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शासन-प्रशासन ने नहीं सुनी गुहार, तो ग्रामीणों ने खुद बनानी शुरू की सड़क

बड़वानी जिले के सेंधवा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पलासपानी गांव के किसानों ने खुद ही सड़क बनानी शुरू कर दी है. गांव के सैकड़ों लोग श्रम दान कर सड़क बनाने में लगे हुए हैं.

सड़क बनाते ग्रामीण
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Published : May 9, 2019, 2:35 PM IST

बड़वानी। सेंधवा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पलासपानी गांव के किसानों ने बहरे हो चुके शासन-प्रशासन से उम्मीद छोड़कर अपनी समस्या को खुद ही हल करना शुरू कर दिया है. सैकड़ों ग्रामीणों ने 7-7 किलोमीटर की दो पहाड़ीनुमा पगडंडियों को सड़क बनाने में जुट गए हैं. गांव के पुरुष, महिला ही नहीं बच्चे भी श्रम दान कर पसीना बहाते नजर आ रहे हैं.

सड़क बनाते ग्रामीण


मामला बड़वानी के सेंधवा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले आदिवासी बहुल चिलारिया पंचायत के वनग्राम पलासपानी गांव का है. यहां आजादी के बाद से ही गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. वहीं जब शासन-प्रशासन से लाख गुहार लगाने के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो गांव के जवान, बच्चे और बुजुर्ग खुद ही रास्ता बनाने में लगे हैं.


1 मई यानि मजदूर दिवस से बालवाड़ी की आगा खान संस्था के सदस्यों की पहल पर 150 से अधिक ग्रामीण चिलारिया से पलासपानी तक कि 7 किमी के आधे से ज्यादा उबड़-खाबड़ पगडण्डीनुमा वाले मार्ग को चौड़ा कर गड्ढे भरने में लगे हैं. वहीं यह मार्ग पूरा होने पर ग्रामीण पलासपानी से कढ़ाईपानी तक के पहाड़ीनुमा मार्ग को भी पूरा करेंगे. बता दें कि इन रास्तों में जहां चारपहिया वाहन तक पहुंचना मुश्किल है, वहां मोटरसाइकिल सवार भी जान जोखिम में डाल कर गुजरते हैं.


ग्रामीणों का कहना है बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग पर कोई भी चारपहिया वाहन नहीं आता है. महिलाओं को प्रसव, उल्टी-दस्त और अन्य गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए दो पहिया वाहन से सफर करना पड़ता है. इस बीच कई बार दुर्घटनाएं भी हुई हैं. साथ ही खराब रोड के चलते रास्ते में जनहानि हो जाती है. वहीं दुर्गम रास्ते के चलते शिक्षक भी पढ़ाने नहीं आते हैं, लिहाजा बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.
बता दें कि भाजपा शासन के इस क्षेत्र से अंतरसिंह आर्य 15 साल तक मंत्री रहे. उस दौरान सरकार ने विकास के वादे भी खूब किए, लेकिन बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग की कहानी सरकार के विकास के खोखले दावों की पोल खोलने के लिए काफी है.

बड़वानी। सेंधवा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पलासपानी गांव के किसानों ने बहरे हो चुके शासन-प्रशासन से उम्मीद छोड़कर अपनी समस्या को खुद ही हल करना शुरू कर दिया है. सैकड़ों ग्रामीणों ने 7-7 किलोमीटर की दो पहाड़ीनुमा पगडंडियों को सड़क बनाने में जुट गए हैं. गांव के पुरुष, महिला ही नहीं बच्चे भी श्रम दान कर पसीना बहाते नजर आ रहे हैं.

सड़क बनाते ग्रामीण


मामला बड़वानी के सेंधवा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले आदिवासी बहुल चिलारिया पंचायत के वनग्राम पलासपानी गांव का है. यहां आजादी के बाद से ही गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. वहीं जब शासन-प्रशासन से लाख गुहार लगाने के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो गांव के जवान, बच्चे और बुजुर्ग खुद ही रास्ता बनाने में लगे हैं.


1 मई यानि मजदूर दिवस से बालवाड़ी की आगा खान संस्था के सदस्यों की पहल पर 150 से अधिक ग्रामीण चिलारिया से पलासपानी तक कि 7 किमी के आधे से ज्यादा उबड़-खाबड़ पगडण्डीनुमा वाले मार्ग को चौड़ा कर गड्ढे भरने में लगे हैं. वहीं यह मार्ग पूरा होने पर ग्रामीण पलासपानी से कढ़ाईपानी तक के पहाड़ीनुमा मार्ग को भी पूरा करेंगे. बता दें कि इन रास्तों में जहां चारपहिया वाहन तक पहुंचना मुश्किल है, वहां मोटरसाइकिल सवार भी जान जोखिम में डाल कर गुजरते हैं.


ग्रामीणों का कहना है बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग पर कोई भी चारपहिया वाहन नहीं आता है. महिलाओं को प्रसव, उल्टी-दस्त और अन्य गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए दो पहिया वाहन से सफर करना पड़ता है. इस बीच कई बार दुर्घटनाएं भी हुई हैं. साथ ही खराब रोड के चलते रास्ते में जनहानि हो जाती है. वहीं दुर्गम रास्ते के चलते शिक्षक भी पढ़ाने नहीं आते हैं, लिहाजा बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.
बता दें कि भाजपा शासन के इस क्षेत्र से अंतरसिंह आर्य 15 साल तक मंत्री रहे. उस दौरान सरकार ने विकास के वादे भी खूब किए, लेकिन बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग की कहानी सरकार के विकास के खोखले दावों की पोल खोलने के लिए काफी है.

Intro:स्पेशल स्टोरी
बड़वानी जिले के सेंधवा विकासखण्ड अंतर्गत आदिवासी बहुल चिलारिया पंचायत के वनग्राम पलासपानी गांव में ग्रामीणों ने सरकार के विकास के दावों की पोल खोलते हुए आईना दिखा दिया है और खुद ही सैकड़ो ग्रामीणों ने 7-7 किमी के दो पहाड़ीनुमा दुर्गम पगडंडियों पर श्रमदान कर पसीना बहाते हुए सड़क का रूप देने में जुटे है, तपती धूप में क्या बच्चे ,क्या महिलाए और पुरुष सभी आवागमन के लिए पहाड़ी को खोद कर सड़क निर्माण में लगे है। नन्हे नहे हाथों से अबोध बालक बालिकाए हाथों तगारी लिए बोल्डर पत्थर से गड्ढे भरने में पसीना बहा रहे है।


Body:जब चिलारिया पंचायत के पलासपानी गांव के लोग शासन फावड़े उठाकर पहाड़ी का सीना चीर राह बनाने में जुट गए। 60 से अधिक वर्षो से सुगम आवागमन के लिए झूझ रहे सैकड़ो आदिवासी कई मर्तबा ग्रामसभा , जनपद , कलेक्टर और यहाँ तक सीएम हेल्पलाइन और भोपाल के आलाधिकारीयों तक गुहार लगा चुके है लेकिन इस क्षेत्र की करीब 6 पंचायतों के दर्जनों गांवों के लोग विकास की राह जोटते रहे लेकिन जब उनका विश्वास इन सब से उठ गया तो खुद निकल पड़े राह बनाने । 1 मई मजदूर दिवस से बालवाड़ी की आगा खान संस्था के सदस्यों की पहल पर 150 से अधिक ग्रामीण चिलारिया से पलासपानी तक कि 7 किमी के आधे से ज्यादा उबड़ खाबड़ पगडण्डीनुमा वाले मार्ग को चौड़ा कर गढ्ढे भरने में लगे है वही यह मार्ग पूर्ण होने पर ग्रामीण पलासपानी से कढ़ाईपानी तक के पहाड़ीनुमा मार्ग जहा चार पहिया वाहन पहुचना मुश्किल है वही मोटरसाइकिल की सवारी भी जान में जोखिम डाल कर गुजरते है , इस मार्ग को भी पूर्ण करेंगे। ग्रामीणों का कहना है बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग पर कोई भी चार पहिया वाहन नही आता है, महिलाओं को प्रसव, उल्टी दस्त और अन्य गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए दो पहिया वाहन से सफर करना पड़ता है इस बीच कई बार दुर्घटनाए भी हुई है साथ ही खराब रोड के चलते रास्ते मे जनहानि हो जाती है। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है दुर्गम रास्ते के चलते शिक्षक भी पढ़ाने नही आते है साथ ही स्वास्थ्यकर्मी भी नही पहुचते।


Conclusion:भाजपा शासन के इस क्षेत्र से अंतरसिंह आर्य 15 साल तक मंत्री रहे और सरकार ने विकास के वादे भी खूब किए किन्तु बलवाड़ी से चाचारिया मार्ग की कहानी सरकार के विकास के खोखले दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।
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