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बैतूल: जिला अस्पताल की लिफ्ट में फंसे तीन लोग, तोड़कर निकाला गया बाहर

बैतूल जिला अस्पताल की लिफ्ट में मरीजों के परिजन फंस गए, सभी लोग करीब आधा घंटे तक लिफ्ट के अंदर ही फसे रहे, जिन्हें बाद में लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया.

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Published : Jul 9, 2019, 6:48 PM IST

जिला अस्पताल की लिफ्ट में फंसे तीन लोग

बैतूल| 18 करोड़ की लागत से बनी जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब मरीजों के परिजन लिफ्ट के अंदर फंस गए. सभी लोग करीब आधा घंटे तक लिफ्ट के अंदर ही फंसे रहे, जिन्हें बाद में लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया. लिफ्ट में फंसे हुए तीन लोगों में से दो लोग मरीज को खून देने जिला अस्पताल आए थे.

जिला अस्पताल की लिफ्ट में फंसे तीन लोग

लिफ्ट में मरीजों के परिजनों के फंसे होने की बात हॉस्पिटल प्रबंधन को पता चली उसके बाद टेक्निकल स्टाफ लिफ्ट के पास पहुंचा और लिफ्ट को खोलने का प्रयास किया गया. काफी देर की मसक्कत के बाद जब लिफ्ट का गेट नहीं खुला तो लकड़ी की एक बल्ली से लिफ्ट का दरवाजा तोड़ा गया. लिफ्ट में फंसे लोग मरीजों के परिजन थे. जिनमें से दो लोग अपने मरीज को खून देने जिला अस्पताल आए थे. खून देने के बाद चक्कर आने के डर से ये सभी लिफ्ट के जरिए पहले फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर आ रहे थे, कि तभी लिफ्ट जाम हो गई.

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि जैसे ही उन्हें सूचना मिली कि लिफ्ट के अंदर कुछ लोग फंसे हुए हैं, तो उन्होंने तत्काल स्टाफ के लोगों को वहां भेजा और उस समय जो भी किया जा सकता था वो किया गया.

बैतूल| 18 करोड़ की लागत से बनी जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब मरीजों के परिजन लिफ्ट के अंदर फंस गए. सभी लोग करीब आधा घंटे तक लिफ्ट के अंदर ही फंसे रहे, जिन्हें बाद में लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया. लिफ्ट में फंसे हुए तीन लोगों में से दो लोग मरीज को खून देने जिला अस्पताल आए थे.

जिला अस्पताल की लिफ्ट में फंसे तीन लोग

लिफ्ट में मरीजों के परिजनों के फंसे होने की बात हॉस्पिटल प्रबंधन को पता चली उसके बाद टेक्निकल स्टाफ लिफ्ट के पास पहुंचा और लिफ्ट को खोलने का प्रयास किया गया. काफी देर की मसक्कत के बाद जब लिफ्ट का गेट नहीं खुला तो लकड़ी की एक बल्ली से लिफ्ट का दरवाजा तोड़ा गया. लिफ्ट में फंसे लोग मरीजों के परिजन थे. जिनमें से दो लोग अपने मरीज को खून देने जिला अस्पताल आए थे. खून देने के बाद चक्कर आने के डर से ये सभी लिफ्ट के जरिए पहले फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर आ रहे थे, कि तभी लिफ्ट जाम हो गई.

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि जैसे ही उन्हें सूचना मिली कि लिफ्ट के अंदर कुछ लोग फंसे हुए हैं, तो उन्होंने तत्काल स्टाफ के लोगों को वहां भेजा और उस समय जो भी किया जा सकता था वो किया गया.

Intro:बैतूल ।।

18 करोड़ की लागत से बने जिला अस्पताल के नए भवन में उस वक्त अफरा तफरी मच गई जब मरीजो के परिजन लिफ्ट के अंदर फस गए । सभी लोग करीब आधा घंटे तक लिफ्ट के अंदर ही फसे रहे जिन्हें बाद में लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया । लिफ्ट में फसे हुए तीन लोगों में से दो लोग अपने मरीज को खून देने जिला अस्पताल आये थे ।


Body:बैतूल के जिला अस्पताल में मंगलवार को करीब तीन बजे के आस पास लिफ्ट में मरीजो के परिजनों के फसे होने की बात जैसे ही लोगो को पता चली वैसे ही लोगो ने अस्पताल प्रबंधन इसकी सूचना दी । जिसके बाद टेक्निकल स्टाफ लिफ्ट के पास पहुचा और लिफ्ट को खोलने का प्रयास किया गया लेकिन कोई फायदा नही हुआ । काफी देर की मसक्कत के बाद जब लिफ्ट का गेट नही खुला तो लकड़ी की एक बल्ली से लिफ्ट का दरवाजा तोड़ दिया गया । दरवाजा टूटने के बाद लिफ्ट में फसे लोग जैसे ही बाहर निकले तो उन्होंने राहत की सास ली ।

बात दे कि यह सभी मरीजो के परिजन थे जिनमें से दो लोग अपने मरीजो को खून देने जिला अस्पताल आये थे । खून देने के बाद चक्कर आने के डर से ये लिफ्ट के जरिये पहले फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर आ रहे थे कि तभी लिफ्ट जाम हो गई और सभी लिफ्ट के अंदर कैद हो गए । लिफ्ट से बाहर आने के बाद सभी ने लिफ्ट से बाहर निकालने वालो का शुक्रिया अदा किया ।

वही जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि जैसे ही उन्हें सूचना मिली कि लिफ्ट के अंदर कुछ लोग फसे हुए है तो उन्होंने तत्काल स्टाफ के लोगो को वहां भेजा और उस समय जो भी किया जा सकता था वह किया गया और उन्हें बाहर निकाला गया ।


Conclusion:बता दे कि 18 करोड़ की लागत से बने नए जिला अस्पताल भवन की गुणवत्ता की पोल उस समय खुल गई थी जब पूरा अस्पताल पानी पानी हो गया था ।

बाइट -- विपिन पांडेय ( मरीज के परिजन )
बाइट -- रोहित पांडेय ( मरीज के परिजन )
बाइट -- डॉ अशोक बारंगा ( सिविल सर्जन )
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