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अशोकनगर: कहीं गौशाला की जमीन पर कब्जा तो कई गौशालओं का निर्माण अधर में लटका - गौशाला की जमीन पर कब्जा

मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज ने गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है. इस कैबिनेट के गठन के बाद लगातार ETV भारत की टीम गौशालाओं का हाल जानने प्रदेश की तमाम गौशालाओं में जा रही है. इस कड़ी में ETV भारत की टीम ने अशोकनगर जिले की कई गौशालाओं के हाल जानें. जानें जिले में किन हालातों में हैं गौशालाएं.

reality check of gaushala
गायों की स्थिति दयनीय
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Published : Dec 3, 2020, 6:52 PM IST

अशोकनगर। शिवराज सरकार ने गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है. लेकिन प्रदेश की गौशालाओं में गायों की स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. ETV भारत की टीम लगातार प्रदेश की अलग-अलग गौशालाओं में जाकर रियलिटी चैक कर रही है. इस कड़ी में गौशालाओं का हाल जानने टीम अशोकनगर जिले की कई गौशालाओं में पहुंची, जहां शासन की योजनाओं को पलीता लगाने वाली कई बातें उजागर हुईं.

reality check of gaushala  reality check of gaushala
गायों की स्थिति दयनीय

गौशाला की जमीन पर किया कब्जा

गायों की सुरक्षा से पहले गायों के लिए सरकार को बहुत से काम करना बाकी है. अशोकनगर की सबसे पुरानी 'गोपाल गौशाला' जिसके नाम से सैकड़ों बीघा जमीन आवंटित है, उस पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया है. प्रशासन को कई आवेदन देने के बाद भी अब तक गौशाला की जमीन कब्जे से मुक्त नहीं हो पाई है.

गौशालाओं की दयनीय स्थिति

वेटनरी हॉस्पिटल के उपसंचालक आरके त्यागी ने बताया की हाल ही में अशोकनगर जिले में 36 गौशालाएं तैयार की गई हैं. वर्तमान में 10 शासकीय गौशालाएं संचालित हो रही हैं. इन गौशालाओं में करीब 80 से 100 गाय में मौजूद हैं. जबकि 67 गौशालाओं का अभी निर्माण जारी है. निजी तौर पर सात गौशाला अशोकनगर में संचालित हैं, जो दयनीय स्थिति में चल रही हैं. हालांकि जन सहयोग से इन गौशालाओं को चलाने में सुगमता हो रही है.

reality check of gaushala
गौशालओं का निर्माण अधर में लटका

पढ़ें- रियलिटी चेक: राजगढ़ की गौशाला में क्षमता से तीन गुना अधिक हैं गाय, खाने को मजबूर हैं कूड़ा

कैबिनेट बनने से नहीं होगी बजट की कमी

उपसंचालक त्यागी ने बताया कि पूर्व में जब कांग्रेस सरकार थी तब गायों का बजट डेढ़ रुपए प्रति गाय से बढ़ाकर 20 रुपए प्रति गाय कर दिया गया था. इसके साथ ही पूर्व सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायतों में गौशाला खोलने के निर्देश दिए थे. लेकिन सरकार बदलने के बाद अब शिवराज सिंह की सरकार में गाय कैबिनेट का गठन किया जा रहा है. इसके बाद बजट की किसी तरह से कोई कमी नहीं रहेगी. अब जल्द ही गायों को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे.

उपसंचालक ने बताया की गायों के इलाज के लिए कोई अलग से बजट नहीं आता है. इसलिए हमारी जो औषधि आती हैं उनमें से ही गायों का उपचार किया जाता है. जिस गौ शाला से भी गायों के बीमार होने की जानकारी मिलती है, वहां हमारी टीम भेजकर इलाज कराया जाता है और समय-समय पर उनका चेकअप के साथ वैक्सीनेशन भी कराया जाता है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: सुविधाओं के अभाव में कई गायों की हुई मौत, गौशाला की जमीन पर दबंगों का कब्जा

ठंडे बस्ते में गौशालाओं का निर्माण

जिले की कई ग्राम पंचायतों में अब भी गौशाला का निर्माण कार्य जारी है. हालांकि, सरकार बदलने के बाद गौशाला के निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में डाल दिए गए थे. लेकिन वर्तमान सरकार ने गायों को के विषय में अहम फैसला लिया है, जिसके बाद अब इन गौशाला के कार्यों में वृद्धि होगी.

गायों और आवारा मवेशियों की बात की जाए तो क्षेत्र की सड़कों पर आमतौर पर मवेशी घूमते हुए नजर आ ही जाते हैं. इसके कारण शहर में पहले कई घटनाएं भी घट चुकी हैं. इनमें कई लोगों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. वाहनों से टकराने के कारण कई आवारा मवेशियों की लगातार मौत भी होती रहती है. कई गौशाला संचालित होने के बावजूद भी इन आवारा मवेशियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा कई सालों से गौशालों में वृद्धि भी नहीं दिखाई दे रही.

अशोकनगर। शिवराज सरकार ने गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है. लेकिन प्रदेश की गौशालाओं में गायों की स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. ETV भारत की टीम लगातार प्रदेश की अलग-अलग गौशालाओं में जाकर रियलिटी चैक कर रही है. इस कड़ी में गौशालाओं का हाल जानने टीम अशोकनगर जिले की कई गौशालाओं में पहुंची, जहां शासन की योजनाओं को पलीता लगाने वाली कई बातें उजागर हुईं.

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गायों की स्थिति दयनीय

गौशाला की जमीन पर किया कब्जा

गायों की सुरक्षा से पहले गायों के लिए सरकार को बहुत से काम करना बाकी है. अशोकनगर की सबसे पुरानी 'गोपाल गौशाला' जिसके नाम से सैकड़ों बीघा जमीन आवंटित है, उस पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया है. प्रशासन को कई आवेदन देने के बाद भी अब तक गौशाला की जमीन कब्जे से मुक्त नहीं हो पाई है.

गौशालाओं की दयनीय स्थिति

वेटनरी हॉस्पिटल के उपसंचालक आरके त्यागी ने बताया की हाल ही में अशोकनगर जिले में 36 गौशालाएं तैयार की गई हैं. वर्तमान में 10 शासकीय गौशालाएं संचालित हो रही हैं. इन गौशालाओं में करीब 80 से 100 गाय में मौजूद हैं. जबकि 67 गौशालाओं का अभी निर्माण जारी है. निजी तौर पर सात गौशाला अशोकनगर में संचालित हैं, जो दयनीय स्थिति में चल रही हैं. हालांकि जन सहयोग से इन गौशालाओं को चलाने में सुगमता हो रही है.

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गौशालओं का निर्माण अधर में लटका

पढ़ें- रियलिटी चेक: राजगढ़ की गौशाला में क्षमता से तीन गुना अधिक हैं गाय, खाने को मजबूर हैं कूड़ा

कैबिनेट बनने से नहीं होगी बजट की कमी

उपसंचालक त्यागी ने बताया कि पूर्व में जब कांग्रेस सरकार थी तब गायों का बजट डेढ़ रुपए प्रति गाय से बढ़ाकर 20 रुपए प्रति गाय कर दिया गया था. इसके साथ ही पूर्व सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायतों में गौशाला खोलने के निर्देश दिए थे. लेकिन सरकार बदलने के बाद अब शिवराज सिंह की सरकार में गाय कैबिनेट का गठन किया जा रहा है. इसके बाद बजट की किसी तरह से कोई कमी नहीं रहेगी. अब जल्द ही गायों को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे.

उपसंचालक ने बताया की गायों के इलाज के लिए कोई अलग से बजट नहीं आता है. इसलिए हमारी जो औषधि आती हैं उनमें से ही गायों का उपचार किया जाता है. जिस गौ शाला से भी गायों के बीमार होने की जानकारी मिलती है, वहां हमारी टीम भेजकर इलाज कराया जाता है और समय-समय पर उनका चेकअप के साथ वैक्सीनेशन भी कराया जाता है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: सुविधाओं के अभाव में कई गायों की हुई मौत, गौशाला की जमीन पर दबंगों का कब्जा

ठंडे बस्ते में गौशालाओं का निर्माण

जिले की कई ग्राम पंचायतों में अब भी गौशाला का निर्माण कार्य जारी है. हालांकि, सरकार बदलने के बाद गौशाला के निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में डाल दिए गए थे. लेकिन वर्तमान सरकार ने गायों को के विषय में अहम फैसला लिया है, जिसके बाद अब इन गौशाला के कार्यों में वृद्धि होगी.

गायों और आवारा मवेशियों की बात की जाए तो क्षेत्र की सड़कों पर आमतौर पर मवेशी घूमते हुए नजर आ ही जाते हैं. इसके कारण शहर में पहले कई घटनाएं भी घट चुकी हैं. इनमें कई लोगों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. वाहनों से टकराने के कारण कई आवारा मवेशियों की लगातार मौत भी होती रहती है. कई गौशाला संचालित होने के बावजूद भी इन आवारा मवेशियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा कई सालों से गौशालों में वृद्धि भी नहीं दिखाई दे रही.

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