ETV Bharat / state

अगस्त्य मुनि ने कराई थी पाताल गणेश की स्थापना, कीजिए दक्षिण भारत शैली में बनी प्रतिमा के दर्शन - Ganesh Utsav in Barwani

गणेश उत्सव के अवसर ईटीवी भारत करा रहा है प्रदेश की इकलौती आलौकिक और चमत्कारी पाषाण प्रतिमा के दर्शन जो दक्षिण भारतीय शैली में स्थापित है.

Patal Ganesh Temple of Barwani
बड़वानी में विराजित हैं पाताल गणेश
author img

By

Published : Aug 24, 2020, 12:21 AM IST

Updated : Aug 24, 2020, 12:15 PM IST

बड़वानी। देश भर में गणेशोत्सव शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना काल के चलते बड़े पंडाल लगाने की सख्ती मनाही है. भगवान गणेश की स्थापना पर भी कोरोना का प्रभाव देखने को मिल रहा है, लोग अपने घरों में ही स्थापना कर विधि विधान से पूजा-पाठ कर रहे हैं. ऐसे में हम आप को दर्शन करा रहे हैं, प्रदेश की इकलौती अलौकिक व चमत्कारी पाषाण प्रतिमा के, जो दक्षिण भारतीय शैली में स्थापित है. यह प्रतिमा बड़वानी शहर की जंबू गली में 12 फिट जमीन के अंदर स्थित पाताल गणेश मंदिर में स्थापित है.

बड़वानी में विराजित हैं पाताल गणेश

रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजे हैं गणेश

यहां चमत्कारी भगवान गणेश अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं. जानकारों के मुताबिक यह प्राचीन मंदिर 500 से 600 साल पुराना है, कालांतर में बड़वानी का नाम सिद्धनगर था और यहां के महाराजा ने भगवान शिव, कालिका और गणेश के सिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया था. उनके वंशज वर्तमान में इन मंदिरों में समय समय पर दर्शन के लिए आते रहते हैं.

Patal Ganesh Temple of Barwani
पाताल गणेश

अगस्त्य ऋषि ने की थी स्थापना
शहर के बीच स्थित भगवान गणेश मंदिर के मूर्ति की स्थापना पुराणों के अनुसार अगस्त्य ऋषि द्वारा की गई थी, जो कालांतर में कुएं की खुदाई के दौरान निकली थी. जिसे बड़वानी रियासत के तात्कालीन महाराज ने मंदिर बनवाकर स्थापित करना चाहा, लेकिन मूर्ति जहां पाई गई वहां से हिली तक नहीं और राजा को गणेश जी की स्थापना वहीं करनी पड़ी, इसलिए ये मंदिर करीब 12 फीट नीचे बना हुआ है.

Patal Ganesh Temple of Barwani
पाताल गणेश

विशेष है प्रतिमा
बात मूर्ति की विशेषता को लेकर करें तो भगवान गणेश की यह अनूठी मूर्ति दक्षिण मुखी है और दक्षिण भारत शैली में निर्मित है, जो दूर से देखने पर काष्ठ की बनाई प्रतिमा लगती है. गणेश जी की बैठक मुद्रा वाली प्रतिमा जिसके गले में सर्प है. वहीं एक हाथ में वैजन्तीमाला और दूसरे हाथ लड्डू दिखाई देते हैं.

Patal Ganesh Temple of Barwani
पाताल गणेश

कोरोना के कारण उत्सव फीका
दक्षिण भारतीय शैली की तर्ज पर बनाई गई अनूठी पाषाण प्रतिमा के दर्शन से मन प्रसन्न हो जाता है. राजशाही परिवार द्वारा जंबू गली में विराजित पाताल गणेश के दर्शन के लिए भक्तों का हमेशा तांता लगा रहता है. वहीं शृद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने पर दूर-दराज से लोग भगवान पाताल गणेश के दर्शन करने व मन्नत लेकर साल भर आते रहते हैं. हालांकि कोरोना के ग्रहण से इस बार स्वयं भगवान भी नहीं बच सके हैं, इसी के चलते गणेशोत्सव में उत्साह फीका है. पूरे उत्सव के दौरान सीमित संख्या में लोग आरती में शामिल हो रहे हैं.

बड़वानी। देश भर में गणेशोत्सव शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना काल के चलते बड़े पंडाल लगाने की सख्ती मनाही है. भगवान गणेश की स्थापना पर भी कोरोना का प्रभाव देखने को मिल रहा है, लोग अपने घरों में ही स्थापना कर विधि विधान से पूजा-पाठ कर रहे हैं. ऐसे में हम आप को दर्शन करा रहे हैं, प्रदेश की इकलौती अलौकिक व चमत्कारी पाषाण प्रतिमा के, जो दक्षिण भारतीय शैली में स्थापित है. यह प्रतिमा बड़वानी शहर की जंबू गली में 12 फिट जमीन के अंदर स्थित पाताल गणेश मंदिर में स्थापित है.

बड़वानी में विराजित हैं पाताल गणेश

रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजे हैं गणेश

यहां चमत्कारी भगवान गणेश अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं. जानकारों के मुताबिक यह प्राचीन मंदिर 500 से 600 साल पुराना है, कालांतर में बड़वानी का नाम सिद्धनगर था और यहां के महाराजा ने भगवान शिव, कालिका और गणेश के सिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया था. उनके वंशज वर्तमान में इन मंदिरों में समय समय पर दर्शन के लिए आते रहते हैं.

Patal Ganesh Temple of Barwani
पाताल गणेश

अगस्त्य ऋषि ने की थी स्थापना
शहर के बीच स्थित भगवान गणेश मंदिर के मूर्ति की स्थापना पुराणों के अनुसार अगस्त्य ऋषि द्वारा की गई थी, जो कालांतर में कुएं की खुदाई के दौरान निकली थी. जिसे बड़वानी रियासत के तात्कालीन महाराज ने मंदिर बनवाकर स्थापित करना चाहा, लेकिन मूर्ति जहां पाई गई वहां से हिली तक नहीं और राजा को गणेश जी की स्थापना वहीं करनी पड़ी, इसलिए ये मंदिर करीब 12 फीट नीचे बना हुआ है.

Patal Ganesh Temple of Barwani
पाताल गणेश

विशेष है प्रतिमा
बात मूर्ति की विशेषता को लेकर करें तो भगवान गणेश की यह अनूठी मूर्ति दक्षिण मुखी है और दक्षिण भारत शैली में निर्मित है, जो दूर से देखने पर काष्ठ की बनाई प्रतिमा लगती है. गणेश जी की बैठक मुद्रा वाली प्रतिमा जिसके गले में सर्प है. वहीं एक हाथ में वैजन्तीमाला और दूसरे हाथ लड्डू दिखाई देते हैं.

Patal Ganesh Temple of Barwani
पाताल गणेश

कोरोना के कारण उत्सव फीका
दक्षिण भारतीय शैली की तर्ज पर बनाई गई अनूठी पाषाण प्रतिमा के दर्शन से मन प्रसन्न हो जाता है. राजशाही परिवार द्वारा जंबू गली में विराजित पाताल गणेश के दर्शन के लिए भक्तों का हमेशा तांता लगा रहता है. वहीं शृद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने पर दूर-दराज से लोग भगवान पाताल गणेश के दर्शन करने व मन्नत लेकर साल भर आते रहते हैं. हालांकि कोरोना के ग्रहण से इस बार स्वयं भगवान भी नहीं बच सके हैं, इसी के चलते गणेशोत्सव में उत्साह फीका है. पूरे उत्सव के दौरान सीमित संख्या में लोग आरती में शामिल हो रहे हैं.

Last Updated : Aug 24, 2020, 12:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.