बालाघाट। वैनगंगा नदी के तट पर बसा मध्यप्रदेश का नक्सल प्रभावित बालाघाट जिला महाकौशल का बड़ा सियासी केंद्र माना जाता है. जहां 29 अप्रैल को होने वाले मतदान का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने मधु भगत पर दांव लगाया है. एक जमाने में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया और अब यहां बीजेपी का दबदबा माना जाता है. पिछले पांच चुनावों से यहां बीजेपी का झंडा बुलंद है. जबकि 1951 से 2014 तक हुए 16 आम चुनावों में 8 बार कांग्रेस को जीत मिली है तो पांच बार बीजेपी का कमल खिला है और तीन बार अन्य दलों ने बालाघाट में अपना बल दिखाया है.
इस बार यहां 17 लाख 65 हजार 938 मतदाता वोट करेंगे. जिनमें 8 लाख 83 हजार 852 पुरुष हैं तो 8 लाख 82 हजार 77 महिला मतदाता हैं. बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में इस बार 2275 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 591 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील घोषित किए गए हैं. जहां प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. बालाघाट जिले में आने वाली तीन विधानसभा सीटें बैहर, लांजी और परसवाड़ा नक्सल प्रभावित मानी जाती है. जहां सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक ही मतदान निर्धारित है.
बालाघाट संसदीय सीट के तहत बालाघाट, बैहर, लांजी, परसवाड़ा, वारासिवनी, कंटगी, बरघाट, और सिवनी को मिलाकर 8 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से चार पर कांग्रेस तो तीन पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में है. 2014 के आम चुनाव में बीजेपी के बोध सिंह भगत ने कांग्रेस की हिना कांवरे को 96041 मतों से मात दी थी.
बीजेपी ने वर्तमान सांसद बोध सिंह का टिकट काटकर पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है. टिकट कटने से खफा बोध सिंह बतौर निर्दलीय मैदान में है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी कंकर मुजारे के आने से मुकाबला और कड़ा होने की उम्मीद है. खास बात ये है कि आदिवासी बाहुल्य बालाघाट सीट पर पवार और लोधी जाति का भी अच्छा प्रभाव माना जाता है. यही वजह है कि बेरोजगारी, पलायन, पानी, सड़क जैसे मुद्दों से परेशान यहां का मतदाता किसके साथ कदमताल करेगा, ये तो 23 मई को चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे.