैं. Amazon द्वारा गांजा की तस्करी जैसी घटनायें सामने आ रही है. पुलिस इन पर कैसे काम कर रही है. इस सवाल के जवाब में एडीजी ने कहा कि पुलिस इस पर भी लगातार काम और कार्रवाई कर रही है.
इन दो तरीकों से करें बच्चों पर निगरानी
देश में बच्चों के बीच बढ़ रहे ऑनलाइन गेमिंग क्रेज (online gaming fraud in mp) से जान के खतरे और फिर इन गेम के जरिए की जा रही ठगी से बचाव किस तरह किया जा सकता है? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर वरुण कपूर ने कहा कि बच्चों के मामले में बच्चों का अवेयर होना बहुत जरूरी है. साथ ही साथ बच्चों की मॉनिटरिंग भी बहुत अच्छे से की जानी चाहिए. यह मॉनिटरिंग बच्चों के माता-पिता और शिक्षकों को करनी होगी.
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एडीजी ने बताया की मॉनिटरिंग दो तरीके से की जा सकती है. पहली इंवेसिव यानी सॉफ्टवेयर के माध्यम से. यानी आप बच्चे की डिवाइस (मोबाइल या लैपटॉप) को टेक्नॉलजी के माध्यम से उसमें देख सकें. दूसरा तरीका है परसुएसिव मॉनिटरिंग यानी बातचीत या इंटरेक्शन या काउन्सलिंग जो टीचर या प्रोफेसर कर सकते हैं. इन दोनो तरीको से बच्चों की मॉनिटरिंग जरूरी है.