जबलपुर। शासकीय अधिवक्ताओ की नियुक्तियों में आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधान लागू किए जाने हेतु ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है. सोमवार को मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. मामले में आवेदकों की ओर से कोर्ट को बताया कि उक्त याचिका में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 2 (ख) तथा 2(च) के इन्टरप्रीटेशन(व्याख्या) का प्रश्न मौजूद है कि क्या स्थापना की परिभाषा में महाधिवक्ता कार्यालय समाहित माना जाएगा? क्या शासकीय अधिवक्ता का पद लोक पद में है? यदि उक्त परिभाषा खंड के अनुसार समाहित है तो आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधान लागू होंगे.
अधिवक्ताओं ने ये तर्क दिए : अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि पंजाब सरकार द्वारा शासकीय अधिवक्ताओ की नियुक्तियों में आरक्षण के प्रावधान लागू कर दिए हैं. अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि विगत 35 साल से मध्यप्रदेश में लगभग 38 जजों की नियुक्ति उन लोगों की हुई हैं, जो पूर्व में शासकीय अधिवक्ता थे. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा बनाए आरक्षण अधिनियम 1994 को लागू करना क्यों नहीं चाहती. इस मुद्दे पर शासन का जवाब अपेक्षित है. तब मध्यप्रदेश शासन की ओर से जवाब हेतु 3 सप्ताह का समय की मांग की गई. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष पॉल, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, समृद्दि जैन ने की.
MP High Court मध्यप्रदेश में आरक्षकों को नियुक्ति आदेश देने से पहले हाई कोर्ट की परमिशन लेनी होगी
बालाघाट कलेक्टर को नोटिस जारी : बालाघाट जिले के एक मात्र एक्सीलेंस स्कूल के खेल मैदान के आधे हिस्से में अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है तो वहीं आधे शेष बचे मैदान को प्रशासन ने रोटरी क्लब को बाजार मेले के लिये दे दिया है. इससे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उक्ताशय का आरोप लगाते हुए मामले को जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में कलेक्टर व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को निर्धारित की है. जनहित याचिका बालाघाट मोतीनगर निवासी एडवोकेट राकेश सिंघारे की ओर से दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राकेश कुमार चौरसिया ने पक्ष रखा.