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धूमधाम से मनाया गया कानबाई माता का उत्सव, बढ़-चढ़कर लोगों ने लिया हिस्सा

पानसेमल में महाराष्ट्रियन समाज ने तीन दिवसीय कानबाई माता उत्सव का आयोजन किया. इसमें सभी उम्र के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. महाराष्ट्र की सीमा से लगे प्रदेश के इलाकों में ये पर्व धूमधाम से मनाया गया.

धूमधाम से मनाया गया कानबाई माता का उत्सव
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Published : Aug 7, 2019, 12:43 PM IST

बड़वानी। जिले के पानसेमल में कानबाई माता उत्सव की धूम चारों ओर देखने को मिली. ये उत्सव महाराष्ट्रियन समाज का सबसे बड़ा उत्सव है. महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश की सीमाओं से सटे जिलों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है.

धूमधाम से मनाया गया कानबाई माता का उत्सव
यह उत्सव हर साल श्रावणी अमावस्या के पहले रविवार को मनाया जाता है, बशर्ते अमावस्या शनिवार को न हो. ये उत्सव तीन दिनों का होता है, जिसमें पहले दिन शनिवार की शाम से देर रात तक कुल देवता के सामने पूजित गेहूं को घर पर ही गट्टी पर पीसा जाता है, इसे सिर्फ सूतकी परिवार सप्ताह भर खाता है, जिसे रोट कहा जाता है.दूसरे दिन रविवार को माता कानबाई की स्थापना की जाती है और रातभर जागरण कर भजन-पूजन किया जाता है. इसमें विभिन्न आयोजन भी किए जाते हैं. तीसरे दिन सोमवार को माता जी का चल समारोह धूमधाम से निकाला जाता है और निश्चित घाट पर मनसा विसर्जन किया जाता है. यह उत्सव जिले भर के गांव-शहरों में अलग-अलग मनाया जाता है, जिसमें क्षेत्र की जनता शामिल होती है.

बड़वानी। जिले के पानसेमल में कानबाई माता उत्सव की धूम चारों ओर देखने को मिली. ये उत्सव महाराष्ट्रियन समाज का सबसे बड़ा उत्सव है. महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश की सीमाओं से सटे जिलों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है.

धूमधाम से मनाया गया कानबाई माता का उत्सव
यह उत्सव हर साल श्रावणी अमावस्या के पहले रविवार को मनाया जाता है, बशर्ते अमावस्या शनिवार को न हो. ये उत्सव तीन दिनों का होता है, जिसमें पहले दिन शनिवार की शाम से देर रात तक कुल देवता के सामने पूजित गेहूं को घर पर ही गट्टी पर पीसा जाता है, इसे सिर्फ सूतकी परिवार सप्ताह भर खाता है, जिसे रोट कहा जाता है.दूसरे दिन रविवार को माता कानबाई की स्थापना की जाती है और रातभर जागरण कर भजन-पूजन किया जाता है. इसमें विभिन्न आयोजन भी किए जाते हैं. तीसरे दिन सोमवार को माता जी का चल समारोह धूमधाम से निकाला जाता है और निश्चित घाट पर मनसा विसर्जन किया जाता है. यह उत्सव जिले भर के गांव-शहरों में अलग-अलग मनाया जाता है, जिसमें क्षेत्र की जनता शामिल होती है.
Intro:पानसेमल/ जिला बड़वानी अंतर्गत क्षेत्र भर में महाराष्ट्रीयन समाज के सबसे बड़े उत्सव कानबाई माता उत्सव की धूम रही जिसमें महिला पुरुष बच्चे बुजुर्ग सभी उत्साह पूर्वक रूप में शामिल हुएBody:मालवा निमाड़ के प्रसिद्ध उत्सव गणगौर उत्सव की भर्ती महाराष्ट्रीयन समाज का सबसे बड़ा उत्सव कानबाई माता उत्सव है जो संपूर्ण महाराष्ट्र में मनाया जाता है उसी प्रकार महाराष्ट्र सीमा से सटे मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में भी यह उत्सव उसी उत्साह से मनाया जाता हैConclusion: हुक तो उत्सव प्रतिवर्ष श्रावणी अमावस्या के प्रथम रविवार को मनाया जाता है बशर्ते अमावस्या शनिवार को ना हो उत्सव 3 दिनों तक चलता है जिसके अंतर्गत प्रथम दिवस शनिवार की शाम से देर रात तक कुल देवता के सामने पूजित गेहूं को घर पर ही गट्टी पर पीसा जाता है जिसे केवल सूतकी परिवार द्वारा सप्ताह भर खाया जाता है इसे रोट कहा जाता है
दूसरे दिन रविवार को माता कानबाई की स्थापना की जाती है तथा रात भर जागरण वह भजन पूजन किया जाता है जिसमें विभिन्न आयोजन भी किए जाते हैं
तीसरा अंतिम दिवस सोमवार को माता जी का चल समारोह धूमधाम से निकाला जाता है तथा निश्चित स्थल घाट पर मनसा विसर्जन किया जाता है
उक्त उत्सव जिले भर के गांव व शहरों में अलग अलग मनाया जाता है जिसमें क्षेत्र की जनता सम्मिलित होती है
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