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मध्य प्रदेश का यह गांव बना आत्मनिर्भर, 30 बेड वाला कोविड सेंटर बनाया - बालाघाट में आत्मनिर्भर कोविड केयर सेंटर

बालाघाट के छोटे से गांव लालबर्रा ने गांव में अस्पताल बनाकर अपनी आत्मनिर्भरता का परिचय दिया है. गांव में मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए, यहां के रहवासियों ने गांव में ही कोविड अस्पताल बना दिया. वर्तमान में इस गांव के पास 25 कंसंट्रेटर मशीनें हैं.

self dependent covid care center
आत्मनिर्भर कोविड केयर सेंटर
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Published : Apr 29, 2021, 11:05 PM IST

बालाघाट। छोटे से गांव लालबर्रा ने आत्मनिर्भरता की एक बड़ी मिसाल पेश की है. क्षेत्र के अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी. मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी थी. यह देखते हुए गांव के लोगों ने यह निर्णय लिया कि वे चंदा लेकर अपने गांव में अस्पताल बनाएंगे. सरकारी छात्रावास बिल्डिंग प्रशासन से मांगी गई और गांव वालों ने देखते ही देखते ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदी. अब इस गांव का मरीज गांव में ही उपचार करा रहा है. जिन्हें पास के ही सरकारी चिकित्सालय के डॉक्टर आकर देखते हैं लेकिन इनके लिए ऑक्सीजन से लेकर भोजन तक सारी व्यवस्था गांव के लोगों ने चंदे से की है.

चंदा इकट्ठा कर बनाया अस्पताल.

अस्पताल में है 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
बता दें कि बालाघाट जिला मुख्यालय से तकरीबन 26 किलोमीटर दूर लालबर्रा गांव है. इस गांव के पास अब अपना कोविड अस्पताल है, जो कि छात्रावास के भवन में गांव वालों ने ही बनाया है. गांव वालों ने इस अस्पताल में लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट देने के लिए 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था की है.

विधायक ने भी किया सहयोग
गांव वालों की इस मुहिम से बाद में क्षेत्रीय विधायक गौरीशंकर बिसेन भी जुड़े और उन्होंने भी अपनी तरफ से पांच मशीनें इस गांव के अस्पताल को दी हैं. स्थानीय निवासी कैलाश अग्रवाल ने बताया कि चार दिन पहले अस्पताल गांव के लोगों ने मिलकर हमारी संस्था के सहयोग से शुरू किया था. यहां फिलहाल 30 बेड हैं, जिसमें 12 मशीन रखीं है. इसके अलावा 13 मशीनें और आ रही हैं. यह सब कुछ मिलकर किया गया है.

गांव में ही की इलाज की व्यवस्था
गांव के लोगों ने बताया कि युवाओं ने पहले इसे जनसहयोग से शुरू किया. बाद में क्षेत्रीय विधायक और प्रशासन ने भी सहयोग करना शुरू किया है. ग्रामीणों के अनुसार यहां के युवाओं के मन में यह बात आई थी कि हमारे गांव में इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए. इसके बाद सभी ने मिलकर यहां 12 कंसंट्रेटर खरीदी गईं. इसके बाद क्षेत्रीय विधायक से बात की गईं और अब अस्पताल शुरू कर दिया है.

एमपी में कम हुए कोविड के मामले, CM ने स्वास्थ्य कर्मियों का जताया आभार

आत्मनिर्भर बना यह गांव
बहरहाल एक छोटे से गांव में अपने प्रयासों से और गांव के लोगों से चंदा करके आत्मा निर्भरता की कैसी मिसाल पेश की है, यह देश के सामने हाजिर है. एक तरफ देश में ऑक्सीजन का हाहाकार और दूसरी तरफ ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ चलने वाला गांव का यह अस्पताल अपने आप में उदाहरण है.

बालाघाट। छोटे से गांव लालबर्रा ने आत्मनिर्भरता की एक बड़ी मिसाल पेश की है. क्षेत्र के अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी. मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी थी. यह देखते हुए गांव के लोगों ने यह निर्णय लिया कि वे चंदा लेकर अपने गांव में अस्पताल बनाएंगे. सरकारी छात्रावास बिल्डिंग प्रशासन से मांगी गई और गांव वालों ने देखते ही देखते ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदी. अब इस गांव का मरीज गांव में ही उपचार करा रहा है. जिन्हें पास के ही सरकारी चिकित्सालय के डॉक्टर आकर देखते हैं लेकिन इनके लिए ऑक्सीजन से लेकर भोजन तक सारी व्यवस्था गांव के लोगों ने चंदे से की है.

चंदा इकट्ठा कर बनाया अस्पताल.

अस्पताल में है 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
बता दें कि बालाघाट जिला मुख्यालय से तकरीबन 26 किलोमीटर दूर लालबर्रा गांव है. इस गांव के पास अब अपना कोविड अस्पताल है, जो कि छात्रावास के भवन में गांव वालों ने ही बनाया है. गांव वालों ने इस अस्पताल में लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट देने के लिए 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था की है.

विधायक ने भी किया सहयोग
गांव वालों की इस मुहिम से बाद में क्षेत्रीय विधायक गौरीशंकर बिसेन भी जुड़े और उन्होंने भी अपनी तरफ से पांच मशीनें इस गांव के अस्पताल को दी हैं. स्थानीय निवासी कैलाश अग्रवाल ने बताया कि चार दिन पहले अस्पताल गांव के लोगों ने मिलकर हमारी संस्था के सहयोग से शुरू किया था. यहां फिलहाल 30 बेड हैं, जिसमें 12 मशीन रखीं है. इसके अलावा 13 मशीनें और आ रही हैं. यह सब कुछ मिलकर किया गया है.

गांव में ही की इलाज की व्यवस्था
गांव के लोगों ने बताया कि युवाओं ने पहले इसे जनसहयोग से शुरू किया. बाद में क्षेत्रीय विधायक और प्रशासन ने भी सहयोग करना शुरू किया है. ग्रामीणों के अनुसार यहां के युवाओं के मन में यह बात आई थी कि हमारे गांव में इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए. इसके बाद सभी ने मिलकर यहां 12 कंसंट्रेटर खरीदी गईं. इसके बाद क्षेत्रीय विधायक से बात की गईं और अब अस्पताल शुरू कर दिया है.

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आत्मनिर्भर बना यह गांव
बहरहाल एक छोटे से गांव में अपने प्रयासों से और गांव के लोगों से चंदा करके आत्मा निर्भरता की कैसी मिसाल पेश की है, यह देश के सामने हाजिर है. एक तरफ देश में ऑक्सीजन का हाहाकार और दूसरी तरफ ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ चलने वाला गांव का यह अस्पताल अपने आप में उदाहरण है.

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