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मंत्री कावरे ने गांगुलपारा जलाशय का किया निरीक्षण, मत्स्य पालन विकसित करने के दिए निर्देश

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Published : Jul 19, 2020, 2:48 PM IST

राज्य मंत्री रामकिशोर कावरे ने अधिकारियों के साथ गांगुलपारा जलाशय का निरीक्षण किया. और जलाशय का स्लूस गेट ठीक करने और किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाने को लेकर अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए. इसके साथ ही उन्होंने जनता दरबार भी लगाया जहां उन्होंने मत्स्य पालन के साथ ही पर्यटन को विकसित करने के लिए निर्देश दिए.

Inspection of Gangulpara reservoir
गांगुलपारा जलाशय का किया निरीक्षण

बालाघाट। मध्यप्रदेश शासन के राज्य मंत्री आयुष (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन विभाग रामकिशोर 'नानो' कावरे ने अधिकारियों के साथ गांगुलपारा जलाशय का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान जलाशय का स्लूस गेट कई महीनों से खराब है, जिसके कारण व्यर्थ में पानी बहता है और किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. जिसे गंभीरता से लेते हुए दो अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

जलाशय के निरीक्षण के दौरान मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि, जलाशय का स्लूस गेट कई दिनों से खराब हो चुका है. जिसके कारण जलाशय में पानी निकलता रहता है, जिसके बाद मंत्री कावरे ने मौके पर ही अधिकारियों को जवाब तलब किया कि जलाशय के स्लूस गेट को बनवाने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किया गया.

उन्होंने बताया कि उनके संज्ञान में जलाशय के स्लूस गेट के खराब होने का मामला लाया गया था. और उन्होंने संबंधित उपयंत्री और एसडीओ को इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

राज्यमंत्री कावरे ने गांगुलपारा जलाशय के स्लूस गेट के खराब होने को गंभीरता से लेते हुए कहा कि, किसानों और मछुआरों के हित से जुड़े मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. साथ ही उन्होंने सिंचाई विभाग के अधीक्षण यंत्री को निर्देशित किया कि वे इस क्षेत्र के उपयंत्री व्ही के धुवारे और एसडीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार कर विभागीय मुख्यालय भोपाल भेजें.

जलाशय निरीक्षण के बाद लगाया गया जनता दरबार

राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे ने गांगुलपारा जलाशय के निरीक्षण के बाद गांगुलपारा में ईको पर्यटन बोर्ड पर तैयार किए गए स्थल पर जनता दरबार लगाया. इस दरबार में उन्होंने ग्रामीणों से विकास को लेकर चर्चा की साथ ही उनकी समस्याओं को भी सुना. जनता दरबार में उन्होंने अधिकारियों और ग्रामीणों से कहा कि गांगुलपारा जलाशय मत्स्य पालन के साथ ही पर्यटन के लिए भी विकसित किया जाए, ताकि क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिल सके.

दरअसल, बालाघाट जिला मत्‍स्य उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश का अग्रणी जिला है, लेकिन यहां के मछुआरों को मछलियों के लिए आहार कोलकाता, अहमदाबाद या छत्तीसगढ़ राज्य से लेकर आना पड़ता है. मछलियों का आहार तैयार करने के लिए प्रदेश में एक भी इकाई नहीं है, इसलिए मत्स्योद्योग विभाग को बालाघाट जिले में मछलियों के आहार (फीड) तैयार करने के लिए, एक करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट शीघ्र तैयार किए जाएं. उन्होंने कहा, इसके लिए विभाग अनुदान भी देगा, साथ ही मछलियों को रखने के लिए आईस प्लांट के लिए भी प्रोजेक्ट तैयार किया जाए.

गांगुलपारा में लगाए गए इस जनता दरबार में उप-संचालक मत्स्योद्योग शशिप्रभा धुर्वे ने बताया कि, गांगुलपारा जलाशय में प्राथमिक मछुआ सहकारी समिति सुरवाही ने जलाशय को 10 वर्ष के पट्टे पर लिया है और मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है. इस जलाशय में मत्स्य पालन के लिए समिति ने केज कल्चर को अपनाया है, और इसमें फंगेशियस प्रजाति की मछली का पालन किया जा रहा है.

समिति ने इस साल एक टन से ज्यादा मछली का विक्रय किया है. समिति के मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड देकर उन्हें बैंक से आटो, रिक्शा के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है. जिससे मछुआरे गांवों में अपना प्रचार करने के साथ ही मछलियों का विक्रय भी कर सकेंगे. धुर्वे ने बताया कि मछलियों के आहार (फीड) तैयार करने के लिए एक करोड़, दो करोड़ और 5 करोड़ रुपये की लागत का प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है.

इस प्रोजेक्ट में सामान्य वर्ग के लोगों को 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा, जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला उद्यमी को 60 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा. आईस प्लांट के लिए भी 20 लाख रुपये की लागत का प्रोजेक्ट मंजूर किया जा सकता है.

ईको पर्यटन स्थल को आकर्षित बनाने की जरूरत

राज्य मंत्री कावरे ने कहा, गांगुलपारा के ईको पर्यटन स्थल, झरना, पक्षी दर्शन स्थल एवं जलाशय में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बुनियादी सुविधायें जुटाने की जरूरत है. टेकाड़ी गांव से झरना स्थल तक आने के लिए सड़क का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने इसके लिए जल संसाधन विभाग को डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से कहा, गांगुलपारा के पर्यटक स्थल को आकर्षक और सुरक्षित बनाने के लिए वन विभाग के नियमों और निर्देशों का सभी को पालन करना होगा. झरना स्थल तक आने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस की व्यवस्था करने की आवश्यकता भी जरुरी है.

पौधरोपण पर दिया जाए विशेष ध्यान

राज्यमंत्री कावरे ने इस दौरान ग्रामीणों से कहा कि बारिश के दौरान किये जाने वाले पौधरोपण पर विशेष ध्यान दिया जाए. पौधरोपण में औषधीय पौधे ज्यादा संख्या में लगाए जाएं, इसके साथ ही लगाए गए पौधो की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि पौधा लगाना केवल खाना पूर्ति न बन जाये बल्कि उसके अच्छे परिणाम भी आने चाहिए. इस दौरान उन्होंने ग्राम मानेगांव में सचिव की शीघ्र पदस्थापना करने के निर्देश भी दिए.

जनता दरबार में बालाघाट वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक एन के सनोडिया, कलेक्टर दीपक आर्य, पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी, अपर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह, वन मंडलाधिकारी अनुराग कुमार, बृजेन्द्र श्रीवास्तव, सिंचाई विभाग के अधीक्षण यंत्री एस एस गहरवार, कार्यपालन यंत्री प्रदीप गांधी, उप संचालक मत्स्योद्योग शशिप्रभा धुर्वे और अन्य अधिकारी मौजूद रहे.

बालाघाट। मध्यप्रदेश शासन के राज्य मंत्री आयुष (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन विभाग रामकिशोर 'नानो' कावरे ने अधिकारियों के साथ गांगुलपारा जलाशय का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान जलाशय का स्लूस गेट कई महीनों से खराब है, जिसके कारण व्यर्थ में पानी बहता है और किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. जिसे गंभीरता से लेते हुए दो अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

जलाशय के निरीक्षण के दौरान मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि, जलाशय का स्लूस गेट कई दिनों से खराब हो चुका है. जिसके कारण जलाशय में पानी निकलता रहता है, जिसके बाद मंत्री कावरे ने मौके पर ही अधिकारियों को जवाब तलब किया कि जलाशय के स्लूस गेट को बनवाने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किया गया.

उन्होंने बताया कि उनके संज्ञान में जलाशय के स्लूस गेट के खराब होने का मामला लाया गया था. और उन्होंने संबंधित उपयंत्री और एसडीओ को इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

राज्यमंत्री कावरे ने गांगुलपारा जलाशय के स्लूस गेट के खराब होने को गंभीरता से लेते हुए कहा कि, किसानों और मछुआरों के हित से जुड़े मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. साथ ही उन्होंने सिंचाई विभाग के अधीक्षण यंत्री को निर्देशित किया कि वे इस क्षेत्र के उपयंत्री व्ही के धुवारे और एसडीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार कर विभागीय मुख्यालय भोपाल भेजें.

जलाशय निरीक्षण के बाद लगाया गया जनता दरबार

राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे ने गांगुलपारा जलाशय के निरीक्षण के बाद गांगुलपारा में ईको पर्यटन बोर्ड पर तैयार किए गए स्थल पर जनता दरबार लगाया. इस दरबार में उन्होंने ग्रामीणों से विकास को लेकर चर्चा की साथ ही उनकी समस्याओं को भी सुना. जनता दरबार में उन्होंने अधिकारियों और ग्रामीणों से कहा कि गांगुलपारा जलाशय मत्स्य पालन के साथ ही पर्यटन के लिए भी विकसित किया जाए, ताकि क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिल सके.

दरअसल, बालाघाट जिला मत्‍स्य उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश का अग्रणी जिला है, लेकिन यहां के मछुआरों को मछलियों के लिए आहार कोलकाता, अहमदाबाद या छत्तीसगढ़ राज्य से लेकर आना पड़ता है. मछलियों का आहार तैयार करने के लिए प्रदेश में एक भी इकाई नहीं है, इसलिए मत्स्योद्योग विभाग को बालाघाट जिले में मछलियों के आहार (फीड) तैयार करने के लिए, एक करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट शीघ्र तैयार किए जाएं. उन्होंने कहा, इसके लिए विभाग अनुदान भी देगा, साथ ही मछलियों को रखने के लिए आईस प्लांट के लिए भी प्रोजेक्ट तैयार किया जाए.

गांगुलपारा में लगाए गए इस जनता दरबार में उप-संचालक मत्स्योद्योग शशिप्रभा धुर्वे ने बताया कि, गांगुलपारा जलाशय में प्राथमिक मछुआ सहकारी समिति सुरवाही ने जलाशय को 10 वर्ष के पट्टे पर लिया है और मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है. इस जलाशय में मत्स्य पालन के लिए समिति ने केज कल्चर को अपनाया है, और इसमें फंगेशियस प्रजाति की मछली का पालन किया जा रहा है.

समिति ने इस साल एक टन से ज्यादा मछली का विक्रय किया है. समिति के मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड देकर उन्हें बैंक से आटो, रिक्शा के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है. जिससे मछुआरे गांवों में अपना प्रचार करने के साथ ही मछलियों का विक्रय भी कर सकेंगे. धुर्वे ने बताया कि मछलियों के आहार (फीड) तैयार करने के लिए एक करोड़, दो करोड़ और 5 करोड़ रुपये की लागत का प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है.

इस प्रोजेक्ट में सामान्य वर्ग के लोगों को 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा, जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला उद्यमी को 60 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा. आईस प्लांट के लिए भी 20 लाख रुपये की लागत का प्रोजेक्ट मंजूर किया जा सकता है.

ईको पर्यटन स्थल को आकर्षित बनाने की जरूरत

राज्य मंत्री कावरे ने कहा, गांगुलपारा के ईको पर्यटन स्थल, झरना, पक्षी दर्शन स्थल एवं जलाशय में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बुनियादी सुविधायें जुटाने की जरूरत है. टेकाड़ी गांव से झरना स्थल तक आने के लिए सड़क का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने इसके लिए जल संसाधन विभाग को डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से कहा, गांगुलपारा के पर्यटक स्थल को आकर्षक और सुरक्षित बनाने के लिए वन विभाग के नियमों और निर्देशों का सभी को पालन करना होगा. झरना स्थल तक आने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस की व्यवस्था करने की आवश्यकता भी जरुरी है.

पौधरोपण पर दिया जाए विशेष ध्यान

राज्यमंत्री कावरे ने इस दौरान ग्रामीणों से कहा कि बारिश के दौरान किये जाने वाले पौधरोपण पर विशेष ध्यान दिया जाए. पौधरोपण में औषधीय पौधे ज्यादा संख्या में लगाए जाएं, इसके साथ ही लगाए गए पौधो की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि पौधा लगाना केवल खाना पूर्ति न बन जाये बल्कि उसके अच्छे परिणाम भी आने चाहिए. इस दौरान उन्होंने ग्राम मानेगांव में सचिव की शीघ्र पदस्थापना करने के निर्देश भी दिए.

जनता दरबार में बालाघाट वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक एन के सनोडिया, कलेक्टर दीपक आर्य, पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी, अपर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह, वन मंडलाधिकारी अनुराग कुमार, बृजेन्द्र श्रीवास्तव, सिंचाई विभाग के अधीक्षण यंत्री एस एस गहरवार, कार्यपालन यंत्री प्रदीप गांधी, उप संचालक मत्स्योद्योग शशिप्रभा धुर्वे और अन्य अधिकारी मौजूद रहे.

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