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सिलाई का काम कर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं, कर रहीं हजारों रुपए की कमाई

बैतूल जिले में महिलाएं सिलाई का काम कर आत्मनिर्भर बन रही हैं, जिससे हर महीने महिलाएं 4 हजार से 5 हजार रुपए तक की कमाई कर रही हैं.

Women are making petticoats
महिलाएं कर रही पेटीकोट सिलाई
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Published : Sep 23, 2020, 5:39 PM IST

बैतूल। घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में महिलाएं सिलाई से आत्मनिर्भर बन रही है. स्थानीय बाजारों में आकर्षक पैकिंग कर बेचने पर प्रत्येक महिला को 4 से 5 हजार रुपये की मासिक आय हो रही हैं. इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान जब लोग रोजगार के लिए परेशान हो रहे थे, तब महिलाएं मास्क बनाकर अपनी आय जारी रखी थी, जो सराहनीय है.


दीनदयाल अंत्योदय योजना और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से शाहपुर जनपद पंचायत में गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया गया है. वर्तमान में यहां महिलाएं पेटीकोट तैयार कर आकर्षक पैकिंग में स्थानीय बाजारों में बेचकर चार से पांच हजार रुपये की मासिक आय प्राप्त कर रही हैं, जो उनके लिए बड़ी आर्थिक सहूलियत है.


शाहपुर में संचालित प्रतिज्ञा महिला आजीविका संकुल स्तरीय परिसंघ से 20 गांव में 206 स्व-सहायता समूह को जोड़ा गया है, जिसमें सम्मिलित महिलाओं को कौशल के अनुरूप नये-नये रोजगार से जोड़ा जा रहा है.

इसी दिशा में एक पहल शाहपुर में स्थापित आजीविका सिलाई सेन्टर की है, जिसमें 46 हाईटेक सिलाई मशीनों पर 50 महिलाएं कार्यरत हैं, जो वर्तमान में पेटीकोट सिलाई का कार्य कर रही है. इससे पूर्व महिलाओं द्वारा स्कूल ड्रेस, लोवर, टी-शर्ट और मास्क निर्माण का कार्य किया गया था.

पेटीकोट तैयार करने में लगने वाला कपड़ा (पोपलिन) रतन टेक्सटाइल और बालोत्रा राजस्थान से क्रय किया जा रहा है. पूर्ण तैयार पेटीकोट को आकर्षक पैकिंग में सीएलएफ से जुड़ी महिलाओं द्वारा स्थानीय बाजार में बेचा रहा है.

समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये आजीविका मिशन और जिला पंचायत के अधिकारियों द्वारा विशेष प्रयास किये गए हैं. इसका मुख्य श्रेय जिला पंचायत सीईओ एमएल त्यागी को जाता है.

बैतूल। घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में महिलाएं सिलाई से आत्मनिर्भर बन रही है. स्थानीय बाजारों में आकर्षक पैकिंग कर बेचने पर प्रत्येक महिला को 4 से 5 हजार रुपये की मासिक आय हो रही हैं. इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान जब लोग रोजगार के लिए परेशान हो रहे थे, तब महिलाएं मास्क बनाकर अपनी आय जारी रखी थी, जो सराहनीय है.


दीनदयाल अंत्योदय योजना और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से शाहपुर जनपद पंचायत में गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया गया है. वर्तमान में यहां महिलाएं पेटीकोट तैयार कर आकर्षक पैकिंग में स्थानीय बाजारों में बेचकर चार से पांच हजार रुपये की मासिक आय प्राप्त कर रही हैं, जो उनके लिए बड़ी आर्थिक सहूलियत है.


शाहपुर में संचालित प्रतिज्ञा महिला आजीविका संकुल स्तरीय परिसंघ से 20 गांव में 206 स्व-सहायता समूह को जोड़ा गया है, जिसमें सम्मिलित महिलाओं को कौशल के अनुरूप नये-नये रोजगार से जोड़ा जा रहा है.

इसी दिशा में एक पहल शाहपुर में स्थापित आजीविका सिलाई सेन्टर की है, जिसमें 46 हाईटेक सिलाई मशीनों पर 50 महिलाएं कार्यरत हैं, जो वर्तमान में पेटीकोट सिलाई का कार्य कर रही है. इससे पूर्व महिलाओं द्वारा स्कूल ड्रेस, लोवर, टी-शर्ट और मास्क निर्माण का कार्य किया गया था.

पेटीकोट तैयार करने में लगने वाला कपड़ा (पोपलिन) रतन टेक्सटाइल और बालोत्रा राजस्थान से क्रय किया जा रहा है. पूर्ण तैयार पेटीकोट को आकर्षक पैकिंग में सीएलएफ से जुड़ी महिलाओं द्वारा स्थानीय बाजार में बेचा रहा है.

समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये आजीविका मिशन और जिला पंचायत के अधिकारियों द्वारा विशेष प्रयास किये गए हैं. इसका मुख्य श्रेय जिला पंचायत सीईओ एमएल त्यागी को जाता है.

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