बैतूल। कहते हैं, कला किसी की मोहताज नहीं होती, अगर हाथों में हुनर हो तो, पत्थर में भी जान फूंक सकते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा विद्युत मंडल सारनी से सेवानिवृत्त हो चुके नारायण मानकर ने कर दिखाया है. आज उनकी संकल्प यात्रा पूर्ण हो रही है, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन हो रहा है. उन्होंने कई वर्ष पूर्व लकड़ी पर अपनी परिकल्पना को साकार करते हुए अयोध्या में बनने वाले मंदिर की तर्ज पर श्री राम मंदिर का निर्माण किया है.
विद्युत मंडल में कार्यरत रहते हुए नारायण मानकर ने कार्य अवधि के बाद मिलने वाले समय का सदुपयोग करते हुए प्रतिदिन 3 से 4 घंटे की मेहनत करते हुए लकड़ी को तराश कर करीब 6 माह में राम मंदिर का निर्माण- 2014 में पूर्ण किया है. जिसमें उनकी पत्नी सुशीला मानकर ने भी भरपूर सहयोग किया है.
नारायण मानकर ने बताया कि, 'मैंने किसी प्रकार लकड़ी पर कार्य करने का प्रशिक्षण नहीं लिया, भगवान श्री राम का स्मरण करते हुए लकड़ी के 3 फीट टुकड़े पर, औजारों की मदद से श्री राम प्रभु का मंदिर बनाने के कार्य में लग गया और 6 माह की अवधि में मंदिर का निर्माण किया है'.
5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हो चुका है, इस मौके पर उनका पूरा परिवार काफी खुश है. उन्होंने यह भी बताया कि, मेरे द्वारा 2014 से पूर्व में भी श्री राम मंदिर का निर्माण किया जा चुका है, जिसे मैंने मेरे परिचित को उपहार स्वरूप प्रदान कर दिया था. जिसके बाद मेरे घर में संकट का एहसास होने लग गया था. जिसके चलते दोबारा राम मंदिर का निर्माण मेरे द्वारा किया गया. इसके अलावा भी एक गायत्री मंदिर समेत अन्य कलाकृतियों का निर्माण किया गया है.