बैतूल। जिले के आमला ब्लॉक मुख्यालय से सटे गांव में 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा शुरू हो गई है. लेकिन छात्रों को इससे कोई सरोकार नहीं है. जब परीक्षा में कम बच्चे आए तो खुद शिक्षक इन्हें तलाशने पहुंचे. हैरत की बात यह है कि कि इनमें से कुछ बच्चे महुआ बीनते मिले तो कुछ बच्चे फसल काट रहे थे. कुछ बच्चे घर में मिले, जिनका मान-मनोहार कर परीक्षा केंद्र तक ले जाने के प्रयास किए गए. शिक्षकों के इस प्रयास से कुछ बच्चे तो परीक्षा दे पाए, लेकिन कई परीक्षा देने से वंचित रह गए.
परीक्षाओं से गायब हैं स्टूडेंट्स : यह दृश्य था सोमवार सुबह 7 बजे का है. एक शासकीय शिक्षक ठानी के एक शासकीय स्कूल में पढऩे वाली छात्रा को सुबह-सुबह पुचकार कर उठा रहा है, क्योंकि 8वीं कक्षा का दूसरा पेपर है. पहले पेपर में उक्त छात्रा परीक्षा केंद्र ही नहीं पहुंची थी. ब्लॉक के ज्यादातर क्षेत्रों में इस तरह की कई तस्वीरें देखने को मिली हैं. जहां प्राथमिक और मिडिल कक्षा में पढ़ने वाले कई छात्र-छात्राएं परीक्षा के दौरान नदारद मिले. ऐसे में शासन की मंशा अनुसार परीक्षा से गायब रहने वाले ऐसे छात्र-छात्राओं को परीक्षा केंद्र तक लाने के लिए शिक्षक परेशान हो रहे हैं.
पहला पेपर मिस कर दिया: ब्लॉक के ठानी गांव में यहां प्राथमिक और मिडिल स्कूल में पढऩे वाले कई छात्र-छात्राएं जब अपने पहले पेपर में परीक्षा देने नहीं पहुंचे तो यहां के शिक्षकों की चिंताएं बढ़ गईं. सोमवार को होने वाले अगले पेपर के लिए स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक राजू साहू और यशोदा इवने अलसुबह परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही गांव पहुंच गए और फिर बच्चों को ढूंढने का सिलसिला शुरू हुआ. ऐसे में कई बच्चे अपने घरों में सोते मिले, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद पुचकार कर नींद से उठाया गया तो वहीं कुछ बच्चे खेतों में गेहूं की फसल काटने पहुंच गए थे.
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427 में से 140 छात्र-छात्राएं अनुपस्थित : प्राथमिक-माध्यमिक बोर्ड कक्षा की परीक्षा से दूरी बना रहे बच्चों की संख्या की बानगी अगर आंकड़ों से समझे तो परीक्षा में इस वर्ष कुल 427 परीक्षार्थियों को शामिल होना था. पर परीक्षा के पहले दिन 140 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे. यह हालात देख अगले दिन शिक्षक समय से पूर्व स्कूल पहुंचकर गांव में बच्चों को ढूंढने निकल पड़े. शिक्षक कड़ी मशक्कत के बाद आठ बच्चों को ही परीक्षा केंद्र तक लाने में सफल रहे. बीएसी अशोक धुर्वे ने बताया कि शिक्षक बच्चों को परीक्षा के लिए लाने गए तो कोई खेतों में गन्ना तो कोई गेहूं काट रहा था, तो कई बच्चे महुआ बीनने चले गए थे. उन्होंने बताया कि कई बच्चे परीक्षा के डर से जंगल की ओर भी भाग गए थे.