बैतूल। सिस्टम की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला अपनी सेहत और अपने होनेवाले बच्चे का ध्यान रखने की बजाये खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगी है. दरअसल, भैंसदेही में एक जीवित महिला को मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना पंजीयन प्रमाण पत्र में मृत बता दिया गया है. अब बीते एक महीने से महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रही है.
जीवित हूं सरकार!
शिवराज सरकार ने गरीब गर्भवती महिलाओं के लिए संबल योजना के तहत 16 हजार रुपये दिए जाने की योजना चलाई है. इसमें बच्चे के जन्म से पहले 4 हजार रुपये महिला के खाते में डाले जाएंगे और जन्म के बाद 12 हजार रुपये. इस योजना का लाभ पाने के लिए जब ग्राम देड़पानी की रहनेवाली नर्मदा बाई ने अपने सभी दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग में दिए तो अधिकारियों ने दस्तावेजों को खारिज कर दिया. बताया गया कि मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना के पोर्टल पर में महिला को मृत बता रहा है, ये जानकर महिला और उसका परिवार आश्चर्यचकित है.
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जन्म 2000 में मृत्यु 1974 में !
सरकारी लापरवाही की इंतहा ये है कि दस्तावेज में नर्मदा बाई की जन्मतिथि मार्च 2000 है, लेकिन संबल योजना के पोर्टल में उन्हें 01/06/1974 में ही मृत बता दिया गया. नर्मदा के पति सुभाष पाटिल ने इस मामले को लेकर बैतूल कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन दिया है. लेकिन उसके बाद भी नर्मदा बाई का नाम संबल योजना के पंजीयन कार्ड में मृत ही बता रहा है. सुभाष पाटिल का कहना है कि मेरी पत्नी को संबल योजना में अपात्र बता दिया गया और उन्हें मृत दर्शाया गया है. सुभाष पाटिल ने मामले को लेकर सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सचिव द्वारा ही यहां सत्यापन किया गया.