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तीर्थ स्थल को लेकर दो गांव में ठनी दुश्मनी, जानिए क्या है वजह

बैतूल के मुलताई तहसील में स्थित कुटखेड़ी और पौनी गांव के लोग तीर्थ स्थल को लेकर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं. कुटखेड़ी गांव के ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि विवाद के चलते पौनी के लोगों ने हमारी जरूरत की सभी चीजों पर रोक लगा दी है.

तीर्थ स्थल को लेकर दो गांव आमने-सामने
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Published : Aug 3, 2019, 8:59 AM IST

बैतूल। मुलताई तहसील के कुटखेड़ी और पौनी गांव के ग्रामीण एक तीर्थ स्थल को लेकर आमने-सामने आ गए हैं. दोनों गांव के लोगों के बीच दुश्मनी इतनी बढ़ गई है कि पौनी गांव ने कुटखेड़ी के लोगों को अपने यहां से जरूरत की सभी चीजें देना बंद कर दिया है. कुटखेड़ी के ग्रामीणों ने पौनी गांव पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पारसडोह डैम में डूब चुके ताप्ती त्रिवेणी संगम श्रावण तीर्थ की पुनर्स्थापना कुटखेड़ी में ही होनी चाहिए और हर साल आयोजित होने वाला मेला भी कुटखेड़ी में ही भरना चाहिए.

तीर्थ स्थल विवाद में एक गांव का दाना पानी बंद

कुटखेड़ी गांव में रहने वाले ग्रामीण ने कहा कि पौनी गांव से विवाद के बाद उन्होंने हमारे लिए खाने-पीने और जरूरत की सारी चीजों के लिए रास्ते बंद कर दिए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें पौनी गांव में आटा तक पिसवाने के लिए नहीं दिया जा रहा. दुकानदारों का कहना है कि अगर उन्होंने ऐसा किया, तो उन्हें 5 हजार रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा.

इधर पौनी गांव के लोगों ने कहा कि हमने कुटखेड़ी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. हम तो सिर्फ कुटखेड़ी गांव के लोगों के साथ तीर्थ स्थान के मुद्दे पर बातचीत कर उसका समाधान निकालना चाहते हैं.

बैतूल। मुलताई तहसील के कुटखेड़ी और पौनी गांव के ग्रामीण एक तीर्थ स्थल को लेकर आमने-सामने आ गए हैं. दोनों गांव के लोगों के बीच दुश्मनी इतनी बढ़ गई है कि पौनी गांव ने कुटखेड़ी के लोगों को अपने यहां से जरूरत की सभी चीजें देना बंद कर दिया है. कुटखेड़ी के ग्रामीणों ने पौनी गांव पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पारसडोह डैम में डूब चुके ताप्ती त्रिवेणी संगम श्रावण तीर्थ की पुनर्स्थापना कुटखेड़ी में ही होनी चाहिए और हर साल आयोजित होने वाला मेला भी कुटखेड़ी में ही भरना चाहिए.

तीर्थ स्थल विवाद में एक गांव का दाना पानी बंद

कुटखेड़ी गांव में रहने वाले ग्रामीण ने कहा कि पौनी गांव से विवाद के बाद उन्होंने हमारे लिए खाने-पीने और जरूरत की सारी चीजों के लिए रास्ते बंद कर दिए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें पौनी गांव में आटा तक पिसवाने के लिए नहीं दिया जा रहा. दुकानदारों का कहना है कि अगर उन्होंने ऐसा किया, तो उन्हें 5 हजार रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा.

इधर पौनी गांव के लोगों ने कहा कि हमने कुटखेड़ी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. हम तो सिर्फ कुटखेड़ी गांव के लोगों के साथ तीर्थ स्थान के मुद्दे पर बातचीत कर उसका समाधान निकालना चाहते हैं.

Intro:बैतूल ।। बैतूल जिले में दो गांव एक तीर्थ स्थल को लेकर एक दूसरे के दुश्मन बन गए है मामला इतना बढ़ गया है कि एक गांव ने दूसरे गांव के ग्रामीणों को अपने गांव से राशन पानी देना बंद कर दिया है । इस गांव के ग्रामीणों ने एक छोटे से गांव को हर जरूरत की वस्तुएं खाद्य सामग्री, चक्की में अनाज पिसाई, दवाइया, कृषि बीज, खाद कीटनाशक बेचना बंद कर दिया है । और जो दुकानदार इस गांव के ग्रामीणों को समान बेचेगा या कुछ खरीदेगा उसे जुर्माना देना पड़ेगा ।



Body:सामाजिक बहिष्कार और दुश्मनी का यह मामला मुलताई तहसील के पारसडोह डैम के डूब क्षेत्र में आये लिहदा पंचायत के ग्राम कुटखेड़ी और पौनी ग्राम पंचायत का है । जहाँ कुटखेड़ी और पौनी गांव के ग्रामीण ताप्ती त्रिवेणी संगम श्रवण तीर्थ को अपने गांव की सीमा में पुनर्स्थापित करने पर आमने सामने आ गए है । कुटखेड़ी के ग्रामीणों का कहना है कि पारसडोह डैम में डूब चुके ताप्ती त्रिवेणी संगम श्रवण तीर्थ की पुनर्स्थापना उनके गांव में ही होनी चाहिए और मेला उनके गांव में ही भरना चाहिए क्योंकि यह परंपरा सालो से उनका गांव निभाते आया है । और हर आयोजन वे ही पिछले कई सालों करते आये है ।

लेकिन पौनी पंचायत के ग्रामीण कुछ लोगो के बहकावे में आकर इसका विरोध कर रहे है । कुटखेड़ी के ग्रामीणों का कहना हैंकि हद तो उस वक्त हो गई जब 16 जुलाई से पौनी गांव ने कुटखेड़ी गांव को राशन पानी, चक्की में अनाज पिसाई, खाद बीज, कीटनाशक, दूध सहित कई ऐसे व्यापार करना बंद कर दिया । अब हालात यह है कि कुटखेड़ी के ग्रामीण पौनी गांव से ना तो कुछ खरीद सकते है ना ही कुछ बेच सकते है । पौनी गांव में फरमान जारी हुआ है कि जिसने भी कुटखेड़ी गांव के ग्रामीणों से किसी भी प्रकार का व्यापारिक रिश्ता जोड़ा उसे 5 हजार जुर्माना देना होगा ।

कुटखेड़ी छोटा गांव है और उनकी सभी जरूरते पौनी गांव पर निर्भर है । राशन पानी से लेकर हर छोटी बड़ी जरूरते पौनी गांव से ही पूरी होती है लेकिन एक तीर्थ स्थल को अपने ग्राम पंचायत की सीमा में पुनर्स्थापना को लेकर इन दोनों गावो में ठन गई है । वही जब पौनी के ग्रामीणों से मीडिया ने उनका पक्ष जाना तो उनका कहना था ऐसी कोई बात ही नही है कुटखेड़ी कि कुछ लोग इस मामले को जबरन तूल दे रहे है उनके गांव ने राशन पानी नही देने वाली कोई बात नही की है । बल्कि कुटखेड़ी के ग्रामीण रोजाना हमारे गांव से खरीदारी कर अपनी जरूरत की चीजें ले जा रहे है । उनके गांव पर लग रहे सारे आरोप झूठे है वे बस यह चाह रहे है कि ताप्ती मेले को तवा नदी का मेला क्यो बना रहे हो ।

बता दे कि ताप्ती त्रिवेणी संगम श्रवण तीर्थ तीन नदियों का उद्गम स्थल है जहाँ ताप्ती, तवा और अमभोरा नही का मेल होता है इसलिए इस धार्मिक उद्गम स्थल का आस पास के इलाकों बहुत महत्व है ।




Conclusion:दोनों गावो की दुश्मनी का मामला अब एक आवेदन के जरिये जिला प्रशासन के पास पहुच गया । अब देखना होगा कि पौनी गांव और कुटखेड़ी के बीच उपजी इस दुश्मनी को प्रशासन कैसे दोस्ती में तब्दील कर पाता है ।

बाइट -- वामनराव ( ग्रामीण, कुटखेड़ी )
बाइट -- तुकाराम खासदेव ( ग्रामीण, कुटखेड़ी )
बाइट -- साहेबराव गलपठ ( ग्रामीण, कुटखेड़ी )
बाइट -- साहेबराव ( ग्रामीण, पौनी )
बाइट -- हर्षवर्धन देशमुख ( ग्रामीण, पौनी )
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