बालाघाट। कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है. आप में प्रतिभा है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है. कुछ इसी तरह की प्रतिभा बालाघाट जिले में देखने मिली. जहां एक साल 11 माह के बालक की याददाश्त, बुद्धिमता और हुनर के लिए नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड (Anunay name entere International Book of Records) और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. हम बात कर रहे हैं बालाघाट के छोटे कौटिल्य कहे जाने वाले अनुनय गढ़पाले की.
बालाघाट का नन्हा कौटिल्य: जी हां नाम अनुनय गढ़पाले, उम्र महज एक साल 11 माह, लेकिन हुनर ऐसा कि बड़े-बड़ों की याददाश्त मात खा जाए. हाल ही में शहर के अनुनय का नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. उन्हें ये उपलब्धि ऐसे कारनामे के लिए मिली है, जिसे सीखने या याद रखने के लिए इंसान को सालों लग जाते हैं, लेकिन ये 2 साल का अनुनय 40 से ज्यादा देशों के झंडों या कहें राष्ट्रध्वज को देखकर उस देश का नाम बता देता है. 60 से ज्यादा ऑब्जेक्ट को देखकर उसका नाम बताता है.
चुटकियों में मिलता है जवाब: अनुनय गढ़पाले की सबसे बड़ी खासियत है कि, वह सुनी हुई बातों को नहीं भूलता. जो इसे एक बार बता दिया जाता है वह इसके दिमाग में छप जाता है. मात्र 23 महीने के अनुनय को इंग्लिश भाषा और हिंदी भाषा की समझ है, वह किताब में दिए गए सभी पक्षियों, जानवरों, फूलों और सब्जियों के अंग्रेजी नाम, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री से लेकर महापुरुषों तक के नाम जैसे कई अहम सवालों का जवाब चुटकियों में दे देते हैं.
बाकी बच्चों से अलग: अनुनय के पिता अनिमेष गढ़पाल बालाघाट में जिला परिवहन अधिकारी हैं. उन्होंने बताया कि बचपन से अनुनय की स्मरण शक्ति तेज है. किसी वस्तु, नाम, चित्र को एक बार देखने के बाद उसे हमेशा वो चीज याद रहती है. माता-पिता ने बच्चे का हुनर पहचाना और इसे तराशने में जुट गए. बालक अनुनय की इस उपलब्धि में उसकी मम्मी विद्या गढ़पाल का अहम योगदान है. खाली समय में मती गढ़पाल बेटे के बुद्धिमता को निखारती हैं. बताया गया कि अनुनय बाकी बच्चों से अलग है. उसे मोबाइल में गेम खेलने या कार्टून देखने से ज्यादा अल्फाबेट, नंबर्स, बड़ी हस्तियों की तस्वीर वाली कलरफुल किताबें देखना और पढ़ना पसंद है. फोटोग्राफिक याददाश्त रखने वाले कौटिल्य कहे जाने वाले अनुनय जो चीज एक बार देख ले या पढ़ ले या सुन लेते हैं उसे भूलते नहीं.
एक महीने की प्रोसेस के बाद मिला अवॉर्ड: गढ़पाल ने बताया कि, बेटे के टैलेंट को देखकर लगा कि उसमें असाधारण प्रतिभा है और इसे एक मंच देना चाहिए. नाम पहचानने, बोलने का वीडियो बनाकर हमने इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड संस्थान को भेजा, जहां एक महीने चली सिलेक्शन प्रोसेस के बाद बालक अनुनय का अवॉर्ड के लिए चयन हुआ है. पिता अनिमेष ने बताया कि अनुनय का सपना साइंटिस्ट बनने का है.
सर्टिफिकेट में दर्ज अचीवमेंट: इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड द्वारा जारी अवॉर्ड सर्टिफिकेट में अनुनय की अलग-अलग कैटेगरी में कई उपलब्धि दर्ज है. इसमें अनुनय द्वारा फ्रीडम फाइटर, स्मारक, आकार, रंग, फल-फूल, 20 से ज्यादा ट्रांसपोर्ट व्हीकल के नाम, शरीर के अंग, पक्षी, विभिन्न मुद्रा आदि को पहचानने और इनके नाम याद रखने की उपलब्धि हासिल है.