उज्जैन : इंदौर शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए प्रशासन का अभियान जारी है. इसके तहत पिछले सप्ताह महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने 323 भिक्षुकों का रेस्क्यू किया. इन्हें उज्जैन के अंबोडिया स्थित सेवाधाम आश्रम भेजा गया है. यहां इन भिक्षुकों की स्थिति और पृष्ठभूमि की जानकारी ली गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. एक महिला के पास उज्जैन के पास 10 बीघा उपजाऊ जमीन है. तो एक अन्य महिला विकलांग है और भीख मांगकर रोजाना 2500 रुपये तक जमा कर लेती है. उज्जैन के सेवा धाम आश्रम के संचालक सुधीर भाई गोयल ने सभी को शपथ दिलाई कि आगे से भीख नहीं मांगेंगे.
उज्जैन के सेवाधाम में भिक्षुकों का पुनर्वास
सेवाधाम आश्रम के सुधीर भाई गोयल ने बताया "इनमें 126 पुरुष, 163 महिलाएं और 64 बच्चे शामिल हैं. सभी गंदे कपड़ों में और दयनीय स्थिति में पाए गए. इन्हें भोजन, वस्त्र देने के साथ ही देखभाल की जिम्मेदारी ली गई है. जब इन भिक्षुकों के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि इनमें कई संपन्न घराने के हैं. अब सेवा धाम आश्रम में इन सबका पुनर्वास किया जा रहा है. जिन लोगों को शारीरिक तकलीफ है, उनकी फिजियोथैरेपी कराई जा रही है. इनमें कुछ महिलाएं तो ऐसी है जिसके पास 10 बीघा तक जमीन है तो एक महिला महीने के 75 हजार रुपये भीख मांग जमा कर लेती है."
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महिला भीख मांगकर कमाती है रोजाना दो हजार
पता चला कि भीख मांगने वाली एक अन्य महिला दिव्यांग है और वह भीख मांगकर 1500 से 2500 रुपये रोजाना जमा कर लेती है और वह ड्रग्स की आदी है. इंदौर के राजबाड़ा क्षेत्र में भीख मांगने वाली एक महिला को भी सेवाधाम आश्रम लाया गया. ये महिला एक दुर्घटना के बाद शारीरिक रूप से अक्षम हो गई. ये महिला अब भीख मांगकर महीने में 50 हजार रुपये तक जमा कर लेती है. एक महिला के पास रेस्क्यू के समय 75 हजार रुपए नकद मिले. भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए प्रशासन ने सभी का रेस्क्यू किया और इनसे बांड भरवाए गए.