बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का बाचा गांव देश और दुनिया का पहला आदर्श गांव है, जहां हर घर में सोलर चूल्हे पर खाना पकता है. अपनी चमक जमा चुका ये गांव एक बार फिर सुर्खियों में है. अब यहां जल संरक्षण के लिए हर घर में जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए सोखता गढ्ढा बनाए गए हैं. जिसमें छतों पर जमा बारिश का पानी सीधा इन गड्ढों में चला जाता है और ये पानी चंद घंटों में ही सीधे जमीन में चला जाता है. 74 घरों वाले बाचा गांव के 90 प्रतिशत घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बन चुके हैं और बचे हुए 10 प्रतिशत घरों में एक से दो दिनों में ये बना लिए जाएंगे.
साधारण सा दिखने वाला बाचा गांव देश और दुनिया में उस दिन चमक चुका था जब इस गांव के पूरे 74 घरो में धुआंरहित रसोई बनी थी. क्योंकि इस गांव में चूल्हा तो जलता है लेकिन धुआं नहीं उठता. यहां के लोग ना तो लकड़ी जलाते हैं ना रसोई गैस. यहां खाना सोलर चूल्हे पर ही पकता है. लेकिन अब इस गांव ने पर्यावरण के साथ-साथ जलसंरक्षण के लिए मिसाल बनने जा रहा है.
जमीन का जल स्तर बढ़ाने इस गांव के ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों में सोखता गड्ढा बनाएं हैं. जिनमें बारिश का जमा पानी छतों से पाइप और नालियों के जरिए इस गढ्ढे में जमा हो जाता है और चंद घंटों में ही यह पानी सीधे जमीन में उतर जाता है.