बड़वानी। अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है, औसत से 46 फीसदी अधिक हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. किसान की साल भर की मेहनत इस प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह चौपट हो गई. किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. किसानों की मानें तो बारिश से कपास और मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.
मुआवजा तो दूर, सर्वे भी नहीं हुआ
सरकारी आंकडों के मुताबिक टमाटर, सोयाबीन, ज्वार, मक्का, कपास और मूंग की फसल आसमानी आफत की भेंट चढ़ गई. इनमें सबसे ज्यादा नुकसान निमाड़ में प्रमुख फसल सफेद सोना कहे जाने वाले कपास का हुआ है. मक्के की फसल में कीड़े पड़ गए हैं. बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा मिलना तो दूर अभी तक सर्वे तक कराया गया है. इस आफत से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है.
इस प्राकृतिक आपदा में किसानों को लाखों रूपये का नुकसान हुआ है, लेकिन कोई भी अधिकारी किसानों की सुध लेने नहीं पहुंचा. मुआवजा मिलना तो दूर की बात है. कर्ममाफी का वादा अभी तक अधूरा ही रहा, अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा मिलना तो अब किसानों को भी दूर की कौड़ी नजर आने लगा है.
किसानों की बर्बाद हुई फसल के सर्वे को लेकर भले ही सिंधिया से लेकर शिवराज तक बयानबाजी कर चुके हों, लेकिन प्रदेश में किसानों की बदहाली का आलम ये है उनकी लागत भी नहीं निकली है, सरकार मुआवजे का मरहम लगाने के दावों तो बड़े- बड़े कर रही है, लेकिन जमीनी हमकीकत ये है कि अभी तक सर्वे भी नहीं हुई है. ये किसानों की बदहाली सरकारी दावों को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है.