बैतूल। सन्न 1971 के बाद ग्रामीण विद्युतीकरण ने भारत के किसानों की दशा बदल दी है. सन 1970 के दशक में भारत खाद्यान्न के लिए अमेरिका के आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर था, लेकिन ग्रामीण विद्युतीकरण के कारण विद्युत मंडलों ने गांव-गांव तक बिजली पहुंचाई है, जिसके परिणामस्वरुप किसानों को सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. गांव-गांव तक बिजली पहुंचने से खाद्यान में न केवल आत्मनिर्भर हो गए बल्कि खाद्यान्न निर्यात भी किया जा रहा है.
यह विचार विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन के प्रान्तीय महामंत्री सुशील शर्मा ने जारी विज्ञप्ति में बताया है. मध्यप्रदेश सरकार पिछले कुछ सालों से कृषि कर्मण अवार्ड केंद्र सरकार से ले रही है, भारत के पास अनाज की कमी नहीं है विद्युत मंडलों, कंपनियों के कारण एवं सरकार की किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के कारण यह संभव हो पाया है. केंद्र सरकार इस संकट के दौर में भी जहां एक ओर बड़े कारपोरेट घरानों को सुविधाओं के साथ कर्ज दे रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को उनके उत्पादन का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.
बड़े-बड़े कारपोरेट घरानों को दिए गए कर्ज एनपीए के नाम पर माफ किये जा रहे हैं, जबकि किसानों से पूरी वसूली की जा रही है. शर्मा ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने स्टैंडर्ड बिडीग डॉक्यूमेंट 20 सितंबर को जारी किया था, जिससे विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ कर दिया गया.
विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने ने बताया कि इंदौर में 15 दिसंबर 2019 को यूनियन के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर यूनियन के सभी प्रतिनिधियों ने बिजली कंपनियों का निजीकरण का विरोध स्वरूप प्रस्ताव पारित किया था. यूनियन यूनाइटेड फोरम का महत्वपूर्ण घटक है, देश के 15 लाख से अधिक बिजली कर्मचारी और अधिकारी बिजली कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं.
विद्युत वितरण कंपनीयों के निजीकरण का विरोध देश में शुरू हो गया है, केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को 15 लाख से अधिक कार्मिको की चेतावनी है कि निजीकरण का जारी डॉक्यूमेंट वापस ले. वहीं चिंता इस बात की है कि जब तक सरकार के अधीन है कर्मचारी तब तक सेवानिवृत्ति लाभ है, इसके बाद निजी कंपनियों के शर्तो से काम करना होगा. बिजली उद्योग के निजीकरण का रास्ता उड़ीसा राज्य सरकार ने भी अपनाया है वहां के कार्मिकों को टाटा पावर की शर्तो पर काम करना पड़ रहा है.
निजीकरण से किसानों के साथ आम उपभोक्ताओ को भी बिजली महंगी मिलेगी. विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन ने केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली उद्योग निजीकरण का डॉक्यूमेंट वापस ले. यूनियन की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एक ज्ञापन मुख्य नगर पालिका अधिकारी सीके मेश्राम को सौंपा गया है इस दौरान अंबादास सूने, पुनीत भारती, अमित सल्लाम ओर जितेन्द्र वर्मा उपस्थित रहे.