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श्मशान भूमि पर दंबगों का कब्जा, अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे परिजनों का प्रदर्शन

अशोकनगर जिले के टकनेरी गांव में एक नन्नू लाल नाम के एक आदिवासी का निधन हो गया, नन्नू लाल के परिजन उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर पहुंचे तो गांव के दबंगों ने उन्हें अंतिम संस्कार से रोक दिया.

Officials conducted last rites after explaining
शमशान भूमि पर दबंगों का कब्जा
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Published : Dec 6, 2019, 10:23 AM IST

Updated : Dec 6, 2019, 12:11 PM IST

अशोकनगर। आजादी के इतने सालों बाद भी देश के गांवों की स्थिति अब भी बदतर बनीं हुई है. आलम ये है की अव्यवस्थाओं से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला अशोकनगर जिले के टकनेरी गांव का है, जहां एक नन्नू लाल नाम के एक आदिवासी का निधन हो गया, नन्नू लाल के परिजन उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट लेकर पहुंचे तो गांव के दबंगों ने उन्हें अंतिम संस्कार से रोक दिया.

शमशान भूमि पर दबंगों का कब्जा

मजबूर परिजनों को खराब रास्ते से अंतिम यात्रा निकालनी पड़ी. इतना ही नहीं ग्रामीण करीब 2 किलोमीटर चलकर मन्नूलाल का अंतिम संस्कार करने पहुंचे. जिस जगह ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए शासन द्वारा जगह आवंटित कराई गई थी उस जगह पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर उसमें गेहूं की फसल की बावनी कर दी. शव लेकर पहुंचे ग्रामीणों के पास अंतिम संस्कार करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इस बात से नाराज होकर ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए जमकर प्रदर्शन किया. मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर प्रशासनिक अमला भी पहुंच गया जिसके बाद काफी समझाइश के बाद अंतिम संस्कार किया गया.

अंतिम संस्कार को लेकर पहले भी हो चुका है विवाद
ग्रामीणों ने बताया की 2 साल पहले भी ऐसा ही एक विवाद हुआ था. अधिकारियों ने उस समम शमशान घाट बनाने की बात कही थी लेकिन आज तक गांव में अभी तक निर्माण नहीं हो सका है.

वहीं मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत जेसीबी बुलाकर कब्जा हटवाया और सरपंच सचिव को निर्देशित करते हुए कहा 7 दिन के अंदर शमशान घाट तैयार किया जाए.

अशोकनगर। आजादी के इतने सालों बाद भी देश के गांवों की स्थिति अब भी बदतर बनीं हुई है. आलम ये है की अव्यवस्थाओं से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला अशोकनगर जिले के टकनेरी गांव का है, जहां एक नन्नू लाल नाम के एक आदिवासी का निधन हो गया, नन्नू लाल के परिजन उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट लेकर पहुंचे तो गांव के दबंगों ने उन्हें अंतिम संस्कार से रोक दिया.

शमशान भूमि पर दबंगों का कब्जा

मजबूर परिजनों को खराब रास्ते से अंतिम यात्रा निकालनी पड़ी. इतना ही नहीं ग्रामीण करीब 2 किलोमीटर चलकर मन्नूलाल का अंतिम संस्कार करने पहुंचे. जिस जगह ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए शासन द्वारा जगह आवंटित कराई गई थी उस जगह पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर उसमें गेहूं की फसल की बावनी कर दी. शव लेकर पहुंचे ग्रामीणों के पास अंतिम संस्कार करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इस बात से नाराज होकर ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए जमकर प्रदर्शन किया. मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर प्रशासनिक अमला भी पहुंच गया जिसके बाद काफी समझाइश के बाद अंतिम संस्कार किया गया.

अंतिम संस्कार को लेकर पहले भी हो चुका है विवाद
ग्रामीणों ने बताया की 2 साल पहले भी ऐसा ही एक विवाद हुआ था. अधिकारियों ने उस समम शमशान घाट बनाने की बात कही थी लेकिन आज तक गांव में अभी तक निर्माण नहीं हो सका है.

वहीं मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत जेसीबी बुलाकर कब्जा हटवाया और सरपंच सचिव को निर्देशित करते हुए कहा 7 दिन के अंदर शमशान घाट तैयार किया जाए.

Intro:अशोकनगर. आजादी के कई सालों बाद भी मध्य प्रदेश के गांव की स्थिति अब भी बेहद बदतर है. हालात यह हैं कि अव्यवस्थाओं से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोग जीते जी तो परेशान हो ही रहे हैं,लेकिन मरने के बाद भी उन्हें 2 गज जमीन नसीब नहीं हो पा रही है.मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख देने वाला यह मामला अशोकनगर जिले के टकनेरी गांव का है, जहां एक हृदय विदारक घटना सामने आई है.
बाइट-जयप्रकाश आदिवासी, ग्रामीण
बाइट- इसरार खान,तहसीलदार
बाइट- राजकुमार शर्मा,जनपद सीईओ


Body:बुधवार रात आदिवासी गांव टकनेरी में नन्नूलाल आदिवासी का बीमारी के चलते निधन हो गया, नन्नू लाल के निधन के बाद उसके परिजन और ग्रामीण जब गुरुवार को उसकी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करने के लिए शमसान घाट पहुंचे, तो उन्हें उबड़ खाबड़ रास्ते से अंतिम यात्रा निकालनी पड़ी. इतना ही नहीं ग्रामीण करीब 2 किलोमीटर चलकर मन्नूलाल का अंतिम संस्कार करने पहुंचे. जिस जगह ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए शासन द्वारा जगह आवंटित कराई गई थी, उस जगह गांव के ही दबंग लोगों द्वारा उसमें गेहूं के फसल की बावनी कर दी गई. सरपंच एवं सचिव की मिलीभगत से एक नाले के पास ग्रामीणों के लिए नाम मात्र का श्मशान घाट बनाया गया. जिस पर अंतिम संस्कार करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इस बात से नाराज होकर ग्रामीणों ने वहां जमकर हंगामा एवं प्रदर्शन किया. इस परेशानी को देख मौके पर ग्रामीणों की महिलाएं भी पहुंच गई जहां उन्होंने भी प्रशासनिक अधिकारियों को खरी खोटी सुनाई.
मामले को तूल पकड़ते देख आनन-फानन में प्रशासन की पूरी मशीनरी घटनास्थल पर पहुंच गई.जब इस बात की जानकारी कलेक्टर मंजू शर्मा को लगी तो उन्होंने तत्काल एसडीएम और प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर नपती कराने के आदेश दे दिए. जिसके तुरंत बाद मौके पर एसडीएम सुरेश यादव, तहसीलदार इसरार खान, जनपद सीईओ राजकुमार शर्मा, सहित कई अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंचे. जहां उन्होंने जेसीबी मशीन बुलाकर कबजा तो हटवाया ही, साथ ही सरपंच सचिव को निर्देशित भी किया कि 7 दिवस के अंदर श्मशान घाट तैयार किया जाना चाहिए.
ग्रामीणों ने बताया कि 2 साल पहले भी ऐसा ही एक विवाद हुआ था. जिसके बाद सभी अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे. लेकिन आज तक श्मशान घाट का निर्माण नहीं हो पाया है. ग्रामीणों ने अपना दुख बताते हुए कहा की जब बारिश का मौसम होता है, तब शब जलाने के लिए कोई जगह नहीं होने के कारण पास ही नाले में शब कोबहा दिया जाता है.



Conclusion:
Last Updated : Dec 6, 2019, 12:11 PM IST
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