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बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण

अभी गर्मी की शुरुआत भी नहीं हो पाई है और बैतूल के कई इलाकों में जल संकट चरम पर पहुंच गया है

Villagers upset for water
पानी के लिए परेशान ग्रामीण
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Published : Mar 8, 2021, 1:35 PM IST

बैतूल। अभी गर्मी की शुरुआत भी नहीं हो पाई है और बैतूल के कई इलाकों में जल संकट चरम पर पहुंच गया है. ग्राम पंचायत अम्बाडा के अंतर्गत आने वाले ग्राम दहिपानी के ग्रामीणों को मीलों दूर से पीने और निस्तार के लिए पानी लेकर आना पड़ रहा है, मटमैला दूषित पानी जहां इनकी सेहत पर असर डाल रहा है. वहीं पानी निकालने पर कई फीट गहरे कुएं में जिस तरह लोग उतरते हैं और कुएं के मुंडेर के ऊपर जान हथेली पर रखकर खड़े रहकर पानी निकालते हैं, जो एक जोखिम भरा काम है.


पानी के लिए परेशान ग्रामीण

तीन चार सौ की आबादी वाले इस गांव में अभी तक भी पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इन्हें पीने के लिए किसान के निजी कुएं से पानी उपयोग में लेना पड़ रहा है तो वही निस्तार के लिए इन्हें गांव से लगे तालाब का उपयोग करना पड़ता है. इस तालाब का पानी भी खराब है. इसमें पशु पानी पीते हैं तो इस कीचड़ युक्त पानी से नहाने और कपड़े धोने का उपयोग किया जाता है.

विदिशा: लटेरी के रुसल्ली साहू गांव में नल जल योजना ठप, पानी के लिए परेशान ग्रामीण


कुएं-हेंडपंप में नहीं है पानी
ईमली बाई, शिवकली,दिनेश सहित ग्रामीणों कि मानें तो कई बार तालाब के पानी से शरीर में खुजली हो जाती है. पीने के पानी के लिए गांव के आसपास एक दो कुएं हैं जो महज एक माह चलेंगे, दो हेडंपमप हैं जिसमें से पानी भी नहीं निकलता और मशक्कत करने पर 10/15 लिटर पानी ही निकल पाता है.

कुएं में कम पानी होने से जब इसे बहार निकाला जाता है तो वह भी मट मैला हो जाता है. सरपंच सचिव का वहीं पुराना जवाब होता है कि हमने आवेदन दिया है, लेकिन काम करना नहीं करना पीएचीई विभाग और जनपद पंचायत का है. हमारे पास इसके लिए कोई फण्ड नहीं है. पानी के लिए सुबह से लेकर दोपहर तक पानी की व्यवस्था में इनका दिन गुजर जाता है. ऐसे में केई बार इनकी मजबूरी हो जाती है.

ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल वोट के वक्त कहा जाता कि मैं जितने पर सबसे पहले आपकी पानी की व्यवस्था बनाउंगा, बाद में हमें ही दर्शन नहीं होते. रंजित सिंह ठाकुर मुख्य पीएचीई कार्यपालन अधिकारी बैतूल का कहना है कि दहीपानी गांव में पानी कि समस्या की जानकारी मुझे मिली है, मैं सम्बंधित अधिकारियों को वहां भिजवाकर ग्रामीणों के मार्गदर्शन में जहां पानी मिल सके. उसके लिए बोर, कुओं के जरिए से व्यवस्था बनवाते हैं.

बैतूल। अभी गर्मी की शुरुआत भी नहीं हो पाई है और बैतूल के कई इलाकों में जल संकट चरम पर पहुंच गया है. ग्राम पंचायत अम्बाडा के अंतर्गत आने वाले ग्राम दहिपानी के ग्रामीणों को मीलों दूर से पीने और निस्तार के लिए पानी लेकर आना पड़ रहा है, मटमैला दूषित पानी जहां इनकी सेहत पर असर डाल रहा है. वहीं पानी निकालने पर कई फीट गहरे कुएं में जिस तरह लोग उतरते हैं और कुएं के मुंडेर के ऊपर जान हथेली पर रखकर खड़े रहकर पानी निकालते हैं, जो एक जोखिम भरा काम है.


पानी के लिए परेशान ग्रामीण

तीन चार सौ की आबादी वाले इस गांव में अभी तक भी पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इन्हें पीने के लिए किसान के निजी कुएं से पानी उपयोग में लेना पड़ रहा है तो वही निस्तार के लिए इन्हें गांव से लगे तालाब का उपयोग करना पड़ता है. इस तालाब का पानी भी खराब है. इसमें पशु पानी पीते हैं तो इस कीचड़ युक्त पानी से नहाने और कपड़े धोने का उपयोग किया जाता है.

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कुएं-हेंडपंप में नहीं है पानी
ईमली बाई, शिवकली,दिनेश सहित ग्रामीणों कि मानें तो कई बार तालाब के पानी से शरीर में खुजली हो जाती है. पीने के पानी के लिए गांव के आसपास एक दो कुएं हैं जो महज एक माह चलेंगे, दो हेडंपमप हैं जिसमें से पानी भी नहीं निकलता और मशक्कत करने पर 10/15 लिटर पानी ही निकल पाता है.

कुएं में कम पानी होने से जब इसे बहार निकाला जाता है तो वह भी मट मैला हो जाता है. सरपंच सचिव का वहीं पुराना जवाब होता है कि हमने आवेदन दिया है, लेकिन काम करना नहीं करना पीएचीई विभाग और जनपद पंचायत का है. हमारे पास इसके लिए कोई फण्ड नहीं है. पानी के लिए सुबह से लेकर दोपहर तक पानी की व्यवस्था में इनका दिन गुजर जाता है. ऐसे में केई बार इनकी मजबूरी हो जाती है.

ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल वोट के वक्त कहा जाता कि मैं जितने पर सबसे पहले आपकी पानी की व्यवस्था बनाउंगा, बाद में हमें ही दर्शन नहीं होते. रंजित सिंह ठाकुर मुख्य पीएचीई कार्यपालन अधिकारी बैतूल का कहना है कि दहीपानी गांव में पानी कि समस्या की जानकारी मुझे मिली है, मैं सम्बंधित अधिकारियों को वहां भिजवाकर ग्रामीणों के मार्गदर्शन में जहां पानी मिल सके. उसके लिए बोर, कुओं के जरिए से व्यवस्था बनवाते हैं.

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