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गैस पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट कब तक होगी डिजिटल? हाई कोर्ट ने जताई नारजगी - BHOPAL GAS VICTIMS TREATMENT

भोपाल गैस कांड पीड़ितों के इलाज में लापरवाही. ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार करने में देरी. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी.

Bhopal gas victims treatment
गैस पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट डिजिटल होगी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 20 hours ago

जबलपुर : भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विशाल जैन की युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी की. साथ ही आदेश दिया "एक सप्ताह में राज्य सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण के सचिव और बीएमएचआरसी के डायरेक्टर संयुक्त बैठक करें. इसमें गैस प्रभावित मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट का डिजिटलीकरण करने अंतिम कार्ययोजना तैयार करें." युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को निर्धारित की है.

पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के लिए मॉनिटरिंग कमेटी

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए गए थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित की गई थी. कोर्ट के निर्देश थे कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक 3 माह में अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. इसी से संबंधित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है.

मरीजों का रिकॉर्ड डिजिटल करने की कवायद

बता दें कि मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी. इसके बाद सरकार की तरफ से हलफनामा पेश किया गया. इसमें कहा गया था कि वर्ष 2014 से पूर्व के मेडिकल रिकॉर्ड बहुत पुराने हैं. इसलिए प्रतिदिन केवल 3000 पृष्ठों को ही स्कैन किया जा सकता है. अनुमान के अनुसार इस कार्य में लगभग 550 दिनों का समय लगेगा.

डिजिटलीकरण के लिए बजट का प्रावधान

सरकार ने हलफनामा में बताया था "मेडिकल रिपोर्ट का ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार करने के लिए ई-हॉस्पिटल परियोजना के अंतर्गत क्लाउड सर्वर बनेगा. इसके लिए प्रस्ताव बनाया गया. वित्तीय अनुमोदन के लिए ये अभी प्रस्ताव वित्त विभाग के पास लंबित है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में बजट आवंटित होने के बाद डिजिटलीकरण का काम होगा." याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता अंशुमान सिंह उपस्थित हुए.

जबलपुर : भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विशाल जैन की युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी की. साथ ही आदेश दिया "एक सप्ताह में राज्य सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण के सचिव और बीएमएचआरसी के डायरेक्टर संयुक्त बैठक करें. इसमें गैस प्रभावित मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट का डिजिटलीकरण करने अंतिम कार्ययोजना तैयार करें." युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को निर्धारित की है.

पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के लिए मॉनिटरिंग कमेटी

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए गए थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित की गई थी. कोर्ट के निर्देश थे कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक 3 माह में अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. इसी से संबंधित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है.

मरीजों का रिकॉर्ड डिजिटल करने की कवायद

बता दें कि मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी. इसके बाद सरकार की तरफ से हलफनामा पेश किया गया. इसमें कहा गया था कि वर्ष 2014 से पूर्व के मेडिकल रिकॉर्ड बहुत पुराने हैं. इसलिए प्रतिदिन केवल 3000 पृष्ठों को ही स्कैन किया जा सकता है. अनुमान के अनुसार इस कार्य में लगभग 550 दिनों का समय लगेगा.

डिजिटलीकरण के लिए बजट का प्रावधान

सरकार ने हलफनामा में बताया था "मेडिकल रिपोर्ट का ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार करने के लिए ई-हॉस्पिटल परियोजना के अंतर्गत क्लाउड सर्वर बनेगा. इसके लिए प्रस्ताव बनाया गया. वित्तीय अनुमोदन के लिए ये अभी प्रस्ताव वित्त विभाग के पास लंबित है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में बजट आवंटित होने के बाद डिजिटलीकरण का काम होगा." याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता अंशुमान सिंह उपस्थित हुए.

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