बैतूल। जिले भर में दस्त-उल्टी से शिशुओं की मृत्यु लगातार बढ़ रही है. साथ ही वर्तमान में न्यूमोनिया से भी मौत के मामले सामने आ रहे हैं, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
विकसित देशों में शिशु मृत्यु के प्रमुख कारण जन्मजात विकृति, संक्रमण और एसआईडीएस शामिल हैं. यहीं वजह है कि प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का आयोजन किया गया है, जो 23 से 29 नवंबर तक होगा.
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अंकिता वरवड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि, इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं और समुदाय स्तर पर नवजात शिशु की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाना है. इसके माध्यम से नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकें, इसके तहत समुदाय स्तर पर आशा कार्यकर्ता द्वारा गांव के समस्त नवजात शिशुओं के वजन, तापमान और सांस की गिनती की जा रही है. माताओं को स्तनपान, टीकाकरण, साफ-सफाई, खतरे के आम चिन्ह सहित कंगारू मदर केयर के संबंध में सलाह दी जा रही है.
इस सप्ताह के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अंकिता वरवड़े द्वारा नवजात शिशु सुरक्षा के लिए विशेष गतिविधियों का आयोजन कोविड-19 प्रोटोकॉल के मद्देनजर किया जा रहा है, जिसमें सभी धात्री माताओं की बैठक ली जा रही है. उन्हें नवजात सुरक्षा, खतरे के चिन्हों सहित संस्था आधारित नवजात देखभाल के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है.
माता अपने घरेलू स्तर पर क्या कर सकती हैं ?
शिशु को हमेशा सूखे कपड़े में रखें और ठंड से बचाए रखें. इससे बच्चों को हाइपोथर्मिया की संभावनाएं कम हो जाएगी. इसके अलावा हर 2 घंटे के अंदर स्तनपान कराएं, जिससे बच्चा हाइपोग्लाइसीमिया से बचा रहे.
शिशु में बुखार, नाभि से पस आना, कान से मवाद, पसली का चलना, शरीर पर दाने या चकत्ते आना, शिशु का ठीक से स्तनपान ना करना, स्तनपान के प्रति अरुचि दिखाने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क कर जांच कराएं.