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महिलाओं के जुनून और जज्बे को सलाम, बिना सरकारी मदद के बनाया अपना मुकाम - women did plantation

वसुंधरा महिला मंडल की 16 महिलाओं ने प्रशासन की अनुमति लेकर महज 2 साल में 3 तालाब बना लिए. ये तालाब 4 से 6 हेक्टेयर में बने हुए हैं. बिना सरकारी मदद के वे लगातार कई काम कर रही हैं और आसपास के गांवों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं.

महिलाओं ने किया नामुमकिन को मुमकिन
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Published : Jun 3, 2019, 2:31 PM IST

बैतूल। कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. फिर चाहे कितनी भी परेशानी क्यों न आए. ऐसी ही एक अनूठी मिसाल पेश की है बैतूल जिले के गोपीनाथपुर गांव की महिलाओं ने. यहां की महिला समूह के जुनून और जज्बे की हर कोई तारीफ कर रहा है.

महिलाओं ने किया नामुमकिन को मुमकिन

वसुंधरा महिला मंडल की 16 महिलाओं ने प्रशासन की अनुमति लेकर महज 2 साल में 3 तालाब खोदकर बना दिए. ये दोनों तालाब 4 से 6 हेक्टेयर में बने हुए हैं. ये तालाब भीषण गर्मी में भी लबालब भरे हुए हैं. महिलाएं तालाब के पानी से वृक्षारोपण के साथ-साथ खेती कर 1 से 2 लाख रुपए तक कमा रही हैं.वसुंधरा महिला मंडल समिति की महिलाओं की मानें तो खुदाई के पैसे नहीं होने पर तालाब की खुदाई उन्होंने खुद की और एक तालाब के पैसे से आगे का कारवां बढ़ता चला गया. आज ये महिलाएं सब्जी, फल, मछली पालन कर गुजर-बसर कर रही हैं. इन महिलाओं ने 150, आंवला के 70, संतरे के 110 और कटहल-अनार सहित और भी कई फलदार पेड़ लगाए हैं और इस साल इनका लक्ष्य 1,500 आम के पौधे लगाने का है.

इन महिलाओं की मानें तो प्रशासन की तरफ से अब तक कोई मदद नहीं मिली है. वहीं महिलाओं का कहना है कि प्रशासन इनकी इस कार्य में मदद करे, ताकि ये वृक्षारोपण के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकें.गौरतलब है कि सरकार जल संरक्षण और वृक्षारोपण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, बावजूद इसके दोनों पर ही संकट बरकरार है, वहीं इन महिलाओं ने जल संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण कर समाज को एक नया संदेश दिया है.

बैतूल। कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. फिर चाहे कितनी भी परेशानी क्यों न आए. ऐसी ही एक अनूठी मिसाल पेश की है बैतूल जिले के गोपीनाथपुर गांव की महिलाओं ने. यहां की महिला समूह के जुनून और जज्बे की हर कोई तारीफ कर रहा है.

महिलाओं ने किया नामुमकिन को मुमकिन

वसुंधरा महिला मंडल की 16 महिलाओं ने प्रशासन की अनुमति लेकर महज 2 साल में 3 तालाब खोदकर बना दिए. ये दोनों तालाब 4 से 6 हेक्टेयर में बने हुए हैं. ये तालाब भीषण गर्मी में भी लबालब भरे हुए हैं. महिलाएं तालाब के पानी से वृक्षारोपण के साथ-साथ खेती कर 1 से 2 लाख रुपए तक कमा रही हैं.वसुंधरा महिला मंडल समिति की महिलाओं की मानें तो खुदाई के पैसे नहीं होने पर तालाब की खुदाई उन्होंने खुद की और एक तालाब के पैसे से आगे का कारवां बढ़ता चला गया. आज ये महिलाएं सब्जी, फल, मछली पालन कर गुजर-बसर कर रही हैं. इन महिलाओं ने 150, आंवला के 70, संतरे के 110 और कटहल-अनार सहित और भी कई फलदार पेड़ लगाए हैं और इस साल इनका लक्ष्य 1,500 आम के पौधे लगाने का है.

इन महिलाओं की मानें तो प्रशासन की तरफ से अब तक कोई मदद नहीं मिली है. वहीं महिलाओं का कहना है कि प्रशासन इनकी इस कार्य में मदद करे, ताकि ये वृक्षारोपण के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकें.गौरतलब है कि सरकार जल संरक्षण और वृक्षारोपण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, बावजूद इसके दोनों पर ही संकट बरकरार है, वहीं इन महिलाओं ने जल संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण कर समाज को एक नया संदेश दिया है.

Intro:बैतूल ।।

भीषण गर्मी के चलते जहा जिले में जलसंकट की स्थिति बनी हुई है वही जिले की कुछ महिलाओ ने वो कर दिखाया है जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती । इन महिलाओं ने जलसंरक्षण के साथ साथ वृक्षारोपण की अनूठी मिसाल पेश की है । जिले के एक गांव की कुछ महिलाओं ने महज दो साल में दो तालाब खोद डाले जिसमे अब साल भर लाबाबलब पानी भरा रहता है । और इस पानी से ये महिलाएं खेती किसानी कर रही है और लाखो कमा रही है ।


Body:जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के गोपिनाथपुर गांव की महिलाओं ने एक समूह बनाकर असंभव को संभव कर दिखाया है । इन महिलाओं ने जिला प्रशासन से अनुमति लेकर महज दो साल में दो तालाब खोद डाले जिसमे आज लबालब पानी भरा हुआ है । ये दोनों तालाब 4 से 6 हैक्टेयर में बने हुए है । तालाब खुदाई के दौरान किसी भी प्रकार की कोई सरकारी मदद इन महिलाओं को नही मिल पाई लेकिन उसके बावजूद इन महिलाओं ने हिम्मत नही हारी और आपने काम मे लगी रही और नतीजा आज सबके सामने है ।


सन 2001 आखिर में गोपिनाथपुर की 16 महिलाओं ने वसुंधरा महिला मंडल के नाम से एक समूह बनाकर रजिस्ट्रेसन करवाया और तालाब खुदाई में लग गई । ये दोनों तालाब 2004 में बनकर तैयार हो गए थे उसके बाद कि बारिश में ही ये तालाब लबालब भर गए । ये महिलाएं आज इन दोनों तालाबो के पानी से खेती कर रही है और साल में सब्जी से 1 से 2 लाख, फलो की बिक्री से 2 और इतना ही मछली पालन से कमा रही है और गुजर बसर कर रही है ।

इन महिलाओं ने 150, आवला के 70, संतरे के 110 और कटहल अनार सहित और भी कई फलदार पेड़ लगाए है और इस साल इनका लक्ष्य 1,500 आम के पौधे लगाने का है । वही सब्जी में ककोड़ा, परमल और मिर्ची सहित अन्य सब्जिया लगाती है ।वही खेती किसानी में अब इन महिलाओं का परिवार भी इनका साथ देने में जुट गया है । इन महिलाओं को बस इतना मलाल ही कि उनकी इस पहल को जिला प्रशासन ने आज तक नही सराहा और ना कोई मदद की ।


Conclusion:इन महिलाओं ने जलसंरक्षण के साथ साथ व्रक्षारोपन कर
पर्यावरण को सुरक्षित रखने की अनूठी मिसाल पेश की है । इन महिलाओं के इस काम को देखकर जिला प्रशासन को सिख लेनी चाहिए ताकि जिले के पर्यावरण को सुरिक्षत रखा जा सके ।

बाइट -- मिली पाल ( अध्यक्ष, वसुंधरा महिला मंडल ) ( नीली साड़ी पहने हुए )
बाइट -- सुनीता पाल ( सदस्य ) ( लाल चुन्नी ओढ़े हुए )
बाइट -- सुजाता पाल ( सदस्य ) ( लाल साड़ी पहने हुए )
बाइट -- असीम पाल ( किसान मित्र )
बाइट --
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