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परिवार के पास भारत पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक, सालभर से नहीं मिल रहा था वीजा

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Published : Sep 18, 2019, 11:25 AM IST

बालाघाट के 80 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक वांग शी वीजा पॉलिसी के चलते भारत में रह रहे अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे था. वांग शी 1963 के युद्ध में बंदी बनाए गए थे, जो सजा काटने के बाद भारत में ही बस गए थे.

परिवार के पास भारत पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक वांग शी

बालाघाट। जिले के तिरोड़ी में परिवार और वतन के बीच जूझते 80 साल के पूर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ राजबहादुर का आखिरकार परिवार से मिलन हो ही गया. बता दें कि राजबहादुर को 1963 में युद्ध के दौरान बंदी बना लिया गया था. सजा काटने के बाद वह तिरोड़ी में ही बस गए थे.

परिवार के पास भारत पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक वांग शी

दरअसल पूर्व चीनी सैनिक सजा काटने के बाद तिरोड़ी में आकर बस गये थे और स्थानीय निवासी एक महिला से शादी कर ली थी. जिससे उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. राजबहादुर पांच दशक बाद 2017 में अपने चीनी परिवार से मिलने चीन गए थे. वहां से लौटने के बाद एक बार फिर गए. इस बीच वीजा एक्सपायर होने के चलते वह पिछले एक साल से भारत नहीं लौट पा रहे थे. अब जाकर उन्हें वीजा मिला और वह चीन से भारत वापस आये, जिसके बाद वे अपने परिवार से मिले, जहां परिवार सहित ग्रामीणों की खुशियां देखने लायक थी.

वांग शी उर्फ राय बहादुर का कहना है कि चीन और भारत आना-जाना पड़ता है, जिसके लिए वीजा की जरूरत पड़ती है. भारत सरकार ने 6 माह का वीजा दिया है, जो कम है. उन्होंने वीजा को 5 साल तक होने की इच्छा भी जताई.

बालाघाट। जिले के तिरोड़ी में परिवार और वतन के बीच जूझते 80 साल के पूर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ राजबहादुर का आखिरकार परिवार से मिलन हो ही गया. बता दें कि राजबहादुर को 1963 में युद्ध के दौरान बंदी बना लिया गया था. सजा काटने के बाद वह तिरोड़ी में ही बस गए थे.

परिवार के पास भारत पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक वांग शी

दरअसल पूर्व चीनी सैनिक सजा काटने के बाद तिरोड़ी में आकर बस गये थे और स्थानीय निवासी एक महिला से शादी कर ली थी. जिससे उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. राजबहादुर पांच दशक बाद 2017 में अपने चीनी परिवार से मिलने चीन गए थे. वहां से लौटने के बाद एक बार फिर गए. इस बीच वीजा एक्सपायर होने के चलते वह पिछले एक साल से भारत नहीं लौट पा रहे थे. अब जाकर उन्हें वीजा मिला और वह चीन से भारत वापस आये, जिसके बाद वे अपने परिवार से मिले, जहां परिवार सहित ग्रामीणों की खुशियां देखने लायक थी.

वांग शी उर्फ राय बहादुर का कहना है कि चीन और भारत आना-जाना पड़ता है, जिसके लिए वीजा की जरूरत पड़ती है. भारत सरकार ने 6 माह का वीजा दिया है, जो कम है. उन्होंने वीजा को 5 साल तक होने की इच्छा भी जताई.

Intro:बालाघाट।       परिवार और वतन के बीच जुझते 80 साल के पुर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ रायबहादुर को बालाघाट के तिरोड़ी में रहने वाले परिवार से आखिरकार  मिलन हो ही गया। मिलन का यह क्षण बेहद भावुक था। जिसको देखने के लिए तिरोड़ी कई लोग गवाह बने।।      Body:बालाघाट जिले के तिरोडी मे परिवार सहित रहने वाले पूर्व चीनी सैनिक युद्ध बन्दी के तौर पर भारत में शरण ली थी। उसके बाद वह तिरोडी मे आकर ऐसा बस गया कि उसे यहां 5 दशक हो गए। यही शादी रचाई व अब बहु. बेटे और नाती. नातन उसके परिवार का कुनबा बना। ।।                          वाग शी उर्फ राजबहादुर को अपने चीन के परिवार की याद आयी तो वह वीजा के लिए सन्घर्ष करते हुए 2017 मे चीन गया। फिर आया और फिर गया। लेकिन पिछले दो साल से वह पुनः भारत मे तिरोडी बालाघाट आने के लिए तैयार था। लेकिन दोनों देश की वीजा पालिसी उसे वापिस नहीं आने दें रही थी।। अब वीजा मिला और वह चीन से भारत पहुंचा जिसके बाद वह बालाघाट के   तिरोडी अपने परिवार के बीच पहुंच गया। जहां परिवार सहित तिरोडी के लोगों मे खुशी का माहौल रहाConclusion:पूर्व चीनी सैनिक भी बहुत खुश हैं। उसने यहां पर खुशी जताई और वीजा को लेकर हुई दिक्कत को लेकर दुख जताया।वांग शी उर्फ राय बहादुर का कहना है कि वह 80 साल का हो गया है उसे चीन और भारत दोनों जगह आना जाना करना पड़ता है जिसके लिए बीजा की जरूरत पड़ती है और भारत सरकार ने 6 माह का वीजा दिया है जो कम है कम से कम 5 साल का वीजा देने चाहिए।                                     बाईट.  पूर्व चीनी सैनिक वान्ग शी उर्फ राजबहादुर

श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट

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