बैतूल। जिले के चिचोली ब्लॉक में कोरोना काल के समय बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए 'हमारा घर हमारा विद्यालय' अभियान चलाया जा रहा है. जिससे जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है, वो डीजीलेप कार्यक्रम से नहीं जुड़ पा रहे थे, केबल TV की भी सुविधा नहीं थी, साथ ही कोई डिजिटल साधन उपलब्ध नहीं थे. जिसे देखते हुए शिक्षकों ने अपने वेतन से रेडियो खरीदकर बच्चों को दिए और बच्चों की पढ़ाई जारी रखी.
शिक्षकों ने अपने वेतन से खरीदे 16 रेडियो
हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम में बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है. चिचोली ब्लॉक में ऐसे बच्चे जो शिक्षा से वंचित थे, जिन्हें शिक्षा अधिकारी डीके शर्मा, बीआरसी दीपक महाले, जनशिक्षक गुलशन साहूकार, ओम प्रकाश सरोने और अनिल गोस्वामी ने जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं होने के कारण डीजीलेप कार्यक्रम नहीं पहुंच पा रहा था और साथ ही केबल TV की सुविधा नहीं थी. ऐसे बच्चों को चिह्नित किया. माध्यमिक शाला जामली के शिक्षक राजू आठनेरे ने स्वयं के वेतन से ऐसे बच्चों के लिए पांच हजार रुपए दिए हैं, जिनसे 16 एफएम रेडियो सेट जन शिक्षा केन्द्र उत्कृष्ट चिचोली और जन शिक्षा केन्द्र पाटाखेड़ा में बांटे गए हैं.
झोपड़ी में रेडियो से हो रही पढ़ाई
करीब 100 गरीब वर्ग के बच्चों को हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान में शिक्षा से जोड़ने की कोशिश में जामली ग्राम में घर में बच्चों को एफएम रेडियो से शिक्षा दी जा रही है. कुछ शिक्षकों ने मिलकर गरीब बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का अभियान चलाया है, जिससे कोरोनाकाल में बच्चे झोपड़ी में बैठकर पढ़ाई कर रहे है.
ये भी पढ़े- कोरोना संकट ने शिक्षा से किया दूर, गरीबी-सामाजिक कुरीति बन रही अभिशाप
कोरोना काल में सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं, ऐसे में स्कूल के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकार ऑनलाइन क्लासेस चला रही है. जिसमें बच्चों को हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान के जरिए डीजीलेप कार्यक्रम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, लेकिन प्रदेश में ऐसे कई गरीब बच्चे हैं, जिनके पास दो वक्त की रोटी नहीं है, उनके पास स्मार्ट फोन कहां से आएगा. ऐसी परिस्थिति में कई बच्चे इस अभियान से वंचित हैं. जिसे देखते हुए शिक्षकों ने अपने वेतन से गरीब बच्चों के लिए रेडियो खरीदा और उन्हें दिया है, जिससे ये बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.