बड़वानी। सेंधवा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पलासपानी गांव के किसानों ने बहरे हो चुके शासन-प्रशासन से उम्मीद छोड़कर अपनी समस्या को खुद ही हल करना शुरू कर दिया है. सैकड़ों ग्रामीणों ने 7-7 किलोमीटर की दो पहाड़ीनुमा पगडंडियों को सड़क बनाने में जुट गए हैं. गांव के पुरुष, महिला ही नहीं बच्चे भी श्रम दान कर पसीना बहाते नजर आ रहे हैं.
मामला बड़वानी के सेंधवा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले आदिवासी बहुल चिलारिया पंचायत के वनग्राम पलासपानी गांव का है. यहां आजादी के बाद से ही गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. वहीं जब शासन-प्रशासन से लाख गुहार लगाने के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो गांव के जवान, बच्चे और बुजुर्ग खुद ही रास्ता बनाने में लगे हैं.
1 मई यानि मजदूर दिवस से बालवाड़ी की आगा खान संस्था के सदस्यों की पहल पर 150 से अधिक ग्रामीण चिलारिया से पलासपानी तक कि 7 किमी के आधे से ज्यादा उबड़-खाबड़ पगडण्डीनुमा वाले मार्ग को चौड़ा कर गड्ढे भरने में लगे हैं. वहीं यह मार्ग पूरा होने पर ग्रामीण पलासपानी से कढ़ाईपानी तक के पहाड़ीनुमा मार्ग को भी पूरा करेंगे. बता दें कि इन रास्तों में जहां चारपहिया वाहन तक पहुंचना मुश्किल है, वहां मोटरसाइकिल सवार भी जान जोखिम में डाल कर गुजरते हैं.
ग्रामीणों का कहना है बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग पर कोई भी चारपहिया वाहन नहीं आता है. महिलाओं को प्रसव, उल्टी-दस्त और अन्य गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए दो पहिया वाहन से सफर करना पड़ता है. इस बीच कई बार दुर्घटनाएं भी हुई हैं. साथ ही खराब रोड के चलते रास्ते में जनहानि हो जाती है. वहीं दुर्गम रास्ते के चलते शिक्षक भी पढ़ाने नहीं आते हैं, लिहाजा बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.
बता दें कि भाजपा शासन के इस क्षेत्र से अंतरसिंह आर्य 15 साल तक मंत्री रहे. उस दौरान सरकार ने विकास के वादे भी खूब किए, लेकिन बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग की कहानी सरकार के विकास के खोखले दावों की पोल खोलने के लिए काफी है.