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कोरोना की मारः अफवाहों के चलते लोगों ने चिकन से बनाई दूरी, पोल्ट्री कारोबारियों की बढ़ी मुसीबत - कोरोना को लेकर अफवाहें

कोरोना काल में चिकन को लेकर फैली अफवाहों से इसकी मांग में कमी आई है. जिससे पोल्ट्री कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Corona effect on poultry industry
पोल्ट्री उद्योग पर कोरोना असर
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Published : Jun 27, 2020, 9:05 PM IST

Updated : Jun 28, 2020, 10:16 AM IST

बड़वानी। कोरोना वायरस को लेकर बाजार में नॉनवेज की बिक्री में गिरावट आई है. वायरस के डर से लोग इससे दूरी बना रहे हैं, तो वहीं कुक्कुट पालन करने वाले कारोबारियों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. दरअसल, जबसे कोरोना वायरस फैला है, तभी से लोगों ने मांसाहारी खाना खासकर चिकन बंद कर दिया है. ये अफवाह फैल रही है कि, मांसाहार का सेवन करने से कोरोना वायरस फैलता है. जिसकी वजह से लोग चिकन से दूरी बना रहे हैं.

कोरोना काल में पोल्ट्री कारोबारियों की बढ़ी मुसीबत

पोल्ट्री फार्म संचालक रमीज कुरैशी ने बताया कि, कोरोना के चलते फैली अफवाहों की वजह से ये स्थितियां बनी हैं. सोशल मीडिया पर वायरल संदेशों के चलते अब लोगों की मानसिकता बन गई है कि, चिकन खाने से भी कोरोना वायरस के शिकार हो सकते हैं. इस दौरान चिकन की मांग में कमी आई है, जिससे उत्पादन पर बुरा असर हुआ है. शहर में रोज करीब 16 टन चिकन की खपत होती थी. अब ये खपत तीन दिनों में हो रही है.

रमीज ने कहा कि, कुक्कुट उत्पादों का उत्पादन महाराष्ट्र में सर्वाधिक होता है. जहां से देश भर में इनका निर्यात किया जाता है. लेकिन कोरोना काल की शुरुआत में तो स्थिति ये थी कि, मुर्गियों को फ्री में बांटना पड़ा या फेंकने तक की नौबत आ गई थी. जिससे व्यवसायियों को करोड़ों का घाटा हुआ, साथ ही उत्पादन भी कम हो गया. अब धीरे-धीरे मांग बढ़ी है, तो कीमतों में इजाफा हुआ है.

कोरोना काल में चिकन को लेकर फैली अफवाहों का आलम ये था कि, भारत सरकार के पशुपालन व डेयरी मंत्रालय ने सभी राज्यों के सचिवों को पत्र के जरिए सूचित किया कि, चिकन खाने से कोरोना का संक्रमण नहीं होता है. वर्तमान में इसका सेवन न केवल सुरक्षित है, बल्कि प्रोटीन से भरपूर है. जो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

लोगों में जागरूकता के चलते धीरे-धीरे चिकन की मांग बढ़ गई, साथ ही इसकी कीमतों में भी तेजी आई. लेकिन कीमतों में तेजी का असर फिर उल्टा पड़ गया. चिकन का रेट बढ़ने से इसकी मांग कम होती जा रही है. जिससे पोल्ट्री कारोबारियों को नुकसान की चिंता सताने लगी है.

बड़वानी। कोरोना वायरस को लेकर बाजार में नॉनवेज की बिक्री में गिरावट आई है. वायरस के डर से लोग इससे दूरी बना रहे हैं, तो वहीं कुक्कुट पालन करने वाले कारोबारियों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. दरअसल, जबसे कोरोना वायरस फैला है, तभी से लोगों ने मांसाहारी खाना खासकर चिकन बंद कर दिया है. ये अफवाह फैल रही है कि, मांसाहार का सेवन करने से कोरोना वायरस फैलता है. जिसकी वजह से लोग चिकन से दूरी बना रहे हैं.

कोरोना काल में पोल्ट्री कारोबारियों की बढ़ी मुसीबत

पोल्ट्री फार्म संचालक रमीज कुरैशी ने बताया कि, कोरोना के चलते फैली अफवाहों की वजह से ये स्थितियां बनी हैं. सोशल मीडिया पर वायरल संदेशों के चलते अब लोगों की मानसिकता बन गई है कि, चिकन खाने से भी कोरोना वायरस के शिकार हो सकते हैं. इस दौरान चिकन की मांग में कमी आई है, जिससे उत्पादन पर बुरा असर हुआ है. शहर में रोज करीब 16 टन चिकन की खपत होती थी. अब ये खपत तीन दिनों में हो रही है.

रमीज ने कहा कि, कुक्कुट उत्पादों का उत्पादन महाराष्ट्र में सर्वाधिक होता है. जहां से देश भर में इनका निर्यात किया जाता है. लेकिन कोरोना काल की शुरुआत में तो स्थिति ये थी कि, मुर्गियों को फ्री में बांटना पड़ा या फेंकने तक की नौबत आ गई थी. जिससे व्यवसायियों को करोड़ों का घाटा हुआ, साथ ही उत्पादन भी कम हो गया. अब धीरे-धीरे मांग बढ़ी है, तो कीमतों में इजाफा हुआ है.

कोरोना काल में चिकन को लेकर फैली अफवाहों का आलम ये था कि, भारत सरकार के पशुपालन व डेयरी मंत्रालय ने सभी राज्यों के सचिवों को पत्र के जरिए सूचित किया कि, चिकन खाने से कोरोना का संक्रमण नहीं होता है. वर्तमान में इसका सेवन न केवल सुरक्षित है, बल्कि प्रोटीन से भरपूर है. जो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

लोगों में जागरूकता के चलते धीरे-धीरे चिकन की मांग बढ़ गई, साथ ही इसकी कीमतों में भी तेजी आई. लेकिन कीमतों में तेजी का असर फिर उल्टा पड़ गया. चिकन का रेट बढ़ने से इसकी मांग कम होती जा रही है. जिससे पोल्ट्री कारोबारियों को नुकसान की चिंता सताने लगी है.

Last Updated : Jun 28, 2020, 10:16 AM IST
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