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पानीपत की तरह बालाघाट का अनोखा दशहरा, जानिए क्या है खास - बालाघाट का दशहरा

बालाघाट में अनोखा दशहरा मनाया जाता हैं जो कि हरियाणा के पानीपत के दशहरे की तरह होता है. इसमें हनुमान बनने वाला पात्र अपने सर पर 40 किलो वजनी मुकुट पहनता है.

बालाघाट का अनोखा दशहरा
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Published : Oct 7, 2019, 11:54 PM IST

बालाघाट। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी नगर में धूम-धाम से मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. जाएगा. उत्कृष्ट स्कूल मैदान में रावण के साथ मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया भी जाएगा. बालाघाट का दशहरा एक तरह का अनोखा दशहरा है, जो कि हरियाणा के पानीपत की तरह मनाया जाता हैं.

नगर में महावीर सेवा दल समिति के नेतृत्व में पिछले 55 सालों से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा. इस बार 56वां दशहरा होगा. जिसकी खासियत है कि रामजुलूस नया राम मंदिर से निकलता हैं और वह शहर भ्रमण करते हुए शाम में पुतला दहन स्थान उत्कृष्ट स्कूल मैदान पहुंचता है. जहां पर राम-लक्ष्मण अपने धनुष से पुतला को आग के हवाले करते हैं. रावण दहन के बाद रंग-बिरंगी आतिशबाजी की जाती है.

बालाघाट का अनोखा दशहरा

बालाघाट का दशहरा इसलिए है अनोखा
बालाघाट का दशहरा अनोखा इसलिए हैं कि, यहां दशहरा आयोजन में हनुमानजी बनने वाले पात्र 40 किलो वजन वाला मुकुट का धारण करता हैं और लगभग 2 किमी लंबा सफर पैदल शहर में निकले वाले जुलूस में चलता है. साथ ही हनुमान बनने वाले को 40 दिन पहले से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए हनुमान जी की विशेष आराधना करनी होती हैं. यह आराधना राम मंदिर में की जाती है. विजयादशमी के अवसर पर निकले वाले इस भव्य मुकुटधारी हनुमानजी के साथ राम जुलूस में हजारों लोगों शामिल रहते है.

बालाघाट। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी नगर में धूम-धाम से मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. जाएगा. उत्कृष्ट स्कूल मैदान में रावण के साथ मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया भी जाएगा. बालाघाट का दशहरा एक तरह का अनोखा दशहरा है, जो कि हरियाणा के पानीपत की तरह मनाया जाता हैं.

नगर में महावीर सेवा दल समिति के नेतृत्व में पिछले 55 सालों से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा. इस बार 56वां दशहरा होगा. जिसकी खासियत है कि रामजुलूस नया राम मंदिर से निकलता हैं और वह शहर भ्रमण करते हुए शाम में पुतला दहन स्थान उत्कृष्ट स्कूल मैदान पहुंचता है. जहां पर राम-लक्ष्मण अपने धनुष से पुतला को आग के हवाले करते हैं. रावण दहन के बाद रंग-बिरंगी आतिशबाजी की जाती है.

बालाघाट का अनोखा दशहरा

बालाघाट का दशहरा इसलिए है अनोखा
बालाघाट का दशहरा अनोखा इसलिए हैं कि, यहां दशहरा आयोजन में हनुमानजी बनने वाले पात्र 40 किलो वजन वाला मुकुट का धारण करता हैं और लगभग 2 किमी लंबा सफर पैदल शहर में निकले वाले जुलूस में चलता है. साथ ही हनुमान बनने वाले को 40 दिन पहले से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए हनुमान जी की विशेष आराधना करनी होती हैं. यह आराधना राम मंदिर में की जाती है. विजयादशमी के अवसर पर निकले वाले इस भव्य मुकुटधारी हनुमानजी के साथ राम जुलूस में हजारों लोगों शामिल रहते है.

Intro:बालाघाट- असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी 8 अक्टूबर को बालाघाट मुख्यालय में धूमधाम से मनाया जायेगा। उत्कृष्ट स्कुल मैदान में रावण के साथ मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतला का दहन किया जायेगा। बालाघाट का दशहरा एक तरह का अनोखा दशहरा हैं जो कि हरियाणा के पानीपत में मनाया जाता हैं उस तरह का यहां मनाया जाता हैं। बता देवें कि बालाघाट का दशहरा अनोखा इसलिये हैं कि यहां पर जो दशहरा आयोजन होता हैं उसमें हनुमानजी बनने वाले पात्र 40 किग्रा वजन वाला मुकुट का धारण करता हैं और लगभग 2 किमी लंबा सफर शहर की परिक्रमा जुलूस शोभायात्रा के साथ अगुवानी करते हुये शामिल रहता हैं।

Body:बता देवें कि हनुमानजी का मुकुट धारण करना इतना आसान नहीं होता उसके लिये 40 दिन पहले से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुये व्रत व उपवास करते हुये हनुमान जी की विशेष आराधना करनी होती हैं। यह आराधना नये राम मंदिर में ही की जाती। दशहरा के दिन 40 किग्रा वजनी मुकुट को धारण करने के बाद हनुमान जी शोभायात्रा जुलूस में निकलता हैं। बालाघाट में इस बार अमन भल्ला हनुमानजी बनेगें और मुकुट धारण करेगें। इस मुकुट पहनने को लेकर होड़ लगी हुई हैं जिसके कारण मुकुट धारण के लिये इस समय युवाओं की लंबी कतारें हैं जो अपना पंजीयन कराकर अपने नम्बर आने का इंतजार कर रहे हैं। मुकुट पहनने वाले पात्र को एक तरह से साक्षात हनुमानजी ही माना जाता व उन्हें पूजा जाता हैं। 

पानीपत के दशहरा एक तरह से मध्यप्रदेश के बालाघाट में ही मनाया जाता हैं। बालाघाट में 56 वर्ष पहले एक ऐसे व्यक्ति ने शुरूआत की थी जिसकी कोई संतान नहीं थी। सात वर्ष तक उसने इस हनुमानजी के मुकुट धारण करने का आयोजन किया व उसे उसका फल मिला। उस परिवार में संतान की खुशी आयी। इसके बाद यह क्रम अनवरत जारी हैं और इस समय हर परिवार इस धार्मिक आयोजन में शामिल हो गया।विजयादशमी के अवसर पर निकले इस भव्य मुकुटधारी हनुमानजी के साथ राम जुलूस में हजारों लोगों शामिल रहते हैे। इसलिये इस दशहरा को बालाघाट में अनोखा व पानीपत का दशहरा के रूप में मनाया जाता हैं।
Conclusion:बालाघाट में महावीर सेवा दल समिति के नेतृत्व में पिछले 55 वर्ष से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा। इस बार 56 वां दशहरा होगा। जिसकी खासियत यह कि रामजुलूस नया राम मंदिर से निकलता हैं और वह शहर भ्रमण करते हुये शाम में पुतला दहन स्थान उत्कृष्ट स्कूल मैदान पहुंचता। जहां पर राम-लक्ष्मण द्वारा अपने धनूष की तीर से पुतला को आग के हवाले करते हैं। जिसमें रंग-बिरंगी आतिशबाजी होती हैं।
राम जुलूस की खासियत यह कि इसकी अगुवानी हनुमानजी करता हैं। हनुमानजी वह जीवंत पात्र हैं जो 40 किग्रा वजनी मुकुट को धारण करते हुये शहर की परिक्रमा करता हैं। जिसके साथ हजारों लोगों का कारवां होता व जीवंत झांकिया शामिल रहती हैं।
 बाईट- किशन बत्रा महावीर सेवा दल समिति के पूर्व अध्यक्ष व संरक्षक
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
टीप- हनुमान बनने वाले अमन भल्ला का पूजा व आराधना करने वाला विजवल व मुकुट
विजवल, मुकुट पूजा। 
2- फाईल विडीयो में जुलूस व शोभायात्रा तथा रावण दहन का विजवल- पिछले वर्ष का।







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