बैतूल। गांव में सड़क ना होने के कारण एक गर्भवती महिला को डोली से 4 किमी तक पैदल चल कर मुख्य मार्ग पर लाना पड़ा. इसके बाद निजी वाहन कर भीमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. जहां उसका प्रसव कराया गया. मामला बैतूल जिले के भीमपुर ब्लॉक के भवईपुर गांव का है. आदिवासी परिवार की एक महिला गर्भवती थी उसे प्रसव पीड़ा हुई तो प्रसव के लिए अस्पताल ले जाना था मुख्य मार्ग से भवईपुर गांव तक सड़क नहीं है और दुर्गम रास्ता है ऐसे में ग्रामीणों ने देशी तरीके दो बल्ली में चादर बांध कर डोली बनाई और गर्भवती महिला को उसमें डाल कर तीन से चार किमी पैदल चल कर चिल्लोर देसली मुख्य मार्ग पर पहुंचे. गर्भवती महिला को डोली से 4 किमी पैदल ले जाने का वीडियो वायरल हो रहा हैं.
4KM का दुर्गम रास्ता: भीमपुर बीएमओ डॉक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि गर्भवती महिला ललिता का सुरक्षित प्रसव कराया गया है उसकी हालत भी ठीक है भवईपुर गांव तक सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस नहीं भेज पा रहे हैं. आदिवासी बाहुल्य गांव भवईपुरजहां की आबादी लगभग 700 है. यह गांव ग्राम पंचायत चिल्लोर के अंतर्गत आता है. इस गांव के ग्रामीणों की पीड़ा यह है कि यहां विकास नहीं पहुंच पाया है. इस गांव के लोगों को मुख्य सड़क पर आने के लिए लगभग 4 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है जो जंगलों के बीच से गुजरता है.
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मूलभूत सुविधाओं को तरसता गांव: एक तरफ देखा जाए तो विकास की चकाचौंध तो दूसरे तरफ विकास के नाम पर अंधकार है. अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के दावे के बीच भीमपुर का यह गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. ग्रामीणों की आंखें देखने को तरस गई है की उनके गांव को सड़क से कब जोड़ा जाएगा. मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण यहां के लोग मोबाइल पर मदद भी नहीं मांग सकते हैं. यही कारण है कि गर्भवती महिला के प्रसव के लिए एंबुलेंस नहीं बुला पाए.