बैतूल। सिकलसेल और थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का जिला अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ ने भर्ती बच्चों का शुक्रवार को सम्मान किया. विश्व थैलेसीमिया दिवस के दिन बैतूल में जिला अस्पताल के ब्लड बैंक के डॉक्टर और स्टाफ ने बच्चा वार्ड में पहुंचकर बच्चों को खुशियां बांटने के लिए उन्हें बलून, बिस्किट, चॉकलेट और फल वितरित किए. 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस के रूप में मनाया जाता है इसी को लेकर शुक्रवार शाम को जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती दो थैलेसीमिया और सिकलसेल से पीड़ित बच्चों समेत बारह बच्चों के लिए यह दिन खास बनाया गया है.
बताया जा रहा है कि बैतूल जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या लगभग 100 है और सिकलसेल से पीड़ित बच्चों की संख्या लगभग 250 है, इन बच्चों को समय-समय पर ब्लड की आवश्यकता पड़ती है. जिन्हें बिना एक्सचेंज जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध कराया जाता है, इन बच्चों के जिला अस्पताल में इंटीग्रेटेड डे केयर हीमोग्लोबिन पैथी सेंटर बनाया गया है. जिसमें बच्चों को भर्ती किया जाता है, यह बीमारी अनुवांशिक है रिश्तेदारों के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है. बीमारी का जन्म शिशु के साथ होता है, जो आजीवन साथ नहीं छोड़ती. इसका इलाज मात्र ब्लड ट्रांसफ्यूजन और बोनमेरो ट्रांसप्लांट है और इन बच्चों को समय-समय पर जिला अस्पताल में बिना एक्सचेंज के ब्लड दिया जाता है.
ब्लूडबैंक अधिकारी डॉ अंकिता सीते का कहना है कि सिकलसेल और थैलेसीमिया से पीड़ित जो बच्चे होते हैं उन्हें अगर समय पर रक्त नहीं मिलता है तो बहुत तकलीफ होती है. जिसमें उन्हें दर्द होता है उनका स्पिलिन जो रक्त बनाता है वो डैमेज हो सकता है.