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मां को हाथ ठेले पर बिठाकर अस्पताल पहुंचता है बेटा, रोज करता है 26 किलोमीटर का सफर

बड़वानी जिले के लोनसरा गांव में रहने वाला राधेश्याम नाम का एक व्यक्ति अपनी मां को इलाज के लिए हर दिन हाथठैले पर बिठाकर 13 किलोमीटर का सफर तय कर अस्पताल पहुंचता है.

मां को हाथ ठेले पर बिठाकर अस्पताल पहुंचता है बेटा
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Published : Sep 14, 2019, 11:53 PM IST

बड़वानी। एक तरफ सरकारें उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध कराए जाने का वादा करती हैं. लेकिन जब किसी असहाय को कोई मदद नहीं मिलती तो वादे खोखले ही नजर आते हैं. ऐसा ही एक मामला बड़वानी जिले के लोनसरा गांव से सामने आया. जहां एक व्यक्ति अपनी बीमार बुजुर्ग मां को हाथ ठेले पर बैठाकर 13 किलोमीटर दूर अस्पताल तक लाया. ऐसा उसे इसलिए करना पड़ा क्योंकि स्वास्थ्य विभाग से उसे कोई मदद नहीं मिली.

मां को हाथ ठेले पर बिठाकर अस्पताल पहुंचता है बेटा

20 दिन पहले युवक की मां के पैर में काटा चुभ गया था जिसके चलते घांव हो जाने से डॉक्टरों ने आपरेशन करने की बात कही. जिसके बाद वह जिला अस्पताल अब तक चार बार हाथठेले से अपनी मां के पांव के जख्म की ड्रेसिंग करवा चुका है.

जब इस स्थिति पर गांव के एक शिक्षक से इस मामले में पूछा गया तो कि ग्रामीण ऐसे समय पर मानवीय आधार पर मदद क्यो नहीं करते तो. उन्होंने कहा कि लोग तो मदद करना तो चाहते है लेकिन खुद्दारी की वजह से वह मना कर देता है.

जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर लोनसरा गांव जहां बस के आने जाने की सुविधा नहीं है. इसी के चलते इस गांव के युवक जो हाथठेले पर पुराने बर्तन सुधारने का कार्य करता है. वहीं मां के इलाज के लिए वह रोज 26 किमी पैदल इलाज के लिए आना-जाना कर रहा है.

बड़वानी। एक तरफ सरकारें उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध कराए जाने का वादा करती हैं. लेकिन जब किसी असहाय को कोई मदद नहीं मिलती तो वादे खोखले ही नजर आते हैं. ऐसा ही एक मामला बड़वानी जिले के लोनसरा गांव से सामने आया. जहां एक व्यक्ति अपनी बीमार बुजुर्ग मां को हाथ ठेले पर बैठाकर 13 किलोमीटर दूर अस्पताल तक लाया. ऐसा उसे इसलिए करना पड़ा क्योंकि स्वास्थ्य विभाग से उसे कोई मदद नहीं मिली.

मां को हाथ ठेले पर बिठाकर अस्पताल पहुंचता है बेटा

20 दिन पहले युवक की मां के पैर में काटा चुभ गया था जिसके चलते घांव हो जाने से डॉक्टरों ने आपरेशन करने की बात कही. जिसके बाद वह जिला अस्पताल अब तक चार बार हाथठेले से अपनी मां के पांव के जख्म की ड्रेसिंग करवा चुका है.

जब इस स्थिति पर गांव के एक शिक्षक से इस मामले में पूछा गया तो कि ग्रामीण ऐसे समय पर मानवीय आधार पर मदद क्यो नहीं करते तो. उन्होंने कहा कि लोग तो मदद करना तो चाहते है लेकिन खुद्दारी की वजह से वह मना कर देता है.

जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर लोनसरा गांव जहां बस के आने जाने की सुविधा नहीं है. इसी के चलते इस गांव के युवक जो हाथठेले पर पुराने बर्तन सुधारने का कार्य करता है. वहीं मां के इलाज के लिए वह रोज 26 किमी पैदल इलाज के लिए आना-जाना कर रहा है.

Intro:आर्थिक तंगी के चलते कोई साधन नही होने से एक व्यक्ति अपनी बीमार 72 वर्षीया मां को हाथ ठेले पर लेकर 13 किमी दूर से जिला अस्पताल ले आया। लोनसरा का रहने वाला राधेश्याम हाथठेले से लौहारी का काम करता है । Body:20 दिन पहले युवक की मां के पैर में काटा चुभ गया था जिसके चलते घांव हो जाने से डॉक्टरों ने आपरेशन किया जिसके बाद वह जिला अस्पताल अब तक चार बार हाथठेले से अपनी मां के पांव के जख्म की ड्रेसिंग करवा चुका है। गांव के एक शिक्षक से इनकी स्थिति को लेकर पूछा गया कि ग्रामीण ऐसे समय मानवीय आधार पर मदद क्यो नही करते तो उनका कहना कि लोग तो मदद करना तो चाहते है लेकिन खुद्दारी की वजह से वह मना कर देता है।
जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर लोनसरा गांव जहा बस के आने जाने की सुविधा नही है जिसके चलते इस गांव के युवक जो हाथठेले पर पुराने बर्तन सुधारने का कार्य करता है उसकी 72 वर्षीय मां के पैर में कांटा चुभने से घाव हो गया था । आर्थिक तंगी और आवागमन के साधन नही होने के बावजूद अपने स्वाभिमान की वजह से राधेश्याम अपनी मां को हाथठेले पर लेकर करीब दो घण्टे के पैदल सफर में जिला अस्पताल पहुंच कर इलाज के लिए ला रहा है। डॉ ने लगातार ड्रेसिंग की सलाह दी जिस पर युवक अपनी मां को लेकर जिला अस्पताल इलाज के लिए ला रहा है इस वह पैदल 26 किमी पैदल इलाज के लिए आना जाना कर रहा है।
बाइट 01 -रेवा बाई-मरीज
बाईट 02- महेंद्र शर्मा शिक्षक लोनसरा खुर्द

Conclusion:आर्थिक तंगी और आवागमन के साधन नही होने तथा किसी से मदद की आशा न रखने वाले राधेश्याम को 13 किमी दूर से अपनी बुजुरव बीमार मां का इलाज कराने बड़वानी जिला अस्पताल लाते देख जानकारी ली गई तो पता चला कि वह अपनी बीमार को इसी तरह 2 घण्टे पैदल चल कर जिला अस्पताल चार बार ला चुका है।
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