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MP Education System: एमपी के बैतूल में शिक्षा के अजीबो-गरीब हाल, झोपड़ी में चल रहा सरकारी स्कूल, प्रदेश के एजुकेशन की पोल खोलती तस्वीरें - MP education system

एमपी में डिजिटल इंडिया के जमाने में शिवराज सरकार की पोल खोलती ये खबर बैतूल से है. यहा भीमपुर ब्लॉक सालईढाना में एक स्कूल की स्थिति बेहद खराब है. यह स्कूल झोपड़ी में संचालित हो रहा है. देखें, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

MP Education System
बैतूल में झोपड़ी में चल रहा सरकारी स्कूल
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 23, 2023, 8:24 PM IST

Updated : Oct 23, 2023, 8:35 PM IST

बैतूल के सालईढाना में स्थित है स्कूल

बैतूल। डिजिटल इंडिया के जमाने मे बैतूल से एक बार फिर शिवराज सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर सामने आई है. भीमपुर ब्लॉक के सालईढाना की जहां पिछले 12 वर्षों से स्कूल एक झोपड़ी में संचालित हो रहा है. घासफूस और पन्नी से बनी यह झोपड़ी आधुनिक युग में स्मार्ट क्लास का दावा करने वाली शिवराज सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर करारा तमाचा है. इस स्कूल की संख्या 22 है और यहां दो शिक्षकों की तैनाती है. प्राथमिक शाला का भवन पिछले 12 वर्षों में पूर्ण नही हुआ. लिहाजा एक ग्रामीण की झोपड़ी में पिछले 12 साल से स्कूल का संचालन किया जा रहा है. इन बच्चों को सरकार का मध्यान्ह भोजन भी नही मिलता है.

बच्चों को एमडीएम भी नही मिलता: सालईढाना गांव में कोरकू समुदाय के आदिवासी निवास करते हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने कोरकू समुदाय को विलुप्त जनजाति की श्रेणी में रखा है. लेकिन शिवराज सरकार में आदिवासियों की क्या हालत है, ये तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं. सालईढाना गांव के ये आदिवासी बच्चे पिछले 12 वर्षों से ठंड और बारिश के मौसम में भी इसी झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है. बच्चों को एमडीएम भी नही मिलता हैं.

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12 साल से स्कूल भवन की कर रहे मांग: सालईढाना के ग्रामीणों और शिक्षक की माने तो 12 वर्षो से स्कूल भवन की मांग कर रहे हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार निवेदन भी कर चुके हैं, लेकिन इनकी कोई नही सुनता है. झोपड़ी स्कूल में बच्चे बारिश के दिनों में भीग जाते है बैठने की जगह नही होती है. झोपड़ी से पानी टपकता है, बच्चों की पुस्तकें भी खराब हो जाती हैं. साथ ही बच्चों को एमडीएम भी नही दिया जाता है.

इस मामले में जब जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की गई तो उनके अनुसार सालईढाना स्कूल भवन में निर्माण करने वाली एजेंसी से रिकवरी करने की बात कह रहे है. वहीं स्कूल भवन पर टिन सेड डाला गया था जो उड़ गया है. एमडीएम जल्द शुरू करने की बात अधिकारी कह रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि 12 सालों से ये अधिकार क्या कर रहे थे.

बैतूल के सालईढाना में स्थित है स्कूल

बैतूल। डिजिटल इंडिया के जमाने मे बैतूल से एक बार फिर शिवराज सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर सामने आई है. भीमपुर ब्लॉक के सालईढाना की जहां पिछले 12 वर्षों से स्कूल एक झोपड़ी में संचालित हो रहा है. घासफूस और पन्नी से बनी यह झोपड़ी आधुनिक युग में स्मार्ट क्लास का दावा करने वाली शिवराज सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर करारा तमाचा है. इस स्कूल की संख्या 22 है और यहां दो शिक्षकों की तैनाती है. प्राथमिक शाला का भवन पिछले 12 वर्षों में पूर्ण नही हुआ. लिहाजा एक ग्रामीण की झोपड़ी में पिछले 12 साल से स्कूल का संचालन किया जा रहा है. इन बच्चों को सरकार का मध्यान्ह भोजन भी नही मिलता है.

बच्चों को एमडीएम भी नही मिलता: सालईढाना गांव में कोरकू समुदाय के आदिवासी निवास करते हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने कोरकू समुदाय को विलुप्त जनजाति की श्रेणी में रखा है. लेकिन शिवराज सरकार में आदिवासियों की क्या हालत है, ये तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं. सालईढाना गांव के ये आदिवासी बच्चे पिछले 12 वर्षों से ठंड और बारिश के मौसम में भी इसी झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है. बच्चों को एमडीएम भी नही मिलता हैं.

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12 साल से स्कूल भवन की कर रहे मांग: सालईढाना के ग्रामीणों और शिक्षक की माने तो 12 वर्षो से स्कूल भवन की मांग कर रहे हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार निवेदन भी कर चुके हैं, लेकिन इनकी कोई नही सुनता है. झोपड़ी स्कूल में बच्चे बारिश के दिनों में भीग जाते है बैठने की जगह नही होती है. झोपड़ी से पानी टपकता है, बच्चों की पुस्तकें भी खराब हो जाती हैं. साथ ही बच्चों को एमडीएम भी नही दिया जाता है.

इस मामले में जब जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की गई तो उनके अनुसार सालईढाना स्कूल भवन में निर्माण करने वाली एजेंसी से रिकवरी करने की बात कह रहे है. वहीं स्कूल भवन पर टिन सेड डाला गया था जो उड़ गया है. एमडीएम जल्द शुरू करने की बात अधिकारी कह रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि 12 सालों से ये अधिकार क्या कर रहे थे.

Last Updated : Oct 23, 2023, 8:35 PM IST
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