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बालाघाट में बीजेपी की ढाल बन पायेंगे बिसेन, या कांग्रेस के मधु पर मुग्ध होगा मतदाता

बालाघाट लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को होने वाले मतदान का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने मधु भगत पर दांव लगाया है. 1951 से 2014 तक हुए 16 आम चुनावों में 8 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो पांच बार बीजेपी का कमल खिला है. तीन बार अन्य दलों के प्रत्याशियों को बालाघाट में जीत मिली है.

बालाघाट लोकसभा सीट
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Published : Apr 28, 2019, 5:33 AM IST

बालाघाट। वैनगंगा नदी के तट पर बसा मध्यप्रदेश का नक्सल प्रभावित बालाघाट जिला महाकौशल का बड़ा सियासी केंद्र माना जाता है. जहां 29 अप्रैल को होने वाले मतदान का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने मधु भगत पर दांव लगाया है. एक जमाने में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया और अब यहां बीजेपी का दबदबा माना जाता है. पिछले पांच चुनावों से यहां बीजेपी का झंडा बुलंद है. जबकि 1951 से 2014 तक हुए 16 आम चुनावों में 8 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो पांच बार बीजेपी का कमल खिला है और तीन बार अन्य दलों ने बालाघाट में अपना बल दिखाया है.

बालाघाट लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर

इस बार यहां 17 लाख 65 हजार 938 मतदाता वोट करेंगे. जिनमें 8 लाख 83 हजार 852 पुरुष हैं तो 8 लाख 82 हजार 77 महिला मतदाता हैं. बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में इस बार 2275 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 591 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील घोषित किए गए हैं. जहां प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. बालाघाट जिले में आने वाली तीन विधानसभा सीटें बैहर, लांजी और परसवाड़ा नक्सल प्रभावित मानी जाती है. जहां सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक ही मतदान निर्धारित है.

बालाघाट संसदीय सीट के तहत बालाघाट, बैहर, लांजी, परसवाड़ा, वारासिवनी, कंटगी, बरघाट, और सिवनी को मिलाकर 8 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से चार पर कांग्रेस तो तीन पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में है. 2014 के आम चुनाव में बीजेपी के बोध सिंह भगत ने कांग्रेस की हिना कांवरे को 96041 मतों से मात दी थी.

बीजेपी ने वर्तमान सांसद बोध सिंह का टिकट काटकर पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है. टिकट कटने से खफा बोध सिंह बतौर निर्दलीय मैदान में है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी कंकर मुजारे के आने से मुकाबला और कड़ा होने की उम्मीद है. खास बात ये है कि आदिवासी बाहुल्य बालाघाट सीट पर पवार और लोधी जाति का भी अच्छा प्रभाव माना जाता है. यही वजह है कि बेरोजगारी, पलायन, पानी, सड़क जैसे मुद्दों से परेशान यहां का मतदाता किसके साथ कदमताल करेगा, ये तो 23 मई को चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे.

बालाघाट। वैनगंगा नदी के तट पर बसा मध्यप्रदेश का नक्सल प्रभावित बालाघाट जिला महाकौशल का बड़ा सियासी केंद्र माना जाता है. जहां 29 अप्रैल को होने वाले मतदान का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने मधु भगत पर दांव लगाया है. एक जमाने में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया और अब यहां बीजेपी का दबदबा माना जाता है. पिछले पांच चुनावों से यहां बीजेपी का झंडा बुलंद है. जबकि 1951 से 2014 तक हुए 16 आम चुनावों में 8 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो पांच बार बीजेपी का कमल खिला है और तीन बार अन्य दलों ने बालाघाट में अपना बल दिखाया है.

बालाघाट लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर

इस बार यहां 17 लाख 65 हजार 938 मतदाता वोट करेंगे. जिनमें 8 लाख 83 हजार 852 पुरुष हैं तो 8 लाख 82 हजार 77 महिला मतदाता हैं. बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में इस बार 2275 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 591 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील घोषित किए गए हैं. जहां प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. बालाघाट जिले में आने वाली तीन विधानसभा सीटें बैहर, लांजी और परसवाड़ा नक्सल प्रभावित मानी जाती है. जहां सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक ही मतदान निर्धारित है.

बालाघाट संसदीय सीट के तहत बालाघाट, बैहर, लांजी, परसवाड़ा, वारासिवनी, कंटगी, बरघाट, और सिवनी को मिलाकर 8 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से चार पर कांग्रेस तो तीन पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में है. 2014 के आम चुनाव में बीजेपी के बोध सिंह भगत ने कांग्रेस की हिना कांवरे को 96041 मतों से मात दी थी.

बीजेपी ने वर्तमान सांसद बोध सिंह का टिकट काटकर पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है. टिकट कटने से खफा बोध सिंह बतौर निर्दलीय मैदान में है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी कंकर मुजारे के आने से मुकाबला और कड़ा होने की उम्मीद है. खास बात ये है कि आदिवासी बाहुल्य बालाघाट सीट पर पवार और लोधी जाति का भी अच्छा प्रभाव माना जाता है. यही वजह है कि बेरोजगारी, पलायन, पानी, सड़क जैसे मुद्दों से परेशान यहां का मतदाता किसके साथ कदमताल करेगा, ये तो 23 मई को चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे.

Intro:बालाघाट। वैनगंगा नदी के तट पर बसा एक खूबसूरत जिला है बालाघाट हालांकि जिला नक्सल जैसी बड़ी समस्या से ग्रसित है बालाघाट सिवनी संसदीय सीट पर इस बार 23 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस संसदीय सीट में 8 विधानसभा सीट है जिसमें 6 बालाघाट व सिवनी जिले को मिलाकर बनाया गया है यहां पर कुल 1765938 मतदाता है जिसमें 883852 प्लस 882077 महिला मतदाता है। प्रशासन ने बालाघाट सिवनी संसदीय सीट पर 2275 मतदान केंद्र बनाए हैं जिसमें 591 मतदान के क्रिटिकल मतदान केंद्र हैं जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं बालाघाट में तीन ऐसे विधानसभा है जो अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित है जिसमे बैहर परसवाड़ा और लांजी विधानसभा क्षेत्र है यहां पर मतदान का समय सुबह 7:00 से 4:00 बजे तक रखा गया है वहीं बागी स्थानों पर सुबह 7:00 से 6:00 बजे तक रहेगा।


Body:बालाघाट में प्रथम बार 1951 में लोकसभा चुनाव कराया गया था इस चुनाव में कांग्रेस से सीडी गौतम ने विजय प्राप्त किया था 1957 में वे लोकसभा चुनाव में भी सीडी गौतम ही सांसद रहे फिर 1962 में पी एस सी पार्टी से भोलाराम पार्टी विजय हुए 1967 और 1971 में सीडी गौतम फिर विजई हुए वहीं 1977 में आरबीआई के कछुए लाल जैन विजय रहे 1980 और 1984 में कांग्रेस के नंदकिशोर शर्मा विजई रहे 1989 में क्रांतिकारी नेता कंकर मुंजारे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज किया था 1991 और 1996 में कांग्रेस से विश्वेश्वर भगत विजई हुए हालांकि 1998 से वर्तमान तक भाजपा के सांसद विजई होते रहे और कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है ।1998 भाजपा के गौरीशंकर बिसेन ,1999 में प्रहलाद पटेल 2004 में गौरीशंकर बिसेन 2009 में केडी देशमुख वह 2014 में वर्तमान सांसद भूपसिंह भगत भाजपा से जीत दर्ज की थी इस तरह 8 बार कांग्रेस 5 बार भाजपा एक बार निर्दलीय एक बार आरपीआई और टीएमसी के अपना उम्मीदवार बालाघाट सीट पर राज किए हैं।
मध्य प्रदेश के दक्षिण पूर्व स्थित बालाघाट जिले की सीमा महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ राज्य से लगी हुई है ।यहां पर राजनीति अन्य जिलों से भिन्न है, अनेक बार ऐसे परिणाम आते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है जिले में आबादी की दृष्टि से देखा जाए तो पहले पायदान पर आदिवासी, दूसरे नंबर पर पवार जाति, तीसरे नंबर पर लोधी जाति चौथे पर मरार व अन्य जाति हैं राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण के हिसाब से देखे तो पवार समाज कब दबदबा रहा रहा है ।1951 से 2018 के मध्य हुए चुनाव में पवार समाज का ही दबदबा देखा गया है बालाघाट में जातिगत राजनीति ज्यादा होती है 2014 के मध्य हुए 16 लोकसभा चुनाव में 11 बार पवार समाज का सांसद निर्वाचित हुआ है बालाघाट जिले में यही देखने मिला है कि जातिगत समीकरण को देखते हुए पवार जाति के लोगों को राजनीतिक दल अपना उम्मीदवार बनाई है।

बालाघाट जिला आबादी की दृष्टि से आदिवासी बहुल जिला माना जाता है लेकिन पवार समाज का दबदबा ज्यादा ही रहा है एक खास बात यह भी है कि मध्य प्रदेश का अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित बालाघाट जिला ही एक ऐसा प्रदेश का जिला है जहां पर लिंगानुपात पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की ज्यादा है यहां पर प्रति एक हजार पुरुषों पर एक हजार तीन महिलाएं हैं इसलिए महिला मतदाता चुनाव में जीत हार निश्चित करती है आपको बता दूं कि मध्य प्रदेश का गौरतलब है कि बालाघाट जिले में 637135 पुरुष मतदाता है तू उनके मुकाबले 639613 महिला मतदाता है यानी 1000 पुरुष पर 1003 महिलाएं जिस हिसाब से बालाघाट जिला प्रदेश का एक अनोखा जिला है लेकिन महिला मतदाता ज्यादा होने के बावजूद आजादी के बाद से आज तक जिले का प्रतिनिधित्व एक भी महिला सांसद ने नहीं किया है।


Conclusion:आजादी के बाद से ही है जहां 36 साल कांग्रेस ने बालाघाट पर राज किया है तो वहीं 21 साल भाजपा ने लेकिन जिले का विकास नहीं हो पाया है आज ही बालाघाट दशकों से विकास की बाट जोह रहा है आजादी के बाद से ना ही कांग्रेसी सांसदों में कोई विकास कार्य किया ना ही भाजपा के सांसदों ने बालाघाट जिला खनिज संपदा और वन संपदा से परिपूर्ण जिला है मैगनीज तांबा आयरन जैसे खनिज संसाधन है तो 70% भागों में वन संपदा है जहां पर बेशकीमती सागौन है तो दूसरी और उत्तम क्वालिटी का बांस भी है लेकिन आज भी कोई बड़ा उद्योग बालाघाट जिले में नहीं लग पाया है मूलभूत आवश्यकता जैसे सड़क बिजली पानी में कुछ स्तर तक सुधार हुआ है लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में स्थिति बहुत खराब है स्वास्थ्य की बात करें तो कोई बड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल नहीं डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है या बालाघाट यदि कोई किसी मरीज को गंभीर बीमारी है तो जबलपुर नागपुर रेफर करना पड़ता है और यह भी देखने मिला कि रास्ते में ही दम तोड़ देता है।

यह चुनावी मुद्दा
बालाघाट जिले में प्रमुख मुद्दा बेरोजगारी है बेरोजगारी की समस्या से यहां के बाप परेशान हैं काम की तलाश में लोगों का महानगरों की ओर पलायन लगातार जारी है
उद्योग स्थापित नहीं होने से रोजगार का संकट है एशिया का सबसे बड़ी कॉपर मोबाइल मलाजखंड और मैनेज खदान भरवेली बालाघाट तिरोड़ी उकवा में होने के बाद भी रोजगार का संकट बदसूरत जारी है।
सर्वाधिक वन संपदा बांस उत्पादक जिला बालाघाट है फिर भी इन पर आधारित sa2 संचालित नहीं हो रही है।
प्रदेश का सबसे ज्यादा धान उत्पादक जिला बालाघाट है उसके बाद चावल उद्योग दम तो रही है।
स्वास्थ सुविधाओं का अभाव मेडिकल कॉलेज की कमी सुविधाओं के अभाव मरीजों को पूरी तरह नागपुर पर निर्भर होना पड़ता है।

बालाघाट जिला भाजपा का गढ़ माना जाता है यहां पर पिछले 21 वर्षों से भाजपा राज कर रही है वही जीत के लिए कांग्रेस तरस रही है भाजपा ने इस बार वर्तमान सांसद भूपसिंह भगत का टिकट काट कर पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को टिकट दिया है वहीं कांग्रेस ने परसवाड़ा से पूर्व विधायक मद भक्तों को टिकट दिया है गौरतलब है कि महाकौशल के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री गोविंद सेन गौरीशंकर विषय अपनी पुत्री मौसम हरिनखेडे को टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन परिवारवाद आरोप ना लगे वह वर्तमान सांसद से मतभेद के कारण ढाल सिंह बिसेन को टिकट दिलवा दिया जिससे नाराज होकर वर्तमान सांसद भूपसिंह भगत ने निर्दलीय चुनाव मैदान में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान हो रहा है।

बालाघाट में वैसे तो चतुष्कोण है मुकाबला है भाजपा कांग्रेस बसपा व निर्दलीय प्रत्याशी को सिंह भगत के मध्य मुकाबला है जहां बसपा से पूर्व सांसद कंकर मुंजारे मैदान में हैं जिन्होंने सपा छोड़कर बसपा सपा गठबंधन के तहत टिकट मिला है हालांकि भाजपा के वर्तमान सांसद बोध सिंह भगत का संसदीय कार्य काल में कोई बड़ा विकास कार्ड नहीं किया गया उनका कोई उल्लेखनीय कार्य काल नहीं रहा है जिससे जनता में उनके प्रति विश्वास हो उनके कार्यकाल में बालाघाट जिले में ऐसे कोई बड़े उद्योग धंधे स्थापित नहीं कर सकते हैं और ब्रॉडगेज का काम पूरा नहीं हुआ बेरोजगारी की समस्या बनी रही जिससे युवा रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करने पर मजबूर थे।
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
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