बड़वानी। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच किसानों हालत अब पस्त हो चुकी है. पश्चिम निमाड़ के अन्नदाता इन दिनों काफी परेशान हैं. एक तो नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के चलते इन किसानों के खेत जलमग्न हो गए थे, करीब 6 माह के अंतराल के बाद जब जलस्तर कम हुआ, तो किसानों की उम्मीद जागी ही थी कि, उनके सपनों पर कोरोना वायरस की काली परछाई पड़ गई, लॉकडाउन में खरीददारों के अभाव में सब्जियां खेतों मे खराब होने की कगार पर पहुंच गई हैं. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि, लाखों रुपए की कमाई देने वाली फसल 1 रुपए किलो में भी कोई नहीं खरीद रहा रहा है.
लॉकडाउन का कहर
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन में जहां बड़े-बड़े उद्योगों पर ताले लग गए, वहीं किसानों पर भी चौतरफा मार पड़ी है. बड़वानी जिले के किसानों की अगर बात करें तो नर्मदा किनारे बसे कसरावद गांव के एक किसान ने 11 एकड़ में कद्दू की फसल लगाई थी. लेकिन लॉकडाउन कहर बनकर टूट, अब कोई भी खरीददार नहीं मिल रहा है. निमाड़ के किसानों को सब्जियों की फसल में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. ये सब कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण बड़ी-बड़ी मंडी बंद होने से हो रहा है. इसके साइड इफेक्ट ये है कि, किसान और कर्जदार होते जा रहे हैं, सरकारी स्तर पर इन किसानों को कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
मजदूरों के लिए नहीं निकल रही मजदूरी
सब्जी की फसल खेत में ही सड़कर बर्बााद होने की कगार पर पहुंच गई हैं. व्यापारी भी इसका फायदा उठाकर औने- पौने दाम लगा रहे हैं. जहां किसान को पिछले साल 5 लाख रुपये तक का लाभ हुआ था, वहीं इस बार मजदूरों की मजदूरी देने के लिए भी पैसे नहीं निकल रहे हैं.