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सौ साल की उम्र में भी प्यारेलाल को नहीं लगा चश्मा, आज भी करते हैं खेत में काम

बैतूल जिले के सोहागपुर गांव में रहने वाले प्यारेलाल वर्मा सौ साल की उम्र होने के बाद भी बिना चश्मे के अखबार और भागवत गीता पढ़ते हैं, साथ ही बिना लाठी के पैदल चलते हैं.

सौ साल की उम्र में भी बिना चश्मे के पढ़ते है अखबार और भागवत गीता
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Published : Oct 30, 2019, 5:51 PM IST

Updated : Oct 30, 2019, 6:59 PM IST

बैतूल। सौ साल की उम्र में भी बिना चश्मे के अखबार, भागवत गीता पढ़ना और बगैर लाठी के सहारे पैदल घूम पाना आज के दौर में नामुमकिन सा लगता है, लेकिन बैतूल के प्यारेलाल वर्मा ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. वे सौ साल की उम्र में नियमित योग और संयमित दिनचर्या रखते हैं. प्यारेलाल बैतूल से 12 किलोमीटर दूर सोहागपुर गांव में रहते हैं. 30 अक्टूबर को प्यारेलाल सौ साल के हो गए हैं. उनका जन्मदिन उनके पूरे परिवार ने मुंह मीठा करके मनाया.

सौ साल की उम्र में भी बिना चश्मे के पढ़ते है अखबार और भागवत गीता

अपनी आंखों के सामने 6 पीढ़ियों को देख चुके प्यारेलाल वर्मा का जन्म 30 अक्टूबर 1919 को हुआ था. तब से आज के दिन शतकवीर होने तक उनके जीवन का सफर बहुत ही संयमित रह. उन्हें सौ साल की उम्र में भी लाठी और चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती है. नियमित सुबह 4 बजे जागना, टहलना फिर नहाकर अखबार पढ़ना है. साथ ही समय पर खाना खाने के बाद खेत का कामकाज निपटाकर शाम को 8 से 9 के बीच शाम का भोजन करने के बाद 10 बजे तक सो जाते हैं. ये उनकी दिनचर्या रही है. उम्र के इस पड़ाव में अब वे खेत तो नहीं जाते हैं, लेकिन घर के आंगन में टहलना नहीं भूलते हैं.

प्यारेलाल वर्मा के परिवार वाले बतलाते हैं कि जब से वे उन्हें देख रहे हैं, उनकी दिनचर्या बहुत ही संयमित रही है. बाहर का खाना खाने की बात तो दूर उन्होंने कभी होटल का पानी तक नहीं पिया है. पानी पिया भी है तो हैंड पंप और कुएं का ही पानी पिया है. परिवार के सदस्यों के मुताबिक उन्होंने कभी उन्हें बीमार होते भी नहीं देखा है. उनके 100वें जन्मदिन को मनाते समय उनकी 6 पीढ़ियों के सदस्य उत्साह से भरे नजर आए.

बैतूल। सौ साल की उम्र में भी बिना चश्मे के अखबार, भागवत गीता पढ़ना और बगैर लाठी के सहारे पैदल घूम पाना आज के दौर में नामुमकिन सा लगता है, लेकिन बैतूल के प्यारेलाल वर्मा ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. वे सौ साल की उम्र में नियमित योग और संयमित दिनचर्या रखते हैं. प्यारेलाल बैतूल से 12 किलोमीटर दूर सोहागपुर गांव में रहते हैं. 30 अक्टूबर को प्यारेलाल सौ साल के हो गए हैं. उनका जन्मदिन उनके पूरे परिवार ने मुंह मीठा करके मनाया.

सौ साल की उम्र में भी बिना चश्मे के पढ़ते है अखबार और भागवत गीता

अपनी आंखों के सामने 6 पीढ़ियों को देख चुके प्यारेलाल वर्मा का जन्म 30 अक्टूबर 1919 को हुआ था. तब से आज के दिन शतकवीर होने तक उनके जीवन का सफर बहुत ही संयमित रह. उन्हें सौ साल की उम्र में भी लाठी और चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती है. नियमित सुबह 4 बजे जागना, टहलना फिर नहाकर अखबार पढ़ना है. साथ ही समय पर खाना खाने के बाद खेत का कामकाज निपटाकर शाम को 8 से 9 के बीच शाम का भोजन करने के बाद 10 बजे तक सो जाते हैं. ये उनकी दिनचर्या रही है. उम्र के इस पड़ाव में अब वे खेत तो नहीं जाते हैं, लेकिन घर के आंगन में टहलना नहीं भूलते हैं.

प्यारेलाल वर्मा के परिवार वाले बतलाते हैं कि जब से वे उन्हें देख रहे हैं, उनकी दिनचर्या बहुत ही संयमित रही है. बाहर का खाना खाने की बात तो दूर उन्होंने कभी होटल का पानी तक नहीं पिया है. पानी पिया भी है तो हैंड पंप और कुएं का ही पानी पिया है. परिवार के सदस्यों के मुताबिक उन्होंने कभी उन्हें बीमार होते भी नहीं देखा है. उनके 100वें जन्मदिन को मनाते समय उनकी 6 पीढ़ियों के सदस्य उत्साह से भरे नजर आए.

Intro:बैतूल ।। 100 साल की उम्र में भी बिना चश्मे के अखबार, भागवत गीता पढ़ना और लाठी के सहारे के बगैर पैदल घूम पाना आज के दौर में नामुमकिन ही लगता है । लेकिन बैतूल के प्यारेलाल वर्मा ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है वो भी सौ साल की उम्र में । नियमित योग और संयमित दिनचर्या के बल पर बैतूल से 12 किलोमीटर दूर ग्राम सोहागपुर निवासी प्यारेलाल वर्मा आज 30 अक्टूबर को 100 साल के हो गए है । उनका जन्मदिन आज उनके पूरे परिवार ने उनका मुह मीठा कर मनाया ।


Body:अपनी आंखों के सामने 6 पीढ़ियों को देख चुके प्यारेलाल वर्मा का जन्म 30 अक्टूबर 1919 को हुआ था । तब से आज के दिन शतकवीर होने तक उनके जीवन का सफर बहुत ही संयमित रहा । उन्हें आज 100 साल की उम्र में भी ना तो उन्हें लाठी की जरूरत पड़ी और ना ही चश्मे की । रोज सुबह 4 बजे जागना टहलना फिर नहाकर अखबार पढ़ना और फिर 10 से 11 बजे के बीच खाना । खेत के कामकाज निपटाकर फिर शाम को 8 से 9 के बीच खाना खाकर 10 बजे के पहले सो जाना यही उनकी दिनचर्या रही है । उम्र के इस पड़ाव में अब वे खेत तो नही जाते है लेकिन घर के आंगन में टहलना नही भूलते ।

प्यारेलाल वर्मा के परिवार वाले बतलाते है कि जब से वे उन्हें देख रहे है उनकी दिनचर्या बहुत ही संयमित रही है । बाहर का खाना खाने की बात तो दूर उन्होंने कभी होटल का पानी तक नही पिया और पिया भी तय हैंड पंप या कुवे का ही पानी पिया है । हर प्रकार की सब्जी खाने में आज भी वे खाते है । परिवार के सदस्यों के मुताबिक उन्होंने कभी उन्हें बीमार होते भी नही देखा । उनके 100वे जन्मदिन को मनाते वक्त उनकी 6 पीढ़ियों के सदस्य उत्साह से भरे नजर आए ।


Conclusion:बाइट -- श्याम सुंदर वर्मा ( बड़े बेटे )
बाइट -- रजनी वर्मा ( नातिन )
बाइट -- रामसीन वर्मा ( बहु )
Last Updated : Oct 30, 2019, 6:59 PM IST
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