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आदिवासी महिला तक नहीं पहुंची सरकार को कोई योजना, भुखमरी की कगार पर है परिवार, कंद मूल फल खाकर करती है गुजारा - mp balaghat news

बालाघाट परसवाड़ा के कुकड़ा में एक बैगा समुदाय की आदिवासी महिला तक आज भी प्रदेश सरकार की योजनाएं नहीं पहुंच सकी हैं. महिला और इसकी बेटियों के सामने भुखमरी के हालत बनते नजर आ रहे हैं. महिला कंद मूल फल खाकर जीवन यापन कर रही है.

आदिवासी महिला तक नहीं पहुंची सरकार को कोई योजना
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Published : Sep 12, 2019, 11:52 PM IST

बालाघाट। परसवाड़ा में मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है, जहां एक मां अपनी दो बेटियों के साथ जंगल में कंद मूल खाकर जीवन जीने को मजबूर है. शासन प्रशासन की उदासीनता और लाचर व्यवस्था के चलते एक बैगा समुदाय की महिला शासन की मूलभूत सुविधाओं से आज भी कोसों दूर है. इतना ही नहीं उसको दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं.

आदिवासी महिला तक नहीं पहुंची सरकार को कोई योजना
दरअसल पूरा मामला बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुकड़ा का है, जहां पर एक महिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते अपनी दो बेटियों के साथ बद से बदतर जीवन जीने को मजबूर है. रहने को घर के नाम पर बांस बल्लियों से बनी झोपड़ी है, जिस पर तिरपाल डालकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है, खाने को घर मे कुछ भी नहीं, इसलिए जंगल के कंद मूल खाने को मजबूर हैं.जबकि बैगाओ के उत्थान के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. इस मामले पर एसडीएम चंद्रप्रताप गोहल से बात की तो उन्होंने जनपद सीईओ को निर्देशित कर तत्काल व्यवस्था कर नियमानुसार कुछ नगद राशि भी देने की बात कही, ताकि महिला अपना जीवन यापन कर सके.

बालाघाट। परसवाड़ा में मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है, जहां एक मां अपनी दो बेटियों के साथ जंगल में कंद मूल खाकर जीवन जीने को मजबूर है. शासन प्रशासन की उदासीनता और लाचर व्यवस्था के चलते एक बैगा समुदाय की महिला शासन की मूलभूत सुविधाओं से आज भी कोसों दूर है. इतना ही नहीं उसको दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं.

आदिवासी महिला तक नहीं पहुंची सरकार को कोई योजना
दरअसल पूरा मामला बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुकड़ा का है, जहां पर एक महिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते अपनी दो बेटियों के साथ बद से बदतर जीवन जीने को मजबूर है. रहने को घर के नाम पर बांस बल्लियों से बनी झोपड़ी है, जिस पर तिरपाल डालकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है, खाने को घर मे कुछ भी नहीं, इसलिए जंगल के कंद मूल खाने को मजबूर हैं.जबकि बैगाओ के उत्थान के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. इस मामले पर एसडीएम चंद्रप्रताप गोहल से बात की तो उन्होंने जनपद सीईओ को निर्देशित कर तत्काल व्यवस्था कर नियमानुसार कुछ नगद राशि भी देने की बात कही, ताकि महिला अपना जीवन यापन कर सके.
Intro:आखिर कहां मां बेटियां जंगल के कन्द मूल खा कर जीवन बिताने को हैं मजबूर, पिछले तीन दिनों से अन्न का एक दाना भी नही हुआ नसीब, शासन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार एक गरीब परिवार, क्या है पूरा मामला, देंखें Etv भारत पर,,,Body:परसवाड़ा(बालाघाट):- मानवता को शर्मसार करती एक तस्वीर हम आपको ईटीवी भारत के माध्यम से दिखाने जा रहे हैं, जहां पर एक मां अपनी दो बेटियों के साथ जंगल में कंद मूल खाकर जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।
आपको बता दें शासन प्रशासन की उदासीनता और लचर व्यवस्था की हद यहां तक कि एक बैगा समुदाय की महिला शासन की मूलभूत सुविधाओं से आज भी कोसों दूर है, इतना ही नहीं दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं।
पूरा मामला बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कुकड़ा का है, जहां पर एक महिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते अपनी दो बेटियों के साथ बद से बदतर जीवन जीने को मजबूर है, रहने को घर के नाम पर बांस बल्लियो से बना झोपड़ा है, जिस पर तिरपाल डालकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है, खाने को घर मे कुछ भी नहीं इसलिए जंगल के कंद मूल खाने को मजबूर हैं आदिवासी बैगा।
गौरतलब हो कि पूरे परिवार को पिछले 3 दिनों से अन्न का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ है, हद तो यहां तक कि शासन की किसी भी योजना का लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है, जबकि शासन बैगाओ के उत्थान के लिए करोड़ों खर्च करने का दंभ भरती है, लेकिन जमीनी हकीकत से हम आपको रूबरू करवा रहें हैं।
ईटीवी भारत ने इस संबंध में एसडीएम चंद्रप्रताप गोहल से चर्चा की तो उन्होंने तत्काल मदद का आश्वासन देते हुए शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने की बात कही है।

बाईट :- 1. नानीबाई (महिला)
2. पिंकी (पुत्री)
3. चंद्रप्रताप गोहल एस डी एम, बैहर

अशोक गिरी गोस्वामी
Etv भारत, परसवाड़ा(बालाघाट)।Conclusion:इस पूरे मामले पर Etv भारत ने एस डी एम चंद्रप्रताप गोहल से बात की तो उन्होंने कहा कि तत्काल जनपद सीईओ को निर्देशित कर तत्काल व्यवस्था कर नियमानुसार कुछ नगद राशि भी देंगे ताकी वे अपना जीवन बसर कर सके, जहां तक बात रहने की है तो हम केम्प बनाकर फिलहाल किसी शासकीय भवन में रहने की व्यस्था भी करेंगे।
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