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केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने खोला मोर्चा, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन - Memorandum submitted to the Tehsildar in the name of the President

बैतूल में भारतीय मजदूर संघ ने तहसीलदार को राष्टपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए भारत सरकार की नीतियों का विरोध किया. इस दौरान उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर नारेबाजी की.

Bharatiya Mazdoor Sangh submitted memorandum to the President
भारतीय मजदूर संघ ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा
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Published : Jul 31, 2020, 4:22 PM IST

बैतूल। भारतीय मजदूर संघ के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान जिला महामंत्री सुदामा सिंह के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर नारेबाजी की, साथ ही भारत सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी मांगे रखी. उन्होंने कहा कि, वर्तमान में भारत सरकार कोरोना संक्रमण के इस संकट काल में सार्वजनिक क्षेत्रों में लाभकारी उद्योगों को लगातार बेचने की दिशा में काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात करने पर तुली है. भारतीय मजदूर संघ, केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योगों के निजीकरण का विरोध करता है.

भारतीय मजदूर संघ ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
मजदूर संघ ने कहा कि, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण बंद किया जाए. कमर्शियल माइनिंग बंद की जाए, श्रम कानून में किए जा रहे बदलाव पर तत्काल रोक लगाई जाए. कृषि और निर्माण क्षेत्र न्यूनतम आय बढ़ाएं, प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाए, साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया जाए. कमलेश चंद्र की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण डाक कर्मचारी का मानदेय बढ़ाया जाए. वहीं सोशल सिक्योरिटी कोड के माध्यम से आखिरी कामगार तक न्यूनतम आय और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि, इन जायज मांगों पर केंद्र सरकार पुनर्विचार करें. यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

बैतूल। भारतीय मजदूर संघ के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान जिला महामंत्री सुदामा सिंह के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर नारेबाजी की, साथ ही भारत सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी मांगे रखी. उन्होंने कहा कि, वर्तमान में भारत सरकार कोरोना संक्रमण के इस संकट काल में सार्वजनिक क्षेत्रों में लाभकारी उद्योगों को लगातार बेचने की दिशा में काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात करने पर तुली है. भारतीय मजदूर संघ, केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योगों के निजीकरण का विरोध करता है.

भारतीय मजदूर संघ ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
मजदूर संघ ने कहा कि, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण बंद किया जाए. कमर्शियल माइनिंग बंद की जाए, श्रम कानून में किए जा रहे बदलाव पर तत्काल रोक लगाई जाए. कृषि और निर्माण क्षेत्र न्यूनतम आय बढ़ाएं, प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाए, साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया जाए. कमलेश चंद्र की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण डाक कर्मचारी का मानदेय बढ़ाया जाए. वहीं सोशल सिक्योरिटी कोड के माध्यम से आखिरी कामगार तक न्यूनतम आय और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि, इन जायज मांगों पर केंद्र सरकार पुनर्विचार करें. यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
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