बैतूल। कहते हैं किसी भी बच्चे की जिंदगी में शिक्षा वह सीढ़ी है, जिसके जरिए वह अपने उजव्वल भविष्य की ओर कदम-दर-कदम बढ़ता है, यही वजह है कि इस सीढ़ी का निर्माण करने वाले शिक्षक को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है. पर समय के साथ गुरू की गरिमा कम होती गई, जिसके लिए शिक्षक खुद ही जिम्मेदार हैं.
बात कर रहे हैं बैतूल के भीमपुर ब्लॉक के किडिंग गांव के सरकारी स्कूल की, जहां शिक्षक चवल सिंह कुमरे डयूटी के वक्त भी नशे में टल्ली रहते हैं, मास्साब की खुद्दारी देखिए कि जब उनसे पूछा गया कि क्या वे शराब पीकर आए हैं तो उनका कहना था कि हां पीकर आया हूं. उनसे पूछा गया कितनी पी है तो कहते हैं की आधी बोतल पीकर आया हूं.
और मास्साब का ज्ञान तो पूछिए ही मत, प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का नाम पूछने पर तो साहब की जुबान पर ही जंग लग गई. ऐसे में नौनिहालों के उजव्वल भविष्य की कामना करना बेमानी है. जब ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक चवल सिंह कुमरे नशे में धुत होकर ही स्कूल पहुंचते हैं और बच्चों को थोड़ा ज्ञान देकर उनकी छुट्टी कर देते हैं. जब ग्रामीण इसका विरोध करते हैं तो वो उनको ही धमकाने लगते हैं. अब विभागीय अधिकारी गुरूजी का नशा उतारने का आश्वासन दे रहे हैं. जब गुरूजी के कंधों पर देश का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी होगी तो फिर आने वाला भविष्य कैसा होगा.