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आदिवासी महिलाओं का 2.85 करोड़ बकाया नहीं चुका रही कमलनाथ सरकार, कर्ज के सहारे चला रहीं परिवार

बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के छुरी गांव की आदिवासी महिलाओं की कंपनी सतपुड़ा वूमेन सिल्क प्रोड्यूसर कंपनी का 2 करोड़ 85 लाख रूपया कमलनाथ सरकार पर उधार है. पिछले साल जुलाई से जनवरी 2019 तक बेचे गये कोकून की कीमत का कमलनाथ सरकार भुगतान नहीं कर रही है.

आदिवासी महिलाऐं
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Published : Jul 5, 2019, 5:38 PM IST

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के छुरी गांव की आदिवासी महिलाओं की कंपनी सतपुड़ा वूमेन सिल्क प्रोड्यूसर कंपनी ने रेशम विभाग को पिछले साल जुलाई से जनवरी 2019 तक साढ़े तीन करोड़ का कोकून बेचा था, लेकिन इसका भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. कंपनी का 2 करोड़ 85 लाख रुपये सरकार पर बकाया है. महिलाएं भुगतान के लिए बीते छह महीने से अफसरों के चक्कर लगा रही हैं.

आदिवासी महिलाओं का बकाया नहीं चुका रही कमलनाथ सरकार

कंपनी चलाने वाली महिलाओं का कहना है कि पहले आमदनी हो रही थी तो वे खुश थीं. मक्का बाजरा छोड़कर ये लगा दिया, लेकिन अब वे बहुत परेशान हैं. जनवरी 2019 तक सब कुछ ठीक चला, लेकिन कमलनाथ सरकार बनने के दो माह बाद ही जनवरी 2019 से पेमेंट रोक दिया गया. अब हालात ये हैं कि छह माह से 2 करोड़ 85 लाख रुपये पाने के लिए कलेक्ट्रेट से लेकर रेशम विभाग के चक्कर लगा रहे हैं. हालात ये हैं कि साहूकारों से 8 से दस परसेंट पर कर्ज लेकर परिवार चलाना पड़ रहा है.

अपनी पारंपरिक खेती छोड़ कर लगभग 1,166 आदिवासी महिलाओं ने शहतूत की खेती कर रेशम का उत्पादन शुरू किया है. इसके लिए कीड़े पालन से लेकर रेशम की पूरी प्रोसेसिंग कर रही महिलाओं की ये कंपनी अब बदहाली की तरफ बढ़ रही है. करोड़ों की रकम अटकने से नाराज महिलाओं ने शहतूत की फसल उखाड़ फेंकने की चेतावनी दी है.
इस मामले पर बैतूल कलेक्टर तेजस्वी एस नायक ने कहा कि रेशम विभाग से समन्वय बनाकर रकम का भुगतान करवाया जाएगा.

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के छुरी गांव की आदिवासी महिलाओं की कंपनी सतपुड़ा वूमेन सिल्क प्रोड्यूसर कंपनी ने रेशम विभाग को पिछले साल जुलाई से जनवरी 2019 तक साढ़े तीन करोड़ का कोकून बेचा था, लेकिन इसका भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. कंपनी का 2 करोड़ 85 लाख रुपये सरकार पर बकाया है. महिलाएं भुगतान के लिए बीते छह महीने से अफसरों के चक्कर लगा रही हैं.

आदिवासी महिलाओं का बकाया नहीं चुका रही कमलनाथ सरकार

कंपनी चलाने वाली महिलाओं का कहना है कि पहले आमदनी हो रही थी तो वे खुश थीं. मक्का बाजरा छोड़कर ये लगा दिया, लेकिन अब वे बहुत परेशान हैं. जनवरी 2019 तक सब कुछ ठीक चला, लेकिन कमलनाथ सरकार बनने के दो माह बाद ही जनवरी 2019 से पेमेंट रोक दिया गया. अब हालात ये हैं कि छह माह से 2 करोड़ 85 लाख रुपये पाने के लिए कलेक्ट्रेट से लेकर रेशम विभाग के चक्कर लगा रहे हैं. हालात ये हैं कि साहूकारों से 8 से दस परसेंट पर कर्ज लेकर परिवार चलाना पड़ रहा है.

अपनी पारंपरिक खेती छोड़ कर लगभग 1,166 आदिवासी महिलाओं ने शहतूत की खेती कर रेशम का उत्पादन शुरू किया है. इसके लिए कीड़े पालन से लेकर रेशम की पूरी प्रोसेसिंग कर रही महिलाओं की ये कंपनी अब बदहाली की तरफ बढ़ रही है. करोड़ों की रकम अटकने से नाराज महिलाओं ने शहतूत की फसल उखाड़ फेंकने की चेतावनी दी है.
इस मामले पर बैतूल कलेक्टर तेजस्वी एस नायक ने कहा कि रेशम विभाग से समन्वय बनाकर रकम का भुगतान करवाया जाएगा.

Intro:बैतूल ।। प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर आदिवासी महिलाओ की पौने तीन करोड़ की उधारी चढ़ गई है है । आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार इन आदिवासी महिलाओं की उधारी नही चुका पा रही है । यह महिलाये बीते छह महीने से अफसरों के चक्कर लगा रही है । मामला बैतूल जिले का है जहाँ महिलाओ की रेशम प्रोड्यूसर कंपनी का 2 करोड़ 85 लाख रुपये सरकार पर उधार चढ़ गया है ।


Body:बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के छुरी गांव की 1,166 महिलाओ की कंपनी सतपुड़ा वूमेन सिल्क प्रोड्यूसर कंपनी ने रेशम विभाग को पिछले साल जुलाई से जनवरी 2019 तक साढ़े तीन करोड़ का कोकून बेचा था । जनवरी 2019 तक सब कुछ ठीक चला लेकिन कमल नाथ सरकार बनने के दो माह बाद ही जनवरी 2019 से पेमेंट पर रुक गया । अब हालात यह है कि छह माह से ये आदिवासी महिलाये अपने 2 करोड़ 85 लाख रुपये पाने के लिए कलेक्ट्रेट से लेकर रेशम विभाग के चक्कर काट रही है । बताया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में रेशम उत्पादकों को सरकार से करीब 18 करोड़ रुपये लेने है ।

अपने पारंपरिक खेती को छोड़ कर इन आदिवासी महिलाओं ने शहतूत की खेती कर रेशम का उत्पादन शुरू किया है । इसके लिए कीड़े पालने से लेकर रेशम की पूरी प्रोसेसिंग कर रही महिलाओं की यह कंपनी बदहाली की तरफ बढ़ रही है । अपनी करोड़ो की रकम अटकने से नाराज ये महिलाएं इतनी नाराज है कि शहतूत की फसल उखाड़ फैकने की तैयारी कर रही है ।

इन महिलाओं का कहना है कि पहले आमदनी हो रही थी तो वे खुश थे । मक्का बाजरा छोड़कर यह लगा दिया लेकिन अब वे बहुत परेशान है । साहूकारों से 8 से दस परसेंट पर कर्ज लेकर परिवार चला रहे है ।


Conclusion:इस मामले के सामने आने के बाद बैतूल कलेक्टर तेजस्वी एस नायक ने कहा है कि रेशम विभाग से समन्वय बनाकर रकम का भुगतान करवाया जाएगा ।
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