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प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था में कलेक्टर और SP ने संभाला मोर्चा, ईटीवी भारत से की खास बातचीत

महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में जाने वाले प्रवासी मजदूरों को बड़वानी के सेंधवा स्थित बिजासन घाट पर छोड़ा जा रहा. प्रशासन इनकी व्यवस्थाओं में जुटा हुआ है.

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फील्ड पर कलेक्टर और एसपी तैनात
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Published : May 14, 2020, 8:58 PM IST

बड़वानी। जिले के सेंधवा स्थित बिजासन घाट पर रोजाना हजारों की संख्या में महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल के मजदूरों का पलायन जारी है. NH-3 पर ऐसा लग रहा है मानो पूरा महाराष्ट्र खाली हो रहा है. महाराष्ट्र से इन मजदूरों को बसों से दिन-रात मध्य प्रदेश की सीमा पर उतारा जा रहा है. जहां से बसों के जरिए उन्हें देवास जिले की सीमा पर छोड़ा जा रहा है. इसके अलावा महाराष्ट्र से ट्रकों के जरिए बड़ी संख्या में हजारों मजदूरों का पलायन भी जारी है.

फील्ड पर कलेक्टर और एसपी तैनात

महाराष्ट्र की सीमा पर प्रशासन ने 2 जोन बनाए हैं. जहां पर महाराष्ट्र से आने वाले मजदूरों को ठहराया जा रहा है. साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था भी की है. हालांकि घंटों के इंतजार के बाद लंबी लाइन में खड़े सैकड़ों मजदूर अपनी बारी आने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इस दौरान व्यवस्था बनाने में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को मशक्कत करना पड़ रही है.

जिले के कलेक्टर अमित तोमर और पुलिस अधीक्षक डीआर तेनीवार खुद मोर्चा संभाल रहे हैं. ईटीवी भारत से खास-बातचीत में एसपी और कलेक्टर ने बताया कि रोजाना करीब 100 से ज्यादा बसों के जरिए मजदूरों को उनके गंत्व्य तक पहुंचाया जा रहा है.खासकर जो लोग महाराष्ट्र से पैदल चलकर आ रहे हैं, उनका खास ध्यान रखा जा है.

भले ही जिला कोरोना मुक्त घोषित हो गया हो, लेकिन प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. कई बार व्यवस्थाओं की कमी के चलते यहां हंगामे के हालात भी बने हैं. करीब 7 हजार मजदूरों को यहां से रोज देवास तक छोड़ा जा रहा है.

बड़वानी। जिले के सेंधवा स्थित बिजासन घाट पर रोजाना हजारों की संख्या में महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल के मजदूरों का पलायन जारी है. NH-3 पर ऐसा लग रहा है मानो पूरा महाराष्ट्र खाली हो रहा है. महाराष्ट्र से इन मजदूरों को बसों से दिन-रात मध्य प्रदेश की सीमा पर उतारा जा रहा है. जहां से बसों के जरिए उन्हें देवास जिले की सीमा पर छोड़ा जा रहा है. इसके अलावा महाराष्ट्र से ट्रकों के जरिए बड़ी संख्या में हजारों मजदूरों का पलायन भी जारी है.

फील्ड पर कलेक्टर और एसपी तैनात

महाराष्ट्र की सीमा पर प्रशासन ने 2 जोन बनाए हैं. जहां पर महाराष्ट्र से आने वाले मजदूरों को ठहराया जा रहा है. साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था भी की है. हालांकि घंटों के इंतजार के बाद लंबी लाइन में खड़े सैकड़ों मजदूर अपनी बारी आने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इस दौरान व्यवस्था बनाने में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को मशक्कत करना पड़ रही है.

जिले के कलेक्टर अमित तोमर और पुलिस अधीक्षक डीआर तेनीवार खुद मोर्चा संभाल रहे हैं. ईटीवी भारत से खास-बातचीत में एसपी और कलेक्टर ने बताया कि रोजाना करीब 100 से ज्यादा बसों के जरिए मजदूरों को उनके गंत्व्य तक पहुंचाया जा रहा है.खासकर जो लोग महाराष्ट्र से पैदल चलकर आ रहे हैं, उनका खास ध्यान रखा जा है.

भले ही जिला कोरोना मुक्त घोषित हो गया हो, लेकिन प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. कई बार व्यवस्थाओं की कमी के चलते यहां हंगामे के हालात भी बने हैं. करीब 7 हजार मजदूरों को यहां से रोज देवास तक छोड़ा जा रहा है.

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