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बैतूल का सोलर विलेज दुनिया के लिए है मिसाल, पानी बचाने के लिए शुरु की नई पहल

बैतूल जिले का बाचा गांव देश और दुनिया का पहला आदर्श गांव है, जहां हर घर में सोलर चूल्हे पर खाना पकता है. अपनी चमक बिखेर चुका ये गांव एक बार फिर सुर्खियों में है.

बैतूल का सोलर विलेज दुनिया के लिए है मिसाल
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Published : Jul 14, 2019, 11:53 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 2:13 AM IST

बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का बाचा गांव देश और दुनिया का पहला आदर्श गांव है, जहां हर घर में सोलर चूल्हे पर खाना पकता है. अपनी चमक जमा चुका ये गांव एक बार फिर सुर्खियों में है. अब यहां जल संरक्षण के लिए हर घर में जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए सोखता गढ्ढा बनाए गए हैं. जिसमें छतों पर जमा बारिश का पानी सीधा इन गड्ढों में चला जाता है और ये पानी चंद घंटों में ही सीधे जमीन में चला जाता है. 74 घरों वाले बाचा गांव के 90 प्रतिशत घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बन चुके हैं और बचे हुए 10 प्रतिशत घरों में एक से दो दिनों में ये बना लिए जाएंगे.

बैतूल का सोलर विलेज दुनिया के लिए है मिसाल

साधारण सा दिखने वाला बाचा गांव देश और दुनिया में उस दिन चमक चुका था जब इस गांव के पूरे 74 घरो में धुआंरहित रसोई बनी थी. क्योंकि इस गांव में चूल्हा तो जलता है लेकिन धुआं नहीं उठता. यहां के लोग ना तो लकड़ी जलाते हैं ना रसोई गैस. यहां खाना सोलर चूल्हे पर ही पकता है. लेकिन अब इस गांव ने पर्यावरण के साथ-साथ जलसंरक्षण के लिए मिसाल बनने जा रहा है.

जमीन का जल स्तर बढ़ाने इस गांव के ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों में सोखता गड्ढा बनाएं हैं. जिनमें बारिश का जमा पानी छतों से पाइप और नालियों के जरिए इस गढ्ढे में जमा हो जाता है और चंद घंटों में ही यह पानी सीधे जमीन में उतर जाता है.

बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का बाचा गांव देश और दुनिया का पहला आदर्श गांव है, जहां हर घर में सोलर चूल्हे पर खाना पकता है. अपनी चमक जमा चुका ये गांव एक बार फिर सुर्खियों में है. अब यहां जल संरक्षण के लिए हर घर में जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए सोखता गढ्ढा बनाए गए हैं. जिसमें छतों पर जमा बारिश का पानी सीधा इन गड्ढों में चला जाता है और ये पानी चंद घंटों में ही सीधे जमीन में चला जाता है. 74 घरों वाले बाचा गांव के 90 प्रतिशत घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बन चुके हैं और बचे हुए 10 प्रतिशत घरों में एक से दो दिनों में ये बना लिए जाएंगे.

बैतूल का सोलर विलेज दुनिया के लिए है मिसाल

साधारण सा दिखने वाला बाचा गांव देश और दुनिया में उस दिन चमक चुका था जब इस गांव के पूरे 74 घरो में धुआंरहित रसोई बनी थी. क्योंकि इस गांव में चूल्हा तो जलता है लेकिन धुआं नहीं उठता. यहां के लोग ना तो लकड़ी जलाते हैं ना रसोई गैस. यहां खाना सोलर चूल्हे पर ही पकता है. लेकिन अब इस गांव ने पर्यावरण के साथ-साथ जलसंरक्षण के लिए मिसाल बनने जा रहा है.

जमीन का जल स्तर बढ़ाने इस गांव के ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों में सोखता गड्ढा बनाएं हैं. जिनमें बारिश का जमा पानी छतों से पाइप और नालियों के जरिए इस गढ्ढे में जमा हो जाता है और चंद घंटों में ही यह पानी सीधे जमीन में उतर जाता है.

Intro:बैतूल ।।

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले बाचा गांव देश दुनिया का पहला आदर्श गांव है जहां हर घर मे सोलर चूल्हे पर खाना पकता है । देश दुनिया मे अपनी चमक जमा चुका यह गांव एक बार फिर सुर्खियों में है अब यहां जल संरक्षण के लिए हर घर मे जुगाड़ टेक्नोलॉजी का स्तेमाल करते हुए सोखता गढ्ढा बनाये गए है जिसमे छतों पर जमा बारिश का पानी सीधा इन गड्ढो में चला जाता है और यह पानी चंद घंटों में ही सीधे जमीन में चला जाता है । 74 घरो वाले बाचा गांव के 90 प्रतिशत घरो में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बन चुके है और बचे हुए 10 प्रतिशत घरो में एक से दो दिनों मे यह बना लिए जाएंगे ।


Body:साधारण सा दिखने वाला बाचा गांव देश दुनिया मे उस दिन चमक चुका था जब इस गांव के पूरे 74 घरो में धुवारहित रसोई बनी थी । क्योंकि इस गांव में चूल्हा तो जलता है लेकिन धुवा नही उठता यहां के लोग ना तो लकड़ी जलाते है ना रसोई गैस यहां खाना सोलर चूल्हे पर ही पकता है । लेकिन अब इस गांव ने पर्यावरण के साथ साथ जलसंरक्षण के लिए मिसाल बनने जा रहा है । इस गांव के ग्रामीणों ने निजी खर्चे पर अपने अपने घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा लिए है ताकि उनकी छतों पर जमा पानी बर्बाद ना हो ।

जमीन का जल स्तर बढ़ाने इस गांव के ग्रामीणों ने अपने अपने घरों में सोखता गड्ढा बनावे है जिनमे बारिश का जमा पानी छतों से पाइप और नालिये के जरिये इस गढ्ढे में जमा हो जाता है और चंद घंटों में ही यह पानी सीधे जमीन में उतर जाता है । गांव के ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा भारत भारत शिक्षा से मिली जिसके बाद सभी ग्रामीणों ने अपने अपने घरों में सोखता गढ्ढा बनाने की ठान ली । जिसका फायदा अब आने वाली बारिश में उन्हें मिलने वाला है । इस सोखते गढ्ढे को 3 से 4 फिट खोदा गया है जिसमे रेत मिट्टी, गिट्टी और बजरी डाली गई है जिससे जमा पानी कुछ ही घंटों में जमीन में चला जाता है ।


Conclusion:आपको बता दे कि बैतूल जिले का बाचा गांव देश दुनिया का पहला ऐसा आदर्श गांव है जहां पर्यावरण संरक्षण, धुवारहित रसोई, साफ सफाई के जाना जाता था लेकिन अब जल संरक्षण के लिए भी जाना जाएगा ।

बाइट -- अनिल उइके ( ग्रामीण )
बाइट -- अनिता ( ग्रामीण )
बाइट -- रेजेन्द्र कावड़े ( सरपंच )
Last Updated : Jul 15, 2019, 2:13 AM IST
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