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अविभाजित मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री का बुंंदेलखंड से क्या था नाता, क्यों 'कक्का जी' कहकर बुलाते थे लोग

सागर यूनिवर्सिटी में डॉ. सर हरि सिंह गौर के साथ बनाई गई है पंडित रविशंकर शुक्ल की समाधि. छत्तीसगढ़ रही है पंडित जी की कर्मभूमि

First Chief Minister of Madhya Pradesh Pandit Ravi Shankar Shukla
मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

सागर: आज हम मध्य प्रदेश के गठन की वर्षगांठ मना रहे हैं और मध्य प्रदेश के गठन से लेकर आज के स्वरूप से जो स्मृतियां जुड़ी हुई हैं, उनके बारे में चर्चा कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की बात करें तो अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल थे. वह एक जाने माने वकील और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. वैसे तो उनकी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ रही है लेकिन मध्य प्रदेश से उनका गहरा नाता है और खासकर बुंदेलखंड का सागर उनकी जन्मभूमि है. जहां 2 अगस्त 1877 को उनका जन्म हुआ था.

सागर के जिस इलाके में उनका जन्म हुआ था, उसे आज रविशंकर शुक्ल वार्ड के नाम से जाना जाता है. वहां पर मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी याद में हायर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल की भी स्थापना की है. सागर यूनिवर्सिटी में उनकी समाधि यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ. सर हरि सिंह गौर के साथ बनाई गई है, क्योंकि दोनों काफी अच्छे मित्र थे और यूनिवर्सिटी स्थापित करने में रविशंकर शुक्ल का बहुत बड़ा योगदान था.

प्रो. डॉ सुरेश आचार्य (Etv Bharat)

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गांधी के कहने पर छत्तीसगढ़ को बनाया कर्मभूमि

सागर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे साहित्यकार प्रो. डॉ सुरेश आचार्य बताते हैं, मैं मूलतः विद्या चरण शुक्ल के साथ रहता था, जो उनके सबसे छोटे बेटे थे. उनके साथ रहकर पंडित रविशंकर शुक्ल और उनके परिवार के बारे में मुझे बहुत सी जानकारियां मिलं. पंडित रविशंकर शुक्ल एलएलबी थे और उस वक्त वकालत किया करते थे. महात्मा गांधी के आग्रह पर कांग्रेस के आंदोलन को मजबूत करने के लिए वह सागर से छत्तीसगढ़ गए. वहां पर उन्होंने बहुत परिश्रम कर कांग्रेस का विस्तार किया.

सागर में कक्का जी कहलाते थे रविशंकर शुक्ल

पंडित रविशंकर शुक्ल सागर में कक्का जी कहलाते थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद जब सागर के लोग उनसे मिलने जाते थे तो उन्हें कक्का जी ही पुकारते थे. वह जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और गर्मी में राजधानी पंचमढ़ी हुआ करती थी, तो उनका परिवार पंचमढ़ी पहुंच जाता था. लेकिन उनके धार्मिक कार्य नियमित चला करते थे. उनके यहां चाय नहीं बनती थी. सारे मेहमानों को कांसे के कटोरे में दूध पिलाया जाता था. कक्का जी जब दूध पिया करते थे, तो उनकी मूंछों में मलाई लग जाती थी. हम लोग आनंदपूर्वक देखते थे और उनसे कहते थे, तो वह भी मजा लिया करते थे. अचानक हार्ट फेल होने के कारण उनका देहांत हो गया. वे 6 फीट से ऊपर के हट्टे-कट्टे कदकाठी वाले थे. धोती-कुर्ता पहनते थे और पटका डालते थे और हाथ में बेंत लिए रहते थे.

सागर से जुड़ी हैं कक्का जी की यादें

साहित्यकार प्रो. सुरेश आचार्य बताते हैं कि वह बहुत कम समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. लेकिन कम समय में उन्होंने मध्य प्रदेश को बहुत कुछ दिया. गांधी जी के कहने पर छत्तीसगढ़ गए थे. आज छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर तरक्की हुई है. कक्का जी का स्मरण करने वाले लोग अभी भी हैं. रवि शंकर शुक्ला के बड़े बाजार में चौबे परिवार में कुछ रिश्तेदार भी हैं. अपने अच्छे कामों के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल हमेशा याद रखे जाएंगे.

संस्थापक डॉ. सर हरि सिंह गौर के साथ सागर यूनिवर्सिटी में है उनकी समाधि

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हरि सिंह गौर ने सागर में यूनिवर्सिटी की स्थापना की, तो मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री होने के कारण पंडित रविशंकर शुक्ल उसके पहले चांसलर बने. सागर यूनिवर्सिटी में डॉ. हरि सिंह गौर के साथ पंडित रविशंकर शुक्ल की भी समाधि बनी हुई है. वहां पर दो छतरियां हैं. कन्या विद्यालय से सागर विश्वविद्यालय तक उनके चिह्न, उनकी स्मृतियों का आज भी एहसास होता है.

सागर: आज हम मध्य प्रदेश के गठन की वर्षगांठ मना रहे हैं और मध्य प्रदेश के गठन से लेकर आज के स्वरूप से जो स्मृतियां जुड़ी हुई हैं, उनके बारे में चर्चा कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की बात करें तो अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल थे. वह एक जाने माने वकील और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. वैसे तो उनकी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ रही है लेकिन मध्य प्रदेश से उनका गहरा नाता है और खासकर बुंदेलखंड का सागर उनकी जन्मभूमि है. जहां 2 अगस्त 1877 को उनका जन्म हुआ था.

सागर के जिस इलाके में उनका जन्म हुआ था, उसे आज रविशंकर शुक्ल वार्ड के नाम से जाना जाता है. वहां पर मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी याद में हायर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल की भी स्थापना की है. सागर यूनिवर्सिटी में उनकी समाधि यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ. सर हरि सिंह गौर के साथ बनाई गई है, क्योंकि दोनों काफी अच्छे मित्र थे और यूनिवर्सिटी स्थापित करने में रविशंकर शुक्ल का बहुत बड़ा योगदान था.

प्रो. डॉ सुरेश आचार्य (Etv Bharat)

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सागर में कक्का जी कहलाते थे रविशंकर शुक्ल

पंडित रविशंकर शुक्ल सागर में कक्का जी कहलाते थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद जब सागर के लोग उनसे मिलने जाते थे तो उन्हें कक्का जी ही पुकारते थे. वह जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और गर्मी में राजधानी पंचमढ़ी हुआ करती थी, तो उनका परिवार पंचमढ़ी पहुंच जाता था. लेकिन उनके धार्मिक कार्य नियमित चला करते थे. उनके यहां चाय नहीं बनती थी. सारे मेहमानों को कांसे के कटोरे में दूध पिलाया जाता था. कक्का जी जब दूध पिया करते थे, तो उनकी मूंछों में मलाई लग जाती थी. हम लोग आनंदपूर्वक देखते थे और उनसे कहते थे, तो वह भी मजा लिया करते थे. अचानक हार्ट फेल होने के कारण उनका देहांत हो गया. वे 6 फीट से ऊपर के हट्टे-कट्टे कदकाठी वाले थे. धोती-कुर्ता पहनते थे और पटका डालते थे और हाथ में बेंत लिए रहते थे.

सागर से जुड़ी हैं कक्का जी की यादें

साहित्यकार प्रो. सुरेश आचार्य बताते हैं कि वह बहुत कम समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. लेकिन कम समय में उन्होंने मध्य प्रदेश को बहुत कुछ दिया. गांधी जी के कहने पर छत्तीसगढ़ गए थे. आज छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर तरक्की हुई है. कक्का जी का स्मरण करने वाले लोग अभी भी हैं. रवि शंकर शुक्ला के बड़े बाजार में चौबे परिवार में कुछ रिश्तेदार भी हैं. अपने अच्छे कामों के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल हमेशा याद रखे जाएंगे.

संस्थापक डॉ. सर हरि सिंह गौर के साथ सागर यूनिवर्सिटी में है उनकी समाधि

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हरि सिंह गौर ने सागर में यूनिवर्सिटी की स्थापना की, तो मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री होने के कारण पंडित रविशंकर शुक्ल उसके पहले चांसलर बने. सागर यूनिवर्सिटी में डॉ. हरि सिंह गौर के साथ पंडित रविशंकर शुक्ल की भी समाधि बनी हुई है. वहां पर दो छतरियां हैं. कन्या विद्यालय से सागर विश्वविद्यालय तक उनके चिह्न, उनकी स्मृतियों का आज भी एहसास होता है.

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